राजगढ़ लोकसभा सीट: पार्टी का नहीं किलों का बोलबाला… 8 बार चुने गए राजघरान… – भारत संपर्क

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राजगढ़ लोकसभा सीट: पार्टी का नहीं किलों का बोलबाला… 8 बार चुने गए राजघरान… – भारत संपर्क

राजगढ़ लोकसभा सीट की राजनीति कई मामलों में बेहद खास है, यहां पर पार्टी की राजनीति का असर कम बल्कि क्षेत्र में मौजूद किलों का असर ज्यादा दिखाई देता है. राघोगढ़ के राजघराने से पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह यहां से दो बार चुने गए, उनके भाई लक्ष्मण सिंह यहां से चार बार लोकसभा चुनाव जीते हैं. इनके अलावा यहां से नरसिंहगढ़ के राजा भानु प्रकाश सिंह निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में जीत दर्ज कर चुके हैं. इस क्षेत्र की राजनीति कैसी भी हो लेकिन यहां की सुंदरता बस देखते ही बनती है.
इस क्षेत्र में दो नदियां मुख्य रूप से हैं जिनमें एक नेवज नदी, दूसरी काली सिंध नदी. इन दोनों ही नदियों पर बांध बनाने की योजना पर काम किया जा रहा है. यहां की कृषि भूमि का अधिकांश हिस्सा इन्ही नदियों पर सिंचाई के लिए निर्भर है. राजगढ़ में दर्शनीय और धार्मिक स्थलों की बात की जाए तो यहां पर कई ऐसी मशहूर जगहें हैं जहां पर हजारों की संख्या में श्रद्धालु जाते हैं. लोकसभा में स्थित नरसिंहगढ़ शहर झीलों के शहर के नाम से मशहूर है. वहीं यहां का प्रचीन किला आज भी राजाओं के शौर्य की गाथा गा रहा है.
इस क्षेत्र में टोपिला महादेव का मंदिर भी है जो कि स्थानीय लोगों के लिए विशेष आस्था का केंद्र है. अन्य स्थानों की बात की जाए तो यहां घुरेल पशुपतिनाथ मंदिर है, जीरापुर में तिरुपति बालाजी मंदिर है, सुठालिया में वैष्णो देवी मंदिर है, ब्यावरा में अंजनीलाल मंदिर है, सारंगपुर में भेसवामाता (बीजासन माता) मंदिर है, राजगढ़ में श्रीनाथ जी मंदिर, खिलचीपुर में शनिदेव मंदिर यहां के प्रमुख स्थान हैं.
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यहां स्थित कालीसिंध नदी पर कुंडालिया डैम बनाया गया है, इस परियोजना को 3448 करोड़ में पूरा किया जा रहा है. इसके जरिए हाई प्रेशर पाइप डालकर ज्यादा से ज्यादा किसानों तक सिंचाई के पानी पहुंचाया जाएगा. नेवज नदी पर भी मोहनपुरा डैम बनाया जा रहा है. इसे भी जल्द पूरा करने के बाद क्षेत्र के किसानों को जलापूर्ति की जाएगी.
राजनीतिक ताना-बाना
राजगढ़ लोकसभा सीट को राजगढ़ जिले और गुना और आगर मालवा जिले के कुछ हिस्सों को मिलाकर बनाया गया है. इस लोकसभा सीट में भी कुल आठ विधानसभाएं हैं जिनमें चाचौरा, राघौगढ़, नरसिंह गढ़, ब्यावरा, राजगढ़, खिलचीपुर, सारंगपुर और सुसनेर शामिल हैं. इन सभी विधानसभाओं में सिर्फ 2 पर कांग्रेस का कब्जा है जबकि बाकी पर बीजेपी ने जीत का परचम लहराया है.
अगर लोकसभा चुनावों की बात की जाए तो यहां पहले 2 लोकसभा में कांग्रेस को जीत मिली. इसके बाद 1962 में यहां से नरसिंहगढ़ के राजा भानु प्रकाश सिंह ने निर्दलीय चुनाव लड़ा और जीते. इसके बाद यह सीट कभी किसी एक पार्टी के पास ज्यादा लंबे वक्त तक नहीं रही. इस सीट से पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह दो बार चुनाव जीत चुके हैं और लक्ष्मण सिंह 5 बार चुनाव जीत चुके हैं. फिलहाल यह लोकसभा सीट बीजेपी के पास ही है.
पिछले चुनाव में क्या रहा?
पिछले चुनाव की बात की जाए तो यहां से बीजेपी ने एक बार फिर से रोडमल नागर पर विश्वास दिखाया था और चुनावी मैदान में उतारा था. उनके प्रतिद्वंद्वी के रूप में कांग्रेस ने मोना सुस्तानी को टिकट दिया था. इस चुनाव में बीजेपी के रोडमल को 8.23 लाख वोट मिले थे जबकि कांग्रेस की मोना को 3.92 लाख वोट मिले थे. इस चुनाव में रोडमल नागर ने मोना सुस्तानी को 4.31 लाख वोटों के भारी-भरकम अंतर से हराया था.

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