बिना ब्याज दरें बढ़ाए कैसे कम होगी महंगाई, RBI के पास है ये…- भारत संपर्क

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बिना ब्याज दरें बढ़ाए कैसे कम होगी महंगाई, RBI के पास है ये…- भारत संपर्क
बिना ब्याज दरें बढ़ाए कैसे कम होगी महंगाई, RBI के पास है ये 6 बड़ी चुनौतियां

RBI Governor ने लगातार 7वीं बार ब्‍याज दरों को फ्रीज रखा है.Image Credit source: (PTI Photo)

रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के गवर्नर ने एमपीसी में लगातार 7वीं बार ब्याज दरों को फ्रीज रखने का ऐलान किया. जिसकी उम्मीद सभी को थी. टीवी9 भारतवर्ष ने अपने पहले की रिपोर्ट में कहा था कि आरबीआई गवर्नर और उनका पैनल बढ़ते कच्चे तेल के दामों को दिमाग में जरूर रखेगा. उन्होंने इस बात का जिक्र भी किया.

उन्होंने कहा कि उनकी नजरें कच्चे तेल की कीमतों पर टिकी हुई हैं. वैसे उन्होंने कहा है कि भारत में फ्यूल पर डिफ्लेशन और गहरा सकता है. अब ये सवाल सबसे बड़ा है कि कच्चे तेल के दाम 91 डॉलर प्रति बैरल पर है. जिसके जून तक 95 डॉलर प्रति बैरल जाने की संभावना है. ऐसे में फ्यूल की कीमतों में किस तरह से कटौती देखने को मिलेगी.

मार्च के महीने में एलपीजी सिलेंडर की कीमतों के साथ पेट्रोल और डीजल की कीमत में ​कटौती देखने को मिली थी. एलपीजी सिलेंडर के दाम में 100 रुपए की कटौती 30 अगस्त के बाद देखने को मिली. वहीं दूसरी ओर पेट्रोल और डीजल के दाम में 2 रुपए प्रति लीटर की कटौती दो साल के बाद आई थी. आइए आपको भी बताते हैं कि आखिर आने वाले दिनों में पेट्रोल और डीजल के दाम में कटौती करना कितनी बड़ी चुनौती बन सकती है.

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कच्चे तेल के दाम में इजाफा

आरबीआई गवर्नर ने कहा कि उनकी कच्चे तेल की कीमतों में नजरें बनर रहेंगी. ये काफी जरूरी भी है. जियो पॉलिटिकल टेंशन अपने चरम पर है. ओपेक के दूसरे सबसे बड़े प्रोड्यूसर ईरान पर अमेरिकी सरकार की ओर से आर्थिक प्रतिबंध लगाने का ऐलान किया गया है. जिसकी वजह से कच्चे तेल के दाम में इजाफा देखने को मिल रहा है. जिसकी वजह से ब्रेंट क्रूड ऑयल की कीमत 91 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गई है. वहीं दूसरी ओर अमेरिकी तेल की कीमतें 87 डॉलर प्रति बैरल के पार चले गए हैं. जानकारों की मानें तो आने वाले दिनों में कच्चे तेल की कीमतों में और इजाफा देखने को मिल सकता है.

जून में 95 डॉलर होने की आशंका

आरबीआई गवर्नर ओर सरकार दोनों के लिए चुनौतियां और ज्यादा बढ़ने की संभावना है. जानकारों की मानें तो चीन की ओर से डिमांड बढ़ने और जियो पॉलिटिकल टेंशन के कारण कच्चे तेल के दाम 95 डॉलर प्रति बैरल पहुंचने की संभावना जताई जा रही है. जून के महीने में भारत में नई सरकार देश में सत्ता संभालेगी. ऐसे में सस्ते पेट्रोल और डीजल की संभावनाओं पर विराम लगना तय है. एक जानकर ने नाम ना प्रकाशित करने की शर्त पर बताया कि जून के महीने में अगर क्रूड ऑयल के 95 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंचते हैं तो फ्यूल के दाम में इजाफा देखने को मिल सकता है.

नुकसान नहीं बढ़ाएंगी पेट्रोलियम कंपनियां

जब पेट्रोलियम कंपनियों ने पेट्रोल और डीजल की कीमत में 2 रुपए प्रति लीटर की कटौती की गई तो अनुमान लगाया गया था कि उन्हें सालाना आधार पर प्रोफिट में 30 हजार करोड़ रुपए की कमी देखने को मिल सकती है. अगर कच्चे तेल की कीमतों में इजाफा जारी रहता है तो जून के महीने में नई सरकार आने के बाद पेट्रोल और डीजल के दाम में इजाफा देखने को मिलेगा. पेट्रोलियम कंपनियां अपने नुकसान को और ज्यादा बढ़ाने का रिस्क नहीं लेंगी. अगर जून में पेट्रोलियम कंपनियां फ्यूल की कीमतों में कोई बदलाव नहीं करता है तो ये नुकसान और भी बढ़ सकता है.

फ्यूल के दाम में कटौती संभावना ना के बराबर

वहीं दूसरी ओर फ्यूल में कटौती की संभावना तब तक ना के बराबर है, जब तक अमेरिकी प्रोडक्शन अपने चरम पर नहीं पहुंच जाता. साथ ही खाड़ी देश अपने प्रोडक्शन कट को एक्सटेंड ना करते प्रोडक्शन में इजाफा नहीं करते. जिसकी उम्मीदें कम ही देखने को मिल रही है. जानकारों की मानें तो अमेरिकी प्रोडक्शन में तो इजाफा होगा ही, लेकिन ओपेक अगर जून के बाद भी अपने प्रोडक्शन कट को एक्सटेंड कर देता है तो मुसीबतें और भी ज्यादा बढ़ सकती है. दूसरी ओर यूक्रेनी हमले की वजह से रूसी रिफाइनरीज को काफी नुकसान पहुंचा है. साथ ही लाल सागर की स्थितियां ठीक नहीं है. ऐसे में बढ़े हुए कच्चे तेल के दाम के बीच भारत में पेट्रोल और डीजल की कीमतें कैसे कम होगी ये अपने आम में बड़ी चुनौती होगी.

कैसे महंगाई होगी कम?

वैसे आरबीआई ने इस बार सामान्य मानसून का अनुमान लगाया है. जिसकी वजह से मौजूदा वित्त वर्ष के लिए पहली तिमाही का महंगाई अनुमान 4.9 फीसदी, दूसरी तिमाही में 3.8 फीसदी, तीसरी तिमाही में 4.6 फीसदी और चौथी तिमाही में 4.5 फीसदी रखा है. आरबीआई गवर्नर ने कहा कि कि पूरे वित्त वर्ष में महंगाई 4.5 फीसदी रह सकती है. महंगाई को इस लेवल पर लेकर आना भी आरबीआई के बड़ी चुनौती है. देश में हीट वेव शुरू हो चुकी है. जिसकी वजह से देश खेती, फल और सब्जियों के नुकसान का अनुमान लगाया है. पॉवर कंजंप्शन कॉस्ट में बढ़ोतरी देखने को मिल सकती है. अगर पेट्रोलियम कंपनियां फ्यूल में इजाफा करती हैें तो महंगाई में इजाफा होगा ही. ऐसे में इन अनुमानों के आसपास भी आंकड़ों को रखना आरबीआई के लिए काफी टफ टास्क साबित हो सकता है.

अमेरिका में भी संकट

ताज्जुब की बात तो ये है कि अमेरिका भी इसी संकट से जूझता हुआ दिखाई दे रहा है. ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के अनुसार निर्मल बैंग इंस्टीट्यूशनल इक्विटीज प्राइवेट लिमिटेड की अर्थशास्त्री टेरेसा जॉन ने ब्लूमबर्ग को बताया, ब्याज दर में कटौती के लिए फेड का बेस जून का महीना था. जिसे अब अगस्त या अक्टूबर तक खिसकाया जा सकता है. इंटरनेशनल मार्केट में क्रूड ऑयल की कीमत की वजह से अमेरिका में अभी तक महंगाई के आंकड़ें उस लेवल पर नहीं आ सकी है, जिसका फेड अनुमान लगा रहा था. फेड चीफ जेरोम पॉवेल भी इसको लेकर काफी आशंकित हैं. वहीं दूसरी ओर भारत के सबसे बड़े लेंडर एसबीआई ने अनुमान लगाया है कि आरबीआई ब्याज दरों में तीसरी तिमाही में कटौती कर सकती है. वैसे इसकी संभावना भी काफी कम ही देखने को मिल रही है.

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