रजगामार खदान को पर्यावरणीय स्वीकृति का इंतजार, पिछले साल से…- भारत संपर्क

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रजगामार खदान को पर्यावरणीय स्वीकृति का इंतजार, पिछले साल से बंद है खनन

कोरबा। एसईसीएल कोरबा एरिया की ओर से रजगामार में भूमिगत कोयला खदान का संचालन किया जाता है। यह खदान पिछले साल से अघोषित तौर पर बंद है। यहां से कोयला बाहर नहीं निकल रहा है। इसका बड़ा कारण पर्यावरणीय स्वीकृति में हो रही देरी को बताया गया है।खनन चालू करने के लिए कोयला कंपनी को पर्यावरणीय स्वीकृति का इंतजार है लेकिन स्वीकृति नहीं मिल रही है। इसका बड़ा कारण खदान के आसपास वन भूमि का होना है। इधर कंपनी की कोशिश है कि जैसे ही यहां से कोयला खनन शुरू होगा उत्पादन बढ़ाने के लिए कंटीन्यूअस माइनर मशीन लगाई जाएगी। यह मशीन ठेका कंपनी की ओर से लगाई जाएगी। इसके लिए कंपनी ने जरूरी औपचारिकताएं पूरी कर ली है। नागपुर की एक कंपनी रजगामार में कंटीन्यूअस माइनर मशीन लगाने के लिए तैयार है लेकिन पर्यावरणीय स्वीकृति में देरी से पेंच फंसा हुआ है।
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सरायपाली खदान में भी कोयला खनन बंद
इसी तरह विकासखंड पाली अंतर्गत स्थित एसईसीएल की सरायपाली खदान में कोयला खनन बंद है। इसकी वजह ठेकेदार और मजदूरों के बीच चल रहा विवाद है। बताया जाता है कि ठेका कंपनी की ओर से कर्मचारियों को समय पर वेतन का भुगतान नहीं किया जा रहा है, इससे कर्मचारी नाराज हैं। कर्मचारी खदान में होने वाले ओबी और कोयला खनन के कार्य को बंद कर रखा है। इसका बड़ा असर उत्पादन पर पड़ रहा है। कंपनी को आर्थिक नुकसान हो रहा है। इधर कंपनी की कोशिश है कि ठेका कंपनी और उसके कर्मचारियों के बीच चल रहा विवाद जल्द खत्म हो ताकि आगे कोयला खनन को शुरू किया जा सके।
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जमीन की संकट से जूझ रही खदानें
कोल इंडिया की सहयोगी कंपनी साउथ इस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड कोयला खनन के लिए जमीन की संकट से जूझ रही है। जमीन की कमी के कारण कोयला खदानें एक-एक कर उत्पादन से बाहर हो रही हैं या वे अपने लक्ष्य के अनुसार खनन नहीं कर पा रही हैं। इससे कंपनी की समस्या समय के साथ गंभीर होती जा रही है। यह समस्या सबसे अधिक कोरबा जिले में स्थित मेगा प्रोजेक्ट गेवरा, दीपका और कुसमुंडा को लेकर सामने आ रही है। इसके साथ-साथ जमीन की समस्या से कोरबा शहर से लगी मानिकपुर कोयला खदान भी जूझ रही है। विकासखंड पाली में हाल ही में शुरू हुई अंबिका खदान की स्थिति भी ठीक नहीं है। इसके अलावा छत्तीसगढ़ में अन्य कोयला खदानों की स्थिति भी संतोषजनक नहीं है। इसे देखते हुए एसईसीएल के नए सीएमडी सह अध्यक्ष हरीश दुहन ने मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय से मुलाकात किया। संक्षिप्त चर्चा के दौरान सीएमडी ने साय से कोयला खदानों के विस्तार के लिए जमीन अधिग्रहण की जरूरत की जानकारी दिया। साथ ही पर्यावरणीय स्वीकृति में हो रही देरी को लेकर भी चर्चा किया।

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Arvind Rathore


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