जिस देश में बैठे हैं हमास के सबसे बड़े मददगार, गरीबी ने वहां की जनता का जीना कर दिया… – भारत संपर्क

इजराइल और हमास के बीच चल रही जंग में हमास का सबसे ज्यादा समर्थन करने वाले हिजबुल्लाह के देश लेबनान में गरीबी ने पूरी जनता की कमर तोड़ दी है, जारी की गई रिपोर्ट के मुताबिक, लेबनान काफी लंबे समय से आर्थिक संकट से जूझ रहा है.
वर्ल्ड बैंक के मुताबिक, लेबनान में गरीबी रेखा के नीचे रहने वालों की संख्या कुल जनसंख्या की 44 फीसदी हो गई है, इसकी वजह से सबसे ज्यादा सीरियाई शरणार्थी की आबादी पर असर पड़ रहा है. इसी रिपोर्ट में बताया गया है कि पिछले 10 सालों में लेबनान में गरीबी लगभग 3 गुना से भी ज्यादा बढ़ गई है.
इजराइल-हमास जंग है इसकी बड़ी वजह
जहां साल 2012 में देश में गरीबी 12 फीसदी थी, वहीं साल 2024 में बढ़ कर 44 फीसदी पर आ गई है. इंटरनेशनल मॉनेटरी फंड (IMF) के डेलिगेशन अर्नेस्टा रामिरेज रिगो ने बताया की देश की चल रही स्थिति को और बढ़ावा इजराइल और हमास के बीच छिड़ी जंग से मिल रहा है, इस जंग की वजह से और लेबनान में चल रही रिफ्यूजी क्राइसिस से आर्थिक स्थिति बद से बदतर होती जा रही है. इस जंग में लेबनान का हिजबुल्लाह हमास की मदद कर रहा है, जिसकी वजह से इजराइल और लेबनान में भी जंग जैसी स्थिति ही है.
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IMF के बेलआउट से होगा स्थिति में सुधार
पिछले साल अक्टूबर में शुरू हुए इजराइल हमास की जंग को बाद से हिजबुल्लाह ने इजराइल के कई ठिकानों पर हमला किया, जिसके बाद से इजराइल और लेबनान की सीमा पर आए दिन कई हमले होते रहते हैं. कुछ लोगों का मानना है कि इस स्थिति में सुधार के लिए IMF के बेलआउट की जरूरत पड़ेगी, बेलआउट का मतलब देश की अर्थव्यवस्था के पतन से बचने के लिए IMF से वित्तीय मदद लेना ही एक आखिरी रास्ता है, लेकिन साल 2022 में IMF के साथ शुरुआती समझौते पर पहुंचने के बाद लेबनान के अधिकारियों ने इस समझौते को फाइनलाइज करने के लिए जरूरी सुधार में एक लिमिट प्रोग्रेस ही किया है. लेकिन वर्ल्ड बैंक की रिपोर्ट में बताया गया कि लेबनान अपनी स्थिति में धीमी गति से सुधार कर रहा है पर इजराइल-हमास की जंग की वजह से यह सब कुछ खराब हो सकता है क्योंकि लेबनान की आर्थिक स्थिति फिलहाल काफी नाजुक है, जो इस जंग की वजह से मंदी की तरफ जा सकती है.
लेबनानी के पास बचत के नाम पर कुछ नहीं
हालांकि, इस हफ्ते में IMF के डेलिगेशन ने बेरूत का दौरा किया, जिसमें उन्होंने बताया कि आर्थिक स्थिति में कुछ सुधार देखा जा सकता है लेकिन इस सुधार की से आर्थिक संकट खत्म नहीं हो सकता. देश की आर्थिक संकट में पाया गया कि लेबनानी लोगों की सेविंग भी खत्म हो चुकी है, यह स्थिति ज्यादा खराब तब हुई जब करेंसी ने 95 फीसदी तक की वैल्यू खो दी, जिसके बाद बैंक ने ज्यादातर डिपॉजिटर की सेविंग्स को लॉक कर दिया. रिसर्च में पाया गया कि 73 फीसदी लेबनानी और 100 फीसदी गैर-लेबनानी को गरीब माना गया है.