रूस में फिर से पुतिन राज, NATO सहमा, यूक्रेन भी परेशान | Russia Election 2024… – भारत संपर्क

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रूस में फिर से पुतिन राज, NATO सहमा, यूक्रेन भी परेशान | Russia Election 2024… – भारत संपर्क
रूस में फिर से पुतिन राज, NATO सहमा, यूक्रेन भी परेशान

रूस के राष्ट्रपति पुतिन. (फाइल फोटो)

रूस में आम चुनाव हो गए हैं. रविवार को तीसरे और आखिरी दिन की वोटिंग हुई. चुनावी परिणामों भी आने लगे हैं, जिससे ये तय हो गया है कि एक बार फिर व्लादिमीर पुतिन जीत रहे हैं. राष्ट्रपति की कुर्सी पर फिर से पुतिन की ताजपोशी होगी. रूस के इतिहास में स्टालिन ने 29 साल तक राज किया था. अब पुतिन अगला कार्यकाल पूरा कर लेते हैं तो वो 30 साल तक राज करने वाले इकलौते राष्ट्रपति होंगे. दूसरी ओर रूस में पुतिन सरकार की एक बार फिर से वापसी से NATO में खौफ बैठ गया है. साथ ही यूक्रेन भी टेंशन में आ गया है.

नाटो को डर है कि आखिर जिस जंग की शुरुआत पुतिन ने 2 साल पहले की थी उस जंग का अंजाम क्या होगा? कीव पर जिस अटैक को पुतिन ने मिलिट्री ऑपरेशन कहा था उस युद्ध की पूर्णाहुति आखिर कितने बड़े अटैक से होगी. क्योंकि चुनाव जीतने के बाद पुतिन और भी ज्यादा ताकतवर बन जाएंगे. इस जंग ने पिछले 2 साल में बहुत कुछ बदल दिया है. इस जंग ने दुनिया को 2 हिस्सों में बांट दिया है.

इस जंग ने दुनिया के नए वॉरफेयर के तरीके बता दिए हैं. इस जंग ने 2 सुपर पावर को सबसे बड़ा दुश्मन बना दिया है, लेकिन क्या ये जंग थमने वाली है. क्या यूक्रेन में महाविनाश का ये मंजर अब रुकने वाला है? पुतिन ने अमेरिका समेत NATO को सबसे बड़ा सबक सिखाने की कसम खाई थी, लेकिन क्या पुतिन की वो शपथ पूरी होगी, क्या पुतिन सत्ता में बने रहेंगे? ये बड़ा सवाल है.

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मतदान में 11 करोड़ लोगों ने लिया हिस्सा

रूस में 11 करोड़ लोगों ने अपना लीडर चुना है. रूस की जनता उस नेता को चुन रही है जो उनकी आवाज बनेगा, उनके हक के लिए लड़ेगा और दुश्मनों को जवाब देगा. जब वो नेता ताल ठोककर राष्ट्रपति की गद्दी पर बैठेगा तब वो रूस के स्वाभिमान का प्रतीक होगा. इसके दावेदार कई थे, लेकिन सबकी नजर व्लादिमीर पुतिन पर थी. पुतिन पिछले 24 साल से रूस में सत्ता पर काबिज हैं. 4 बार रूस के राष्ट्रपति रह चुके हैं. एक बार रूस के प्रधानमंत्री बन चुके हैं और पांचवीं बार रूस के राष्ट्रपति पद पर बैठने के लिए तैयार हैं. जब वोटिंग के लिए अपील की थी तब जीत का आत्मविश्वास उनके चेहरे पर साफ झलक रहा था.

पुतिन ने कहा था, हम ठीक वैसा ही करेंगे जैसा हम चाहते हैं. इसलिए मैं आपसे अपील करता हूं कि अपने नागरिक अधिकारों का इस्तेमाल करते हुए देशभक्ति निभाइए. अपनी पसंद के उम्मीदवार को चुनिए. जो रूस के कामयाब भविष्य और रूस के लोगों के लिए काम करें.

पुतिन का भविष्य संवारने का वादा

पुतिन ने रूस का भविष्य संवारने का वादा अपनी जनता से किया और सभी एक्सपर्ट्स भी मान रहे थे कि चुनाव में पुतिन का जीतना लगभग तय है. हैरान करने वाली बात तो यह थी कि इस बार के चुनाव मैदान में पुतिन के सामने खड़े कैंडिडेट खुद पुतिन के बड़े समर्थक रहे हैं.

पुतिन के सामने निकोलाई खारितोनोव थे, जो कि रूसी संसद के निचले सदन स्टेट ड्यूमा के सदस्य हैं. 2004 में 14 फीसदी से भी कम वोट मिले थे इस बार उन्हें 4 फीसदी से ज्यादा वोट मिलने का अनुमान है. इसके अलावा लियोनिद स्लत्स्की भी पुतिन के विरोध में मैदान में हैं. लियोनिद लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ रशिया के नेता हैं और पुतिन की ही तरह पश्चिमी देशों के विरोधी हैं. इस बार उनको 5 फीसदी वोट मिलने का अनुमान है. तीसरे नंबर पर दिस्लाव दावानकोव हैं, जो कि स्टेट ड्यूमा के डिप्टी चेयरमैन हैं और राष्ट्रपति पद के लिए सबसे युवा उम्मीदवार भी हैं. इन्हें 5 फीसदी वोट मिलने का अनुमान है.

तीन विरोधी मैदान, लेकिन वो भी पुतिन के समर्थन

पुतिन के खिलाफ खड़े तीनों उम्मीदवार पुतिन की नीतियों और यूक्रेन के खिलाफ जंग के समर्थक हैं. इसलिए रूस में पुतिन की ताजपोशी लगभग तय मानी जा रही थी. इसकी बड़ी वजह है पुतिन का राष्ट्रवाद. यूक्रेन के खिलाफ जंग पुतिन के लिए सिर्फ जमीन का एक टुकड़ा हासिल करने की लड़ाई नहीं है बल्कि इसे पुतिन अपनी पहचान से जोड़ते हैं. अपनी पहचान की लड़ाई में पिछले 2 साल में पुतिन ने यूक्रेन के कई शहरों को श्मशान बना दिया है और ये भी साफ है कि पुतिन अब रुकने वाले नहीं हैं. चुनाव से चंद घंटे पहले पुतिन ने एक इंटरव्यू दिया था.

पुतिन भी जानते थे कि इस इंटरव्यू पर सिर्फ रूस के लोगों की नजर नहीं होगी. बल्कि इस इंटरव्यू को NATO देशों के साथ बाइडेन भी ध्यान से सुनेंगे और पुतिन अपना काम कर गए. वेस्ट को न्यूक्लियर धमकी देकर बता दिया कि यूक्रेन में बारूदी विनाश थमेगा नहीं. पुतिन ने दो टूक कह दिया कि वो न्यूक्लियर अटैक से पीछे नहीं हटेंगे बल्कि उनके पास तो अमेरिका से भी ज्यादा ताकतवर न्यूक्लियर हथियार हैं.

(टीवी9 ब्यूरो रिपोर्ट)

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