Russia Elections 2024: रूस के राष्ट्रपति चुनाव के लिए केरल में क्यों हो रही वोटिंग? |… – भारत संपर्क

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Russia Elections 2024: रूस के राष्ट्रपति चुनाव के लिए केरल में क्यों हो रही वोटिंग? |… – भारत संपर्क
Russia Elections 2024: रूस के राष्ट्रपति चुनाव के लिए केरल में क्यों हो रही वोटिंग?

रूसी राष्ट्रपति चुनाव के लिए केरल में हुई वोटिंग (फोटो सौ. AFP)

रूस में इस समय राष्ट्रपति चुनाव के लिए मतदान हो रहा है. सिर्फ रूस ही नहीं, दुनियाभर में जहां-जहां भी रूसी नागरिक हैं वो लोग अपने मतदान का इस्तेमाल कर रहे हैं. इसी क्रम में भारत में भी रूसी चुनाव के लिए वोटिंग हो रही है. गुरुवार को केरल में रूसी इल्केशन के लिए मतदान हुआ. कहा जा रहा है कि इस बार भी व्लादिमीर पुतिन ही जीत दर्ज कर सकते हैं.

एक न्यूज एजेंसी के मुताबिक, केरल में रहने वाले रूसी नागरिकों ने गुरुवार को रूसी राष्ट्रपति चुनाव के लिए तिरुवनंतपुरम में वोटिंग की. उन्होने यहां रशियन हाउस में स्थित रूसी संघ के मानद वाणिज्य दूतावास में विशेष रूप से व्यवस्थित बूथ पर अपना वोट डाला. रूस के मानद वाणिज्य दूत और तिरुवनंतपुरम में रूसी हाउस के निदेशक रथीश नायर ने कहा कि उन्होंने तीसरी बार रूसी राष्ट्रपति चुनाव के लिए मतदान की व्यवस्था की है. उन्होंने केरल में मतदान प्रक्रिया में सहयोग के लिए रूसी नागरिकों का आभार व्यक्त किया.

रथीश नायर ने कहा, ‘यह तीसरी बार है जब रूसी संघ का वाणिज्य दूतावास रूसी राष्ट्रपति चुनावों के लिए मतदान की मेजबानी कर रहा है. हमें रूसी संघ के केंद्रीय चुनाव आयोग के साथ जुड़कर खुशी हो रही है. मैं अपने नए राष्ट्रपति के चुनाव की प्रक्रिया में वोट डालने के लिए उनके सहयोग और उत्साह के लिए केरल में रूसी नागरिकों का बहुत आभारी हूं.”

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चेन्नई में वरिष्ठ महावाणिज्य दूत सर्गेई अज़ुरोव ने कहा, ”हम राष्ट्रपति चुनाव के प्रारंभिक मतदान का आयोजन कर रहे हैं. हम यहां भारत में रहने वाले रूसी संघ के नागरिकों के लिए एक अवसर प्रदान करने के लिए हैं. हम राष्ट्रपति चुनाव में वोट डालने का अवसर प्रदान करने के लिए रूसी सदन और भारत में महावाणिज्य दूतावास के आभारी हैं.”

15 से 17 मार्च तक वोटिंग

बता दें, रूसी नागरिक 15 से 17 मार्च, 2024 के बीच राष्ट्रपति चुनाव के लिए वोटिंग करेंगे. कहा जा रहा है कि व्लादिमीर पुतिन इस बार फिर से जीत सकते हैं. उनके दोबारा चुने जाने से उनका शासन कम से कम 2030 तक बढ़ जाएगा. 2020 में संवैधानिक बदलावों के बाद, वह फिर से चुनाव लड़ सकेंगे और संभावित रूप से 2036 तक सत्ता में बने रहेंगे.

पुतिन के खिलाफ कुल तीन उम्मीदवार चुनावी मैदान में उतरे हैं. लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी के लियोनिद स्लटस्की, न्यू पीपल पार्टी के व्लादिस्लाव दावानकोव और कम्युनिस्ट पार्टी के निकोले खारितोनोव हैं, जो पुतिन के खिलाफ चुनाव लड़ रहे हैं. माना जाता है कि तीनों व्यक्ति संतोषजनक रूप से क्रेमलिन समर्थक हैं और कोई भी यूक्रेन के खिलाफ रूस की सैन्य कार्रवाई के खिलाफ नहीं है.

निर्दलीय चुनाव लड़ रहे पुतिन

वहीं, 71 साल के पुतिन निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ रहे हैं. लेकिन रूस की राजनीतिक व्यवस्था पर उनका पूरा नियंत्रण है. पुतिन को चुनौती दे सकने वाले उनके प्रमुख आलोचक या तो जेल में हैं या विदेश में रह रहे हैं. बदा दें, पुतिन ने 2012 में यूनाइटेड रशिया पार्टी के उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ा था. लेकिन 2018 में वे निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनावी मैदान में उतरे थे. पुतिन की लोकप्रियता की रेटिंग लगभग 80 प्रतिशत है और वह यूनाइटेड रशिया की तुलना में कहीं अधिक लोकप्रिय हैं. केंद्रीय निर्वाचन आयोग ने रूस के सभी 89 क्षेत्रों से पुतिन के अभियान द्वारा एकत्र किए गए 3,15,000 हस्ताक्षरों की समीक्षा के बाद राष्ट्रपति को उम्मीदवार के तौर पर औपचारिक मान्यता दी है. रूसी चुनाव कानून के अनुसार, कम से कम 300,000 हस्ताक्षर के बाद ही स्वतंत्र उम्मीदवारों का नाम मतपत्र पर आ सकता है.

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