8 महीने पहले पिल्ले के काटने को नजरअंदाज करना पड़ा भारी,…- भारत संपर्क



बिलासपुर/रायपुर। तखतपुर के रहने वाले 38 वर्षीय संतोष ध्रुव की मौत एक खतरनाक लापरवाही का नतीजा बन गई। करीब 8 महीने पहले उसे एक पिल्ले ने काटा था, लेकिन उसने एंटी रेबीज वैक्सीन नहीं लगवाया। नतीजतन, 2 अगस्त को रायपुर स्थित डॉ. भीमराव अंबेडकर मेमोरियल अस्पताल (मेकाहारा) में उसकी मौत हो गई। मामला सामने आने के बाद अस्पताल प्रबंधन की भूमिका को लेकर भी सवाल खड़े हो गए हैं।

अचानक बिगड़ी तबीयत, दिखे रेबीज के लक्षण
संतोष के दोस्त ओमप्रकाश निर्मलकर के अनुसार, युवक मजदूरी कर लौटते समय कुत्ते के एक पिल्ले के काटने का शिकार हुआ था। शुरू में कोई लक्षण नहीं दिखे, लेकिन 8 महीने बाद यानी 31 जुलाई को उसका व्यवहार अचानक बदल गया। उसे पानी से डर (हाइड्रोफोबिया), अत्यधिक चिड़चिड़ापन और लार टपकने जैसे लक्षण दिखने लगे। हालत बिगड़ने पर परिजन उसे बिलासपुर से रायपुर के मेकाहारा अस्पताल लेकर आए।
अस्पताल में लापता, चेहरे पर मिले चोट के निशान
मेकाहारा के अधीक्षक डॉ. संतोष सोनकर ने बताया कि 2 अगस्त की सुबह 7 बजे परिजनों ने सूचना दी कि संतोष अपने आइसोलेशन रूम में नहीं है। नर्सिंग स्टाफ ने तत्काल सुरक्षा गार्ड्स को जानकारी दी। करीब आधे घंटे की तलाश के बाद मरीज कोविड वार्ड के पास बैठा मिला। उसके मुंह, ठोड़ी और कोहनी पर चोट के निशान थे। वह सामान्य बातचीत कर रहा था और अपने पैरों में दर्द की शिकायत कर रहा था।

इलाज के दौरान हुई मौत, सुसाइड की खबरों से इनकार
कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में संतोष के अस्पताल की छत से कूदकर आत्महत्या करने की बात कही गई थी। लेकिन इस पर अस्पताल प्रबंधन और परिजन दोनों ने साफ इनकार किया है। ओम प्रकाश ने कहा कि किसी ने संतोष को कूदते नहीं देखा। अधीक्षक डॉ. सोनकर ने भी स्पष्ट किया कि भागदौड़ के दौरान लगी चोटों को आत्महत्या से जोड़ना गलत है। इलाज के दौरान दोपहर करीब 12:30 बजे संतोष की मृत्यु हो गई।
बारिश में डॉग बाइट के मामले बढ़े
इस घटना ने राज्य में रेबीज के प्रति जागरूकता की गंभीर कमी को उजागर किया है। जून महीने में ही रायपुर और बिलासपुर में 558 से अधिक लोग डॉग बाइट के शिकार होकर एंटी रेबीज वैक्सीन लगवाने अस्पताल पहुंचे। केवल रायपुर के अंबेडकर अस्पताल में 337 और बिलासपुर के सिम्स में 221 लोगों को वैक्सीन दी गई। वहीं, सर्पदंश के मामले केवल 41 दर्ज हुए हैं।
सबक: कुत्ते के काटने को कभी न करें नजरअंदाज
संतोष ध्रुव की दुखद मृत्यु इस बात का उदाहरण है कि जानवरों के काटने की घटनाओं को हल्के में लेना जानलेवा हो सकता है। रेबीज एक असाध्य बीमारी है और वैक्सीन ही इसका एकमात्र बचाव है। स्वास्थ्य विभाग और प्रशासन से उम्मीद है कि इस मामले को गंभीरता से लेते हुए लोगों को रेबीज के प्रति जागरूक किया जाएगा।
रिपोर्ट: S Bharat News | बिलासपुर
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