रूद्र चण्डी महायज्ञ एवं श्रीमद् देवी भागवत कथा, चौथे दिन माँ…- भारत संपर्क

0
रूद्र चण्डी महायज्ञ एवं श्रीमद् देवी भागवत कथा, चौथे दिन माँ…- भारत संपर्क

श्री पीतांबरा पीठ त्रिदेव मंदिर सुभाष चौक सरकंडा बिलासपुर छत्तीसगढ़ में चैत्र नवरात्र उत्सव हर्षोल्लास के साथ मनाया जा रहा है।इसी कड़ी में नवरात्रि के चौथे दिन माँ श्री ब्रह्मशक्ति बगलामुखी देवी का पूजन श्रृंगार कूष्माण्डा देवी के रूप में किया गया एवं प्रातः कालीन श्री शारदेश्वर पारदेश्वर महादेव का रुद्राभिषेक नमक चमक विधि के द्वारा किया गया तत्पश्चात रूद्र चण्डी महायज्ञ एवं दुर्गा सप्तशती पाठ देवघर झारखंड से पधारे यज्ञाचार्य गिरधारी वल्लभ झा के नेतृत्व में विद्वानों के द्वारा निरंतर किया जा रहा है।

पीठाधीश्वर आचार्य डॉ दिनेश जी महाराज ने बताया कि देवी कूष्माण्डा” माँ दुर्गा का चौथा स्वरूप हैं। इन्हें इस नाम से इसलिए जाना जाता है क्योंकि इन्होंने अपनी हल्की मुस्कान से ब्रह्मांड यानी ‘अण्ड’ को उत्पन्न किया था। जब सृष्टि नहीं थी, चारों तरफ अंधकार ही अंधकार था, तब इन्हीं देवी ने अपनी मुस्कान से ब्रह्मांड की रचना की थी। इसलिए इन्हें सृष्टि की आदि-स्वरूपा, आदि शक्ति कहा जाता है। इनके पहले ब्रह्मांड का अस्तित्व ही नहीं था।

श्री पीतांबरा पीठ कथा मंडप से कथा व्यास आचार्य श्री मुरारी लाल त्रिपाठी राजपुरोहित कटघोरा ने बताया कि हमारा ब्रह्मांड बहुत बड़ा है और और प्रत्येक ब्रह्मांड में एक-एक ब्रह्मा विष्णु महेश है परंतु देवी देवी तो सिर्फ एक ही है व्यास जी ने कहा कि राधा कृष्ण में कोई भेद नहीं शिव पार्वती में कोई भेद नहीं मां तो ऐसी होती है बालों को कष्ट में देख कर सबसे ज्यादा पीड़ा जो है वह मां को ही होती है।कथा के मध्य में बताया गया कि एक बार ब्रह्माजी और भगवान विष्णु में विवाद छिड़ गया कि दोनों में श्रेष्ठ कौन है? इसका फैसला स्वयं महादेव को करना था। तभी वहां एक विराट ज्योतिपुंज प्रकट हुआ। इस पर शिव जी ने कहा कि ब्रह्मा और विष्णु में से जो भी इस ज्योतिपुंज का आदि या अंत बता देगा, वो ही श्रेष्ठ कहलाएगा।ब्रह्माजी ने ज्योतिर्लिंग का आरंभ खोजने के लिए नीचे की ओर जाने का निर्णय लिया और विष्णु भगवान ज्योतिर्लिंग का अंत खोजने ऊपर की ओर चल पड़े।नीचे की ओर जाते समय ब्रह्माजी ने देखा कि एक केतकी फूल भी उनके साथ नीचे आ रहा है।ब्रह्माजी ने केतकी के फूल को खुद के पक्ष में झूठ बोलने के लिए राजी कर लिया और महादेव के पास पहुंचकर कहा कि उन्होंने पता लगा लिया है कि ज्योतिर्लिंग कहां से उत्पन्न हुआ उन्होंने केतकी के फूल को इस बात का साक्षी बताया।वहीं दूसरी तरफ विष्णु भगवान ने लौटकर महादेव से कहा कि वे इस शिवलिंग का अंत ढूंढ पाने में असमर्थ रहे हैं।ब्रह्मा जी ने केतकी के फूल से अपने पक्ष में झूठ बुलवाया।लेकिन महादेव तो अंतर्यामी हैं और वे सच जानते थे। इसलिए उन्हें इस झूठ पर बहुत क्रोध आया और उन्होंने ब्रह्मा जी का एक सिर काट दिया और केतकी के पुष्प को झूठ बोलने के लिए दंडित करते हुए कहा कि आज के बाद इस पुष्प का इस्तेमाल कभी भी मेरी पूजा में नहीं किया जा सकेगा। मैं इस पुष्प को कभी स्वीकार नहीं करूंगा।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Sarfaraz Khan Century: सरफराज खान का एक और तूफानी शतक, सिर्फ इतनी गेंद पर ज… – भारत संपर्क| डॉ. संजय अनंत को मिला निर्मला अंतरराष्ट्रीय हिन्दी साहित्य…- भारत संपर्क| Sridevi Property: श्रीदेवी की संपत्ति पर 3 लोगों ने किया अवैध कब्जा, बोनी कपूर… – भारत संपर्क| Ancient Mathematics Vs Vedic Math: प्राचीन गणित और वैदिक मैथ्स में क्या फर्क है?…| फेयर से डस्की तक….स्किन टोन के हिसाब से कैसे चुनें सही फाउंडेशन, ये टिप्स…