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केंद्रीय विद्यालयों में रोड सेफ्टी लर्निंग मॉड्यूल किया गया लॉन्च, मंथली कैलेंडर में जुड़ा 40 मिनट का कोर्स

कोरबा। देश के विकास में सडक़ सुरक्षा एक बड़ी परेशानी बनी हुई है, जिसके लिए जनरेशनल चेंज जरूरी है। इस पर फोकस करते हुए देशभर के केंद्रीय विद्यालयों में रोड सेफ्टी लर्निंग मॉड्यूल सुरक्षित सफर को लॉन्च किया गया है। सडक़ सुरक्षा को लेकर बच्चों को छोटी उम्र में ही जागरूक करना इसका उद्देश्य है। इसी उद्देश्य के लिए सडक़ सुरक्षा, पैदल यात्री की सुरक्षा, हेलमेट और सीट बेल्ट से जुड़े बेसिक्स पर मॉड्यूल्स बनाए गए हैं। इसमें वे सभी प्राइमरी गैजेट्स हैं, जो सुरक्षा को लेकर एक बड़ा बदलाव ला सकते हैं। तैयार किए गए मॉडल्स को केंद्रीय विद्यालय संगठन ने अपने मंथली कैलेंडर में जोड़ लिया है। इन मॉडल्स में कुल 40 मिनट का कोर्स है। यह इंटरेक्टिव और इंटरेस्टिंग तरीके से तैयार किया गया है। प्राइमरी के बच्चों की समझ को ध्यान में रखते हुए हमने कछुए और कंगारू से जोडक़र रोड सेफ्टी को लेकर जागरूक करने की कोशिश की है। कछुए के हार्डशेल को हेलमेट का उदाहरण देते हुए व कंगारू के पाउच को सेफ्टी बेल्ट का उदाहरण देते हुए मां-बच्चे के रिश्ते को लेकर एक स्टोरी बनाई गई है। सडक़ सुरक्षा सुनिश्चित करने सामाजिक जागरूकता के साथ भावी पीढ़ी में सामाजिक जिम्मेदारी निभाने और आम जागरूकता के लिए पहल का भाव जागृत करना होगा।इसे ध्यान में रखते हुए इस पायलट प्रोग्राम को तैयार किया गया है। फिलहाल यह मॉड्यूल अंग्रेजी और हिंदी में लाई जा रही है, भविष्य में इसे दूसरी भाषाओं में भी लाया जाएगा। इस पहल को एक पायलट प्रोजेक्ट के तहत केंद्रीय विद्यालय में लाया जा रहा है। इसकी सफलता के बाद नवोदय विद्यालय और राज्य के स्कूलों तक भी इसे आगे बढ़ाया जाएगा। मिडिल और सेकेंडरी स्कूल के बच्चों के लिए तैयार किए जा रहे कोर्स में हमने बहुत ही दिलचस्प तरीके से मॉडल्स बनाए हैं, जिसमें 3डी एनिमेशन का भी इस्तेमाल किया गया है। इसके अलावा, डे-टू-डे लाइफ में कैरेक्टर्स क्रिएट किए गए हैं। 30 मिनट के सेशन के बाद बच्चों के लिए एक क्विज भी तैयार किया गया है, जिसमें सही और गलत जवाब चुनने होंगे। अच्छा प्रदर्शन करने वाले बच्चों को सर्टिफिकेट दिया जाएगा। अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाने वाले बच्चों को फिर से प्रोत्साहित किया जाएगा। अभी यह पहल अंग्रेजी और हिंदी में लाई जा रही है, भविष्य में इसे दूसरी भाषाओं में भी लाया जाएगा। इस पहल को एक पायलट प्रोजेक्ट के तहत केंद्रीय विद्यालय में लाया जा रहा है। इसकी सफलता के बाद नवोदय विद्यालय और राज्य के स्कूलों तक भी इसे आगे बढ़ाया जाएगा।

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