आतंकवाद को पुतिन का जवाब, मास्को हमले के बीच अंतरिक्ष में भेजा सोयूज रॉकेट, दुनिया कर… – भारत संपर्क

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आतंकवाद को पुतिन का जवाब, मास्को हमले के बीच अंतरिक्ष में भेजा सोयूज रॉकेट, दुनिया कर… – भारत संपर्क
आतंकवाद को पुतिन का जवाब, मास्को हमले के बीच अंतरिक्ष में भेजा सोयूज रॉकेट, दुनिया कर रही सलाम

मास्को हमले के बीच रूस ने अंतरिक्ष में भेजा सोयूज रॉकेट

मॉस्को के कॉन्सर्ट हॉल में दो दशक के सबसे बड़े आतंकी हमले के बावजूद, रूस ने अंतरिक्ष के लिए एक बड़ी उड़ान भरी है. रूस ने अपने सोयूज रॉकेट को तीन अंतरिक्ष यात्रियों को लेकर अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आईएसएस) के लिए रवाना कर दिया है. लांच के दो दिन पहले, इसका लांच अंतिम मिनट में टाल दिया गया था. जिसके बाद शनिवार 23 मार्च को नासा के अंतरिक्ष यात्री ट्रेसी डायसन, रूस के ओलेग नोवित्स्की, और बेलारूस की मरीना वासिलिव्स्काया को साथ लेकर यह अंतरिक्ष यान बैकोनूर लांच सेंटर से रवाना हुआ है.

लांच रुकने का मुख्य कारण बिजली में वोल्टेज की कमी थी, जिससे लांच के निर्धारित समय में रोक लग गई थी. लेकिन 22 मार्च को रूस के मॉस्को में कॉन्सर्ट हॉल पर हमला हो गया. जिसके बाद कयास लगाये जा रहे थे, शायद ये लांच और अधिक समय के लिए ताल दिया जाएगा. लेकिन इसके बावजूद पुतिन अपने इरादों से डिगे नहीं और रूसी राकेट को अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर भेज दिया.

6 अप्रैल को पृथ्वी पर लौटेंगे एस्ट्रोनॉट

यदि इस यात्रा का अंत निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार होता है जिसमें यात्रा बहुत छोटी होती जाती है और उसमें केवल दो कक्षाओं की जरूरत होती है. हालांकि अब लांच के बाद सोमवार को अंतरराष्ट्रीय समय के अनुसार दोपहर तीन बजकर दस मिनट पर आईएसएस से जुड़ने की उम्मीद है. इस यात्रा के बाद नोवित्स्की, वासिलिव्स्काया और ओ’हारा को 6 अप्रैल को पृथ्वी पर लौटना है.

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सोयूजऔर ड्रैगन से ही आईएसएस पर जाना संभव

सोयूज और ड्रैगन से एस्ट्रोनॉट आईएसएस पर जाते हैं. रूस के सोयूज स्पेसक्राफ्ट और अमेरिका के बिलेनियर एलन मस्क की कंपनी स्पेसएक्स के ड्रैगन स्पेसक्राफ्ट के जरिए एस्ट्रोनॉट्स को इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन तक पहुंचाया जा सकता है और वापस पृथ्वी पर लाया जाता है. आईएसएस के लिए सोयुज का इस्तेमाल 24 साल से किया जा रहा है. साल 2011 तक नासा के स्पेस शटल से भी एस्ट्रोनॉट आईएसएस पर जाते थे, लेकिन कई हादसों के बाद नासा को ये स्पेस शटल रिटायर करना पड़ा था. इसके बाद 9 साल तक अमेरिका रूस के सोयूजस्पेसक्राफ्ट पर निर्भर हो गया था. जानकारी के लिए आपको बता दे, इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन पृथ्वी से लगभग 400 किलोमीटर ऊपर है. एस्ट्रोनॉट माइक्रो ग्रेवेटी इनवॉयरमेंट में कई तरह के एक्सपेरिमेंट करने के लिए वहां जाते हैं.

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