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जिले की 10 परियोजना में संचालित होगा रेडी टू ईट फूड का निर्माण, समूहों के योग्यता क्रम निर्धारण पर उठे सवाल, करीबियों को उपकृत करने की चर्चा

कोरबा। छत्तीसगढ़ में पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार के दौरान आंगनबाड़ी केंद्रों में बंटने वाले रेडी टू ईट फूड के निर्माण का काम महिला समूहों से वापस लेते हुए मशीनों की सहायता से इसके निर्माण का काम बीज निगम को दे दिया गया था।जिससे महिला समूह बेरोजगार हो गई थी।भाजपा ने अपने चुनावी घोषणा पत्र में पूर्व के अनुरूप महिला समूहों को अपनी सरकार के बनने के बाद दोबारा यह काम देने का वादा किया था। वादे के तहत प्रदेश के 6 जिलों में इसे पायलट प्रोजेक्ट के तहत शुरू किया गया है।जिसमें कोरबा जिला भी शामिल है। मगर सुशासन के राज में भी महिला समूहों के अच्छे दिन नहीं आए हैं। जिले में इसकी प्रक्रिया चल रही है। महिला समूहों की बजाय यह काम परियोजना से संचालित होगा। जिले में 10 परियोजना है। अब 10 परियोजना से रेडी टू ईट निर्माण का काम संचालित होगा। जिले भर में कोरबा शहरी में 9 सेक्टर, कोरबा ग्रामीण में 12 सेक्टर, कटघोरा में 12 सेक्टर, पाली में 14 सेक्टर, करतला में 9 सेक्टर, बरपाली में 7 सेक्टर, पोड़ी उपरोड़ा में 10 सेक्टर, पसान में 7 सेक्टर, चोटिया में 5 सेक्टर और हरदीबाजार में परियोजना में 7 सेक्टर हैं। इस प्रकार से अब 10 परियोजना से संचालित होकर जिले के 93 सेक्टर समूह तक रेडी टू ईट पहुंचाई जाएगी। वही जिले में कुल 2598 आंगनबाड़ी केंद्र है। यह पायलट प्रोजेक्ट अभी छत्तीसगढ़ के 6 जिलों में संचालित किया गया है। जिसमें बस्तर, दंतेवाड़ा, सूरजपुर, रायगढ़, बलौदा बाजार सहित कोरबा भी शामिल है। छत्तीसगढ़ में बीते कई सालों से आंगनबाड़ी के बच्चों के अलावा गर्भवती, धात्री महिलाओं तथा किशोरियों के लिए पौष्टिक आहार रेडी टू ईट बनाने का काम महिला स्व-सहायता समूहों से कराया जा रहा था। इस कार्य में होने वाली आय के चलते इसमें शामिल महिलाएं आर्थिक रूप से सशक्त हुईं। इस बीच रेडी टू ईट बनाने का काम महिला समूहों से वापस लेकर छत्तीसगढ़ राज्य कृषि एवं बीज विकास निगम को दे दिया गया था। हालांकि राज्य में इसका काफी विरोध हुआ। अब भाजपा शासन काल में काम को बीज विकास निगम की बजाय 10 परियोजना के हवाले कर दिया गया है। इसके लिए महिला एवं बाल विकास विभाग ने सक्षम आंगनबाड़ी एवं पोषण 20 के तहत पूरक पोषण आहार व्यवस्था अंतर्गत रेडी टू ईट एवं फोर्टीफाईड आटा का परियोजना स्तर पर स्थापित युनिट के माध्यम से निर्माण एवं आपूर्ति के लिए महिला स्व सहायता समूहों के दावा आपत्ति आमंत्रित की थी।महिला स्व सहायता समूहों के चयन एवं कार्य से पृथक करने की प्रक्रिया का निर्धारण के लिए अभिरूचि का प्रस्ताव इच्छुक सक्षम महिला स्व सहायता समूहों से 07.04.2025 से 21.04.2025 तक कार्यालयीन समय सायं 5.00 बजे तक आवेदन डाक/कोरियर के माध्यम से आमंत्रित किया गया था।आवेदनों का जिला स्तरीय रेडी टू ईट चयन समिति द्वारा आवेदनों का सूक्ष्म परीक्षण कर अंको की गणना कर अंक प्रदाय किया गया है। तत्पश्चात् योग्यता क्रम निर्धारण कर प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय स्थान दिया गया है। प्रावधिक सूची तैयार कर 15.05.2025 से 20.05.2025 तक कार्यालयीन समय में दावा आपत्ति आमंत्रित किया गया था। सूत्रों की मानें तो जो सूची तैयार की गई है उसमें भाजपा से जुड़ी महिलाओं के समूह को तरजीह दी गई है। ऐसे में योग्यता क्रम निर्धारण पर सवाल उठने लगे हैं। कहीं ऐसा ना हो जाए कि ना खाऊंगा और ना खाने दूंगा की सरकार में कुपोषण के खिलाफ जंग खाने (भ्रष्टाचार) का जरिया ना बन जाए।

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बैंक अकाउंट में 40 से 50 लाख रुपया जमा !

विश्वस्त सूत्रों की मानें तो जिन समूह को प्रथम में लाया गया है, उसे समूह के आवेदन करने से पहले उनके बैंक अकाउंट में 40 से 50 लाख रुपया जमा कर दिया गया। और उक्त राशि को कुछ दिन बाद पुनः बैंक से निकाल भी लिया गया है। जबकि उससे पहले 5 साल तक किसी प्रकार का कोई भी लेनदेन इतनी बड़ी राशि का समूह के खाता में नहीं हुआ है। सवाल उठता है कि आखिर इतनी बड़ी राशि समूह के पास अचानक से कैसे आ गया? यह प्रदेश की जांच एजेंसियों के लिए जांच का विषय हो सकता है?

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