पापा का सपना, मां की मदद भरत ने UPSC में ऐसे लहराया परचम, बताए प्रीलिम्स क्रैक…


भरत दत्त तिवारी अपने माता-पिता के साथ
ये सपना पापा ने बुना था, कभी कहानी बनाकर संविधान सिखाया तो कभी सिविल सर्विस का महत्व समझाया… आज की ये स्टोरी है भरत दत्त तिवारी की. भरत ने देश की सबसे प्रतिष्ठित परीक्षाओं में से एक सिविल सर्विस परीक्षा 2024 में 98वीं रैंक हासिल की है. ये सफर आसान तो नहीं रहा, लेकिन रास्ता उनके पापा का दिखाया हुआ था तो उन्हें पूरा भरोसा था कि जीत तो मिलनी ही थी, बस कड़ी मेहनत और लगातार प्रयास की बदौलत भरत उस सपने को साकार कर पाए.
टीवी9 भारतवर्ष की बातचीत में भरत ने बताया कि वो कानपुर देहात से ताल्लुक रखते हैं. उनके पिता राजुकमार तिवारी ज्यूडिशियल सर्विसेज से जुड़े हुए थे. वो जिला न्यायाधीश रैंक पर ज्यूडिशियल सर्विस में कार्यरत रहे. बाद में वो इलाहाबाद हाई कोर्ट से ओएसडी पद से रिटायर हुए. पिता की पोस्टिंग की वजह से भरत का जन्म उत्तराखंड में हुआ. उन्होंने अपनी स्कूलिंग सेठ एम.आर. जयपुरिया से पूरी की. उन्होंने अपना ग्रेजुएशन बीटेक इन्फॉर्मेशन टेक्नॉलॉजी में जेपी इंस्टीट्यूट नोएडा से पूरा किया. भरत का मन पढ़ाई में बचपन से लगता था, लेकिन वो शैतानियों में भी कभी पीछे नहीं रहे. बचपन में क्लास में अच्छे मार्क्स लाने के साथ-साथ अपने दोस्तों के ग्रुप के साथ समय बिताना पसंद करते थे.

मां के साथ भरत
हर बार क्रैक किया प्रिलिम्स
आमतौर पर यूपीएससी की परीक्षा की तैयारी करने वाले अभ्यर्थियों के लिए प्रिलिम्स की परीक्षा सबसे बड़ी बाधा होती है. क्योंकि इसके प्रश्न बहुत ही अनिश्चितता से भरे होते हैं. लेकिन, भरत ने हर बार प्रिलिम्स एग्जाम को क्रैक किया है. उन्हें चौथे प्रयास में इस परीक्षा में सफलता मिली है, लेकिन प्रिलिम्स एग्जाम उन्होंने हर प्रयास में पास की है. भरत ने टीवी9 भारतवर्ष की बातचीत में बताया कि प्रिलिम्स परीक्षा को क्रैक करने का उनका एक खास मंत्रा था कि परीक्षा में सबकुछ पढ़कर जाना है.
सिलेबस में जो कुछ भी दिया गया है उन सभी सब्जेक्ट्स के बेसिक कॉन्सेप्ट्स को जरूर पढ़ना चाहिए. ज्यादातर अभ्यर्थी कुछ ही सब्जेक्ट्स पर फोकस करते हैं जैसे इतिहास, भूगोल, पॉलिटी आदि. लेकिन इस अप्रोच को फॉलो करने की बजाय हर विषय को वरीयता देना चाहिए. भरत को दो बार मेंस और एक इंटरव्यू में असफलता मिली. कहते हैं न कि जब दिल किसी चीज को पाने की जिद पाल बैठता है तो पूरी कायनात भी साथ आ जाती है. बस फिर क्या दूसरे इंटरव्यू और चौथे प्रयास में भरत ने 98वीं रैंक हासिल कर ली.
मां ने कहा, समाज शास्त्र मुझे तो हल्का और आसान लगता है…
बीटेक के स्टूडेंट होने के बाद UPSC में भरत ने ऑप्शनल के तौर पर सोशलॉजी को चुना. उन्होंने कहा कि वो ऑप्शनल में ह्यूमैनिटीज का सबजेक्ट रखना चाहते थे. पीएसआईआर और समाजशास्त्र में उन्हें थोड़ी कन्फ्यूजन थी कि आखिर किसे ऑप्शनल चुना जाए. एक दिन उन्होंने मां मालती तिवारी से पूछा कि मां ये दो सब्जेक्ट्स हैं आप बताओ इसमें से किसे चुनूं? मां ने कहा, समाजशास्त्र मुझे तो हल्का और आसान लगता है, उसे ही ले लो…
बस फिर क्या भरत ने इसी सब्जेक्ट को चुना और आज वो सिविल सर्विस की परीक्षा में सेलेक्ट हो गए हैं. ये किस्सा इस बात का भी गवाह है कि हमारे माता-पिता बेहतर तरीके से हमें जानते हैं उनके इंट्यूशन को हमें कभी इग्नोर करने से बचना चाहिए.
खुद को मोटिवेट कैसे किया?
ये परीक्षा का सफर कई बार सालों साल चलता रहता है, ऐसे में कई बार असफलता की आशंका मन में निराशा लाती है. ऐसे समय पर खुद को मोटिवेट करने के लिए भरत ने टीवी9 भारतवर्ष को एक तरीका बताया. उन्होंने कहा कि जिस समय आप निराशावादी सोच की चेन में फंस रहे हैं बस कोशिश करिए उस चेन को तोड़ने की. अपने आपको एक्शन में लाइए और कुछ ना कुछ काम करिए, उदाहरण के तौर पर आप उत्तर लिख सकते हैं, किसी चैप्टर को पढ़ सकते हैं या फिर जिस भी किसी काम में आपका मन लगता है उसे तुरंत करना शुरू कर दें. बस कुछ ही समय में आप डीमोटिवेशन चेन से बाहर आ सकते हैं. भरत खुद को डीमोटिवेट होने से बचने के लिए रनिंग किया करते थे.
हिंदी मीडियम के छात्रों के लिए क्या अप्रोच?
सिविल सर्विसेज की परीक्षा में हिंदी मीडियम के छात्रों का रिजल्ट इंग्लिश मीडियम के छात्रों की तुलना में कम सफल हो रहा है. इसपर जवाब देते हुए भरत ने कहा कि रिसोर्सेज को और बेहतर करने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि लगातार कोचिंग संस्थाओं में दिए जाने वाले एक तरह के मटेरियल को अपने नजरिए से और बेहतर करने की जरूरत है. बहुत से अभ्यर्थी हिंदी मीडियम में भी सेलेक्ट हो रहे हैं.
क्या सालों साल तैयारी करना सही है?
टीवी9 भारतवर्ष से बातचीत के दौरान भरत ने कहा कि उन्होंने भले ही चौथे प्रयास में इस परीक्षा में सफलता पाई है, लेकिन इस परीक्षा के लिए 3 अटेम्प्ट पर्याप्त हैं. उन्होंने कहा हालाकिं, सभी अपने जीवन के फैसले लेने के लिए सभी स्वतंत्र हैं, इसलिए आपको जो बेहतर लगे उसपर ध्यान दें, कितने अटेम्प्ट दिए या कौन सा करियर ऑप्शन चुना ये ज्यादा महत्व नहीं रखता है.
पहलगाम हमले पर बतौर ऑफिसर जनता तक क्या मैसेज पहुंचाते?
भरत ने कहा कि पहलगाम हमले पर सरकार के कदम की सराहना की. उन्होंने कहा कि जैसा कि आतंकियों ने धार्मिक बंटवारे का मैसेज देना चाहा, लेकिन हमारी ये जिम्मेदारी होती कि मैं लोगों तक ये मैसेज पहुंचाता कि आतंकवादियों का अपना कोई धर्म नहीं होता है. समावेशी विकास पर भी जोर देते ताकि सभी लोगों का भरोसा और बढ़े.