फिजा में घुल रहा प्रदूषण, संयंत्रों में नहीं लगे एफजीडी- भारत संपर्क
फिजा में घुल रहा प्रदूषण, संयंत्रों में नहीं लगे एफजीडी
कोरबा। लगातार जिले के थर्मल प्लांटों से सल्फर डाइऑक्साइड का उत्सर्जन हो रहा है। केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने इन प्लांटों पर नकेल कसना शुरु कर दिया है। सभी थर्मल प्लांटों को फ्यूल गैस डिसल्फराजेशन (एफजीडी) प्लांट स्थापित करने के लिए कहा है।कोरबा के अलावा छत्तीसगढ़ में स्थित किसी भी पॉवर प्लांट में फ्यूल गैस डिसल्फराजेशन प्लांट नहीं लगा है। अधिकारियों के मुताबिक एफजीडी प्लांट लगाने का खर्च काफी अधिक है। निर्धारित अवधि तक संयंत्र स्थापित नहीं करने पर जुर्माने का भी प्रावधान किया गया है।सामान्य प्रदूषित शहर के दायरे में आने वाले उद्योगों को 2024 दिसंबर तक सिस्टम लगाने कहा गया है। इससे देरी करने पर शून्य से 180 दिन की देरी करने पर 0.05 पैसे प्रति यूनिट, 181 से 365 दिन की देरी करने पर 0.075 प्रति उत्पादित यूनिट, 366 की देरी से 0.10 प्रति यूनिट की दर से जुर्माना लगाया जाएगा।गंभीर रूप से प्रदूषित शहरों के 10 किमी के दायरे में आने वाले थर्मल प्लांटों को दिसंबर 2023 तक एफजीडी सिस्टम लगाने कहा गया है। निर्धारित अवधि से शून्य से 180 दिन की देरी करने पर प्रति उत्पादन यूनिट 0.10 पैसे, 181 से 365 दिन की देरी करने पर प्रति उत्पादन यूनिट 0.15 पैसे और 365 दिन से अधिक दिन की देरी करने पर प्रति उत्पादन यूनिट पर 0.20 पैसे की दर से जुर्माना लगेगा।इसके लिए थर्मल प्लांटों को अलग अलग समय दिया गया है। पहली बार ऐसा हुआ है, जब केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने एफजीडी प्लांट को लेकर गंभीरता दिखाई है। अभी तक थर्मल प्लांटों में कोयले की दहन से निकलने वाली सभी गैस को चिमनी के जरिए हवा में छोड़ दिया जाता है। इससे आबो हवा जहरीली हो रही है। समय समय पर किए गए वैज्ञानिक अनुसांधान में इसका पता चला है।कोरबा में एनटीपीसी, सीएसईबी, बालको, लैंको सहित अन्य निजी कंपनियों के पॉवर प्लांट हैं। प्लांट कोरबा की कोयले पर आधारित हैं। कोरबा की खदानों से निकलने वाली कोयले पर प्लांटों मेें बिजली उत्पादन निर्भर है। कोयले की दहन से 0.3 फीसदी सल्फर डाइ ऑक्साइड निकलता है, जो 900 माइक्रो ग्राम प्रति घनमीटर होती है। जबकि कोयले की दहन से 0.2 फीसदी सहित नहीं निकलना चाहिए।