देश का विभाजन 20वीं शताब्दी की सबसे दुखद यादें… विभीषिका स्मृति दिवस पर C… – भारत संपर्क

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देश का विभाजन 20वीं शताब्दी की सबसे दुखद यादें… विभीषिका स्मृति दिवस पर C… – भारत संपर्क

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने आज विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस पर श्रद्धांजलि अर्पित की. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के मन में देश की विभाजन विभीषिका के संबंध में जो पीड़ा है, वह हम सब अनुभव करते हैं. देश का विभाजन 20वीं शताब्दी की सबसे त्रासदीपूर्ण दुर्घटना है. यह सचाई है कि इस त्रासदी से गुजरे कई लोग इस संबंध में बात नहीं करना चाहते, लेकिन यदि किसी देश को लंबी यात्रा करना है, उसे आगे बढ़ना है तो इतिहास के घावों और गलतियों से उसे सबक लेना होगा.
मुख्यमंत्री डॉ. यादव विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस पर सरोजिनी नायडू शासकीय कन्या महाविद्यालय भोपाल में आयोजित कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे. उन्होंने विभाजन पर केंद्रित प्रदर्शनी का अवलोकन किया और 2 मिनट का मौन रखकर श्रद्धांजलि अर्पित की. कार्यक्रम में विभाजन की विभीषिका पर केन्द्रित लघु फिल्म तथा प्रधानमंत्री मोदी के इस विभीषिका पर सोच को दर्शाती फिल्म भी प्रदर्शित की गई.
भारतीयों ने छल और चालाकी की वजह से हानि उठाई
मुख्यमंत्री ने कहा कि इस संबंध में कई नजीर प्रासंगिक हैं. इजराइल, इराक और इरान ने अपनी अस्मिता और राष्ट्रीयता के लिए जो संघर्ष किया, वह हम सबके लिए प्रेरणा का विषय है. उन्होंने कहा कि हम भारतीयों की यह विशेषता है कि हम अपने उदात्त भाव के परिणामस्वरूप सभी को अपना मानते हैं. परंतु अक्सर लोगों की चालाकियों और छल के कारण हानि उठानी पड़ती है.
उन्होंने इस संबंध में पृथ्वीराज चौहान, गुलामवंश के शासकों, मोहम्मद गजनी, मोहम्मद बिन कासिम का उदाहरण देते हुए कहा कि कई युद्ध छल से जीते गए और देश को लंबे समय तक गुलामी का दंश झेलना पड़ा.
अंग्रेजों का षड़यंत्र नहीं समझ सके राजनैतिक दल
मुख्यमंत्री ने कहा कि अंग्रेजों की विभाजन की साजिश के बाद भी यह भारतीय समाज की ताकत थी कि 1906 में जब पहली बार मुस्लिम लीग ने अपने प्रत्याशी खड़े किए तो अंग्रेजों के षड़यंत्र को समझते हुए वर्ष 1906, 1911, 1916 और 1923 के चुनाव में देशभक्त जनता ने मुस्लिम लीग के प्रत्याशियों को विजयी नहीं होने दिया, और 1936 तक मुस्लिम लीग के प्रत्याशी लगातार हारते रहे.
सांस्कृतिक एकता को भूलने से विभाजन की विभीषिका
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि सरदार वल्लभ भाई पटेल, नेताजी सुभाषचंद्र बोस जैसे नेता इस षड़यंत्र के विरुद्ध थे. इन्हें नेतृत्व का मौका नहीं मिला. गणेश उत्सव की शुरुआत करने वाले बाल गंगाधर तिलक, बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय की स्थापना करने वाले पं. मदन मोहन मालवीय, चंद्रशेखर आजाद, भगत सिंह जैसे राष्ट्रभक्त हाशिए पर चले गए. देश में राष्ट्रवादी मुसलमानों का सम्मान नहीं किया गया.
मुख्यमंत्री ने कहा कि कई परिवारों को केवल देशभक्ति और सनातन संस्कृति को बचाए रखने के लिए अपना घर, धन-दौलत, जमीन-जायदाद एक रात में छोड़कर आना पड़ा. धर्म रक्षा के लिए किया गया यह त्याग केवल भारत में ही संभव है. भारत विश्व में अपनी अच्छाई, सच्चाई और संस्कृति के लिए जाना जाता है. भारत रसखान और रहीम को भूल नहीं सकता.
पीएम मोदी की पहल पर नागरिकता देने की व्यवस्था
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि वर्ष 1857 के बाद भारत से अलग हुए भाग अफगानिस्तान, श्रीलंका, वर्तमान पाकिस्तान, बांग्लादेश अखंड भारत के भाग थे. वर्ष 1947 से पहले जो लोग अफगानिस्तान, पाकिस्तान, बांग्लादेश में रह गए उन्हें सुरक्षा का आश्वासन दिया गया था, लेकिन ऐसा हुआ नहीं. ऐसे सभी लोगों के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भारत की नागरिकता प्रदान करने के लिए कानून बनाकर प्रावधान किया है.

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