रेत तस्कर चीर रहे मांड नदी का सीना,नहीं हो रही कार्रवाई- भारत संपर्क
रेत तस्कर चीर रहे मांड नदी का सीना,नहीं हो रही कार्रवाई
कोरबा। प्रशासन ने रेत की तस्करी पर रोक लगाने भले ही सख्त निर्देश जारी किए हैं,लेकिन निर्देशों को रेत माफियाओं को कोई परवाह नही है। वे नियम कायदों को ठेंगा दिखाते हुए रेत के अवैध उत्खनन और परिवहन को अंजाम दे रहे हैं। यह हाल न सिर्फ शहर बल्कि ग्रामीण अंचल में भी है। खास तो यह है कि प्रशासन की आंखों में धूल झोंकने रात के अंधेरे में रेत की खुदाई की जा रही है। कई ऐसे स्थान हैं, जहां शाम ढलने के बाद रेत तस्कर और मजदूरों का मेला लग रहा है। इसकी बानगी देखनी है तो ज्यादा दूर जाने की जरूरत नही है। जिले की सरहद मे प्रवाहित मांड नदी के तट पर देखा जा सकता है। दरअसल जिला मुख्यालय से करीब 50 किलोमीटर दूर राष्ट्रीय राजमार्ग में ग्राम पंचायत कुदमुरा स्थित है। इस गांव से मांड नदी को पार कर रायगढ़ जिले में हाटी मे प्रवेश किया जा सकता है। मांड नदी पर सरहद मे होने के कारा दोनों ही जिले के रेत माफियाओं की नजर है, जो अपने मंसूबे को बखूबी अंजाम दे रहे हैं। मांड नदी का सीना चीर बड़े पैमाने पर रेत का अवैध उत्खनन और परिवहन किया जा रहा है। यह रेत न सिर्फ कोरबा बल्कि रायगढ़ जिले में भी आपूर्ति की जा रही है। खास तो यह है कि दिन के उजाले में मांड नदी में एक पंछी भी नजर नही आता, लेकिन शाम पांच बजने के बाद लोगों की भीड़ एकत्रित होती है। जैसे जैसे अंधेरा छाने लगता है नदी में मेला का माहौल तैयार हो जाता है। इसमे शामिल लोग आम जनता नही, बल्कि रेत माफिया और मजदूर होते हैं, जो नदी से रेत की खुदाई कर ट्रैक्टर में लोड करते हैं। इस संबंध मे नाम न छापने की शर्त पर क्षेत्र के ग्रामीणों ने बताया कि प्रतिदिन मांड नदी में रेत की खुदाई की जाती है। इसके लिए नदी मे दर्जनों ट्रैक्टर लगे रहते हैं, जिसमें रेत लोड कर पूरे क्षेत्र मे भेजा जाता है। शाम ढलने के बाद रेत उत्खनन और परिवहन के पीछे प्रशासन की सख्त कार्रवाई के भय को बताया जाता है। ग्रामीणों की मानें तो प्रशासन ने रेत के अवैध कारोबार पर अंकुश लगाने दिशा निर्देश जारी किया है। चूंकि दिन के समय अफसरों का आना जाना लगा रहता है, लिहाजा कार्रवाई से बचने शाम ढलने के बाद उत्खनन शुरू किया जाता है। कई ऐसे ट्रैक्टर मालिक व चालक हैं, जो दूर दराज ेस रेत लेने पहुंचते हैं। चूंकि रात के समय ग्रामीण अथवा सरकारी अमला मौके पर नही पहुंचता, लिहाजा बिना व्यवधान रेत की कालाबाजारी कर ली जाती है। कमोबेश यही स्थित ग्रामीण अंचल में अलावा शहरी व उप नगरीय क्षेत्र में स्थित नदी नालों की भी है।
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वन विभाग व पुलिस का नही है भय
जिले में सक्रिय रेत माफियाओं को वन विभाग अथवा पुलिस का भी खौप नही है। जिसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि कुदमुरा – हाटी मुख्यमार्ग में पुल से महज 100 मीटर दूर वनोपज जांच बेरियर लगाया गया है। जिसे रेत लोड ट्रैक्टर लेकर चालक आसानी से पार कर लेते हैं। थोड़ी दूरी में रेंज आफिस हैं, जहां तैनात अधिकारी व कर्मचारी भी रेत के संबंध में पूछताछ करने की जहमत नही उठाते, जबकि रेत लोड ट्रैक्टर वन मार्ग में भी दौड़ रहे हैं।
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आए दिन हो रहे हादसे, फिर भी नही है लगाम
जिले मे बीते कुछ समय से रेत लोड ट्रैक्टर के कारण होने वाले हादसे में बढ़ोतरी हो गई है। यदि साल भर के भीतर हुई अनहोनी की बात करें तो आधे दर्जन से अधिक लोगों की जान जा चुकी है। ट्रैक्टर की ठोकर से कई वाहन भी क्षतिग्रस्त हो चुके हैं। इसके बावजूद रफ्तार पर लगाम नही लग पा रहा। इसका जीता जागता उदाहरण प्रतिदिन सुबह करीब 7से 8 बजे के बीच जैन चौक बुधवारी में देखा जा सकता है। जहां रेत लोड ट्रेक्टर में चालक फर्राटे भरते हैं। मोड़ में भी रफ्तार कम नही होती।