कल्याण का देवता शिव, कल्याण की भावना शिव भक्ति- भारत संपर्क



श्री पीतांबरा पीठ त्रिदेव मंदिर में चल रहे सावन महोत्सव मे रुद्राभिषेकात्मक महायज्ञ के में डॉक्टर दिनेश जी महाराज ने कहा कि “शिवत्व” अर्थात लोक मंगल की वह विराट भावना जिसमें स्वयं अनेक कष्टों को सहकर भी दूसरों के कष्टों को मिटाने का हर सम्भव प्रयास किया जाता है। स्वयं खुले आसमान के नीचे जीवन यापन कर रावण को सोने की लंका देने वाले भगवान शिव से श्रेष्ठ इसका कोई उदाहरण नहीं हो सकता है। भगवान शिव भले ही स्वयं फकीरी में रहे पर बाणासुर और रावण जैसे अनेक भक्तों को उन्होंने अनंत ऐश्वर्य सुख भी प्रदान किये।अपने भक्तों की प्रत्येक उस इच्छा की पूर्ति भगवान महादेव ने की जो भक्तों द्वारा उनसे याचना की गई। जिसके अंदर लोकमंगल का भाव न हो, जिसकी प्रवृत्ति में परोपकार न हो और जिसका मन किसी की पीड़ा को देखकर व्यथित न होता हो वह व्यक्ति शिव-शिव कहने मात्र से कभी भी शिव भक्त नहीं हो सकता। जो प्रत्येक स्थिति में भक्तों का कल्याण करे वह “शिव” और जो कल्याण की भावना रखे वही “शिव भक्त” है।

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