*रोहताशगढ़ तीर्थ यात्रियों का गोड धोवनी कार्यक्रम जशपुर के सिनगी दई कैली दई…- भारत संपर्क

जशपुरनगर। देश के विभिन्न राज्यों में रहने वाले उरांव जनजाति के लोग अपने पुरखों की धरती का दर्शन करने के लिए माघ पूर्णिमा के अवसर पर बिहार के रोहताशगढ़ हजारों की संख्या में पहुंचते हैं और अपने पुरखों की धरती को प्रणाम करते हैं उरांव समाज की दंत कथाओं एवं पारंपरिक गीतों में रोहताशगढ़ की कई कथाएं प्रचलित हैं मान्यता है कि कभी उरांव समाज के लोग रोहतास गढ़ के राजा हुआ करते थे कालान्तर में मुगलों के आक्रमण के बाद उनसे समाज की महिलाओं ने सीनगी द ई और केली दई के नेतृत्व में मुगलों की सेना को तीन बार पराजित किया था चौथी बार उनका राज खुल जाने से वे पराजित हुई और उन्हें महल छोड़कर जंगलों की और पलायन करना पड़ा ,आज भी इस जीत की याद में प्रत्येक बारह वर्षों में जनी शिकार की परम्परा निभाई जाती है। पिछले 18 वर्षों से समाज के लोग माघ पूर्णिमा के अवसर पर रोहताश गढ़ की तीर्थ यात्रा करते आ रहे हैं रोहताश गढ़ तीर्थ समिति के राष्ट्रीय संयोजक गणेश राम भगत ने बताया कि देश में उरांव समाज के लोगों को उनकी रीति रिवाज परंपराओं से विमुख कर उनका धर्मांतरण किया गया किन्तु जब से रोहताश गढ़ की तीर्थ यात्रा स्व जगदेव राम उरांव और हम लोगों ने मिलकर शुरू किया तब से उरांव जाति के लोगों ने अपने पूर्वजों के प्रति दृढ़ विश्वास हुआ है और धर्मांतरण की गति धीमी हुई है इसलिए रोहताश गढ़ की तीर्थ यात्रा कर वापस आए लोगों का समाज की परम्परा के अनुसार उनके पैर धोकर उनका सम्मान हम करते हैं और इस अवसर पर सामूहिक भोज का आयोजन भी किया जाता है जिसमें छत्तीसगढ़ झारखंड के प्रतिनिधि शामिल होते हैं।इस अवसर पर उरांव समाज के जिला अध्यक्ष श्री राम राम ,अनुरंजन भगत,शिया राम , करुणा भगत, रामकुमार भगत झारखंड से आए संदीप उरांव, सन्नी उरांव सहित रामप्रकाश पाण्डेय,देवेंद्र गुप्ता एवं अन्य प्रतिनिधि शामिल हुए।