न्याय के लिए 16 साल से भटक रहा अनुसूचित जाति का विकलांग…- भारत संपर्क

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न्याय के लिए 16 साल से भटक रहा अनुसूचित जाति का विकलांग…- भारत संपर्क




न्याय के लिए 16 साल से भटक रहा अनुसूचित जाति का विकलांग लिपिक , उम्मीद के साथ विधायक अमर अग्रवाल से लगाई गुहार – S Bharat News























आकाश मिश्रा

अपनी ईमानदारी और कर्तव्य निष्ठा की सजा भुगत रहे बैकुंठपुर वन परिक्षेत्र के निलंबित लिपिक 50 वर्षीय संतोष कुमार मलिक ने बिलासपुर विधायक अमर अग्रवाल से मिलकर बहाली और कार्रवाई की गुहार लगाई है ।
मीडिया के साथ बातचीत में संतोष कुमार मलिक ने बताया कि उन्होंने विभाग में जारी भ्रष्टाचार की शिकायत की थी। इसके बाद वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग में कार्यरत अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक रूपेश कुमार झा द्वारा उन्हें नियम विरुद्ध निलंबित कर दिया गया। विधायक अमर अग्रवाल से मिलकर शिकायत करते हुए संतोष मलिक ने बताया कि विभागीय भ्रष्टाचार को दबाने एवं वरिष्ठ को भ्रमित करने के लिए उल्टे उन्हें ही दोषी साबित करने के प्रयास में उन पर मिथ्या कार्रवाई की गई है, जबकि वे विभागीय हित में सही जानकारी दे रहे थे। सक्षम अधिकारियों द्वारा उन पर ही कदाचरण का झूठा आरोप लगाकर उन्हें बिना कारण बताओं नोटिस जारी किए, बिना एस आई टी की जांच रिपोर्ट के और बिना उनका पक्ष जाने , नियुक्ति कर्ता एवं अनुशासनिक अधिकारी न होते हुए भी उन्हें नियम विरुद्ध निलंबित कर कोरिया वन मंडल बैकुंठपुर से लगभग 300 किलोमीटर दूर जशपुर वन मंडल में अटैच कर दिया, जिससे उनकी मानसिक और पारिवारिक स्थिति डांवाडोल हो गई है।
निलंबन से बहाल करने के नाम पर उन्हें दूर दराज के वन मंडल में पदस्थ किया गया है ताकि वे विभागीय भ्रष्टाचार को उजागर न कर सके। संतोष मलिक का दावा है कि जांच में फिंगरप्रिंट ब्यूरो छत्तीसगढ़ रायपुर द्वारा आंशिक चिन्हित प्रमाणको को फर्जी पाया गया था। इसके बावजूद उन्हें कोई राहत नहीं दी गई। इस विषय में उन्होंने तत्कालीन मुख्यमंत्री को भी 2019 में पत्र लिखा था। वरिष्ठ अधिकारियों को भी अवगत कराया जा चुका है लेकिन आज तक उन्हें राहत प्राप्त नहीं हुई । संतोष मलिक ने आरोप लगाया कि तत्कालीन वन संरक्षक सरगुजा वृत अंबिकापुर तपेश कुमार झा द्वारा विद्वेष पूर्ण और नियम विरुद्ध तरीके से जारी निलंबन और बहाली आदेश उन्हें मान्य नहीं है। वे पिछले 16 वर्षों से न्याय की आस में भटक रहे हैं। इस दौरान परिवार का गुजर बसर भी बेहद मुश्किल हो गया है। इसी दुख में उनके माता-पिता चल बसे । निलंबन के दौरान दुर्घटनाग्रस्त होने के कारण उनका एक पैर कट गया और वे स्थाई रूप से विकलांग हो गए । संतोष कहते हैं कि विभाग में हो रहे भ्रष्टाचार को रोकने के लिए उन्होंने अपना नैतिक कर्तव्य निभाया लेकिन उल्टे उन्हें ही इसकी सजा भोगनी पड़ी है। विकलांग और अनुसूचित जाति से होने के बावजूद उन्हें नियमानुसार कोई राहत नहीं दी जा रही। उन्होंने विधायक अमर अग्रवाल से मुलाकात कर निलंबन एवं बहाली आदेश को रद्द करने और 8 फरवरी 2008 से समुचित अवधि को कार्य अवधि मानते हुए मूल पद स्थापना कोरिया वन मंडल के वन परिक्षेत्र बैकुंठपुर में कराए जाने की मांग की है। साथ ही उन्होंने इस मामले में वास्तविक दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की भी मांग की है ।अनुसूचित जाति वर्ग के विकलांग लिपिक के आरोप अगर सही है तो फिर यह विभागीय भ्रष्टाचार का जीवंत उदाहरण है, जिस पर शासन को दखल देते हुए उचित कार्रवाई किए जाने की आवश्यकता है, ताकि एक शोषित वंचित परिवार को राहत एवं न्याय मिल सके।


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