रेत घाटों की होगी ऑनलाइन नीलामी, जल्द ही साफ्टवेयर से अनुबंध…- भारत संपर्क
रेत घाटों की होगी ऑनलाइन नीलामी, जल्द ही साफ्टवेयर से अनुबंध के आसार
कोरबा। जमाना हाईटेक हो चुका है। इसी की तर्ज पर शासकीय काम भी ऑनलाइन होने लगे हैं। अब प्रदेश में रेत घाटों की ऑनलाइन नीलामी होगी। इसके लिए साफ्टवेयर तैयार हो चुका है और जल्द ही साफ्टवेयर कंपनी से राज्य शासन अनुबंध कर प्रक्रिया शुरू करेगा। बोली लगाने वाले ऑनलाइन ही आवेदन व सिक्युरिटी मनी जमा कराएंगे। सिक्युरिटी मनी की वापसी भी ऑनलाइन होगी। साफ्टवेयर के माध्यम से प्रोजेक्टर पर बोलीदार लाइव देखा जा सकेंगे। इस प्रक्रिया से प्रदेश में रेत के अवैध उत्खनन के बंद होने के साथ ही एक व्यक्ति को जिले में 1 तो प्रदेश में 5 घाट ही दिए जाने के नियम का सख्ती से पालन होने का दावा किया जा रहा है। अभी रेत खदानों की नीलामी में काफी समय लगता है, जिसकी वजह से ना केवल खनिज विभाग बल्कि बोलीदार भी परेशान होते हैं। नीलामी स्थल पर पूर्व में होने वाले शराब ठेकों की याद आती है क्योंकि वहां भारी गहमागहमी रहती है। दस्तावेजों की छंटनी व जांच में सुबह से रात हो जाती है तो नीलामी के बाद डीडी वापसी के लिए लंबी लाइन लगती है पर ऑनलाइन नीलामी से सभी परेशानियां दूर होंगी। जब भी कोई जिला एक या अधिक घाट को नीलाम करना चाहेगा तो वह अनुबंध की हुई साफ्टवेयर कंपनी को सूचना देगा। कंपनी नीलामी की सूचना प्रकाशित करेगी। बोलीदार कंपनी में रजिस्ट्रेशन कराएंगे व अपना आधार कार्ड, पेन कार्ड, मूल निवास प्रमाण पत्र, शपथ पत्र सहित सभी दस्तावेज ऑनलाइन अपलोड करेंगे। वे आवेदन की फीस व घाट की सिक्युरिटी मनी ऑनलाइन पटाएंगे। नीलामी के दिन जिले में खनिज विभाग के अधिकारी-कर्मचारी कम्प्यूटर सिस्टम लेकर बैठेंगे। वहां प्रोजेक्टर लगा होगा। वहां बोलीदारों के निवास प्रमाण पत्र की जांच होगी। पहले टेक्निकल बीड होगा फिर फाइनेंशियल बीड की प्रक्रिया होगी। जिनके दस्तावेज सही होंगे, वे लाटरी के लिए पात्र होंगे। वहीं अपात्रों की सूची स्क्रीन पर कारण सहित नजर आएगी। ओके का बटन दबाते ही पात्र बोलीदारों के नाम एक-एक कर लाटरी बाक्स में गिरते जाएंगे और उनमें से एक नाम निकलेगा। वहां मौजूद बोलीदार ये पूरी प्रक्रिया प्रोजेक्टर पर देखेंगे। जिसका नाम निकलेगा, उसे एडीएम सफल बोलीदार घोषित करेंगे। क्योंकि यदि उसके नाम पर पहले से ही प्रदेश में 5 घाट हैं तो साफ्टवेयर उसका नाम लाटरी में शामिल ही नहीं करेगा।
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झंझट से मिलेगा छुटकारा, प्रक्रिया होगी आसान
अभी बोलीदारों के आवेदनों को सील की हुई पेटियों में रखा जाता है। सिक्युरिटी मनी डीडी से लेते हैं। ज्यादातर बोलीदार अंतिम तारीख को आवेदन जमा करते हैं। इसके कारण देर रात तक सैकड़ों आवेदन आते हैं। इससे नीलामी की तारीख आगे खिसक जाती है। पेटियों को कोषालय में पूरी सुरक्षा में रखवाना होता है। नीलामी में बड़ी संख्या में स्टाफ की ड्यूटी लगती है। बोलीदारों की भारी भीड़ जुटती है। उनके सामने आवेदनों की छंटनी होती है। आवेदनों की संख्या काफी ज्यादा होने व हर दस्तावेज की जांच करने में सुबह से रात हो जाती है। लाटरी के लिए योग्य बोलीदारों की पर्ची बनाने में भी समय लगता है। पर्चियों को कांच के पारदर्शी बाक्स में रखकर किसी व्यक्ति की आंख में पट्टी बांधकर एक पर्ची निकलवाई जाती है। जिसके नाम की पर्ची निकलती है, उसे तत्काल सफल बोलीदार घोषित नहीं कर पाते क्योंकि यह चेक करना होता है कि कहीं उसके नाम पर प्रदेश में पांच रेत घाट का ठेका तो नहीं है। फिर डीडी वापसी के लिए बोलीदारों की खनिज विभाग में लंबी लाइन लगती है।
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मोबाइल पर देख सकेंगे प्रक्रिया
ऑनलाइन नीलामी होने की पूरी प्रक्रिया को रिकॉर्ड भी किया जा सकेगा ताकि विवाद की स्थिति में इसकी जांच की जा सके। बोलीदार नीलामी की प्रक्रिया को बगैर नीलामी स्थल पर आए घर बैठे ही मोबाइल पर देख सकेंगे। इसके लिए भी इंतजाम किया जा रहा है। इसके लिए कंपनी के द्वारा एक लिंक जनरेट किया जाएगा। इसके माध्यम से बोलीदार प्रक्रिया को ऑनलाइन देख सकेंगे।