कोयला कामगारों को झटका, सीएमएफ में बढ़े ब्याज दर को नहीं…- भारत संपर्क
कोयला कामगारों को झटका, सीएमएफ में बढ़े ब्याज दर को नहीं मिली मंजूरी
कोरबा। सीएमपीएफओ( कोल माइंस प्रोविडेंट फंड बोर्ड ऑफ ट्रस्टी) की 180 वीं बैठक में वित्त वर्ष 2023-24 के लिए सीएमपीएफ के सदस्यों के लिए 7.6 फीसदी ब्याज दर देने के प्रस्ताव पर सहमति बनी है। जिसे वित्त मंत्रालय के पास स्वीकृति हेतु भेजा जाएगा। यानी की बीते वर्ष कोयला कामगारों के लिए सीएमपीएफ बोर्ड आफ ट्रस्टी ने वित्तीय वर्ष 2022-23 के लिए भी 7.6 फीसदी जो ब्याज दर तय किया था। उसी ब्याज दर को बरकरार रखते हुए इसबार भी 7.6 फीसदी ब्याज दर वित्तीय वर्ष 2023-24 के लिए तय कर दिया गया है। ये खबर कोयला उद्योग में कार्यरत 4 लाख सरकारी या गैरसरकारी कामगारों के लिए बहुत बड़ा झटका है, क्योंकि ईपीएफओ सेंट्रल बोर्ड के ट्रस्टी ने अपनी 235 वीं बैठक मे वित्तीय वर्ष 2023-24 के लिए अपने 6 करोड़ सदस्यों के लिए 8.25 फीसदी ब्याज दर की सिफारिश कर दी है। यानी कि कोयला कामगारों के ब्याज दर 7.6 फीसदी के मुकाबले ये कहीं ज्यादा है और ये सरासर कोयला कामगारों के साथ नाइंसाफ़ी है।
इस संबंध में प्रदेश एटक कार्यवाहक अध्यक्ष दीपेश मिश्रा ने बताया कि न सिर्फ सरकार बल्कि कोयला प्रबंधन भी कोयला कामगारों के साथ दोयम दर्जे का व्यवहार कर रही है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में कोयला उद्योग सरकारी या गैरसरकारी हो वो आज भी देश के जरूरी उर्जा का प्रमुख स्रोत है। इसी के साथ कोयला उद्योग में कार्यरत कामगारों के हितों के रक्षा के लिए हर संभव कोशिश करने का प्रयास प्रबंधन या सरकार को करना चाहिए, परंतु इन्हें अनदेखा किया जा रहा है। यह कतई सही नहीं है। उन्होंने आगे बताया कि कोयला खान भविष्य निधि फंड को मजबूत करने के लिए बीते वर्षों मे सीएमपीएफ बोर्ड आफ ट्रस्टी ने हड़बड़ी मे डीएलएचएफ कंपनी मे शॉर्ट टर्म डिबेंचर के रूप मे 726.67 करोड़ रूपये इनवेस्टमेंट किया था। हालांकि श्रम संगठनों ने उस समय बोर्ड का ट्रस्टी को चेताया था कि कोयला कामगारों की गाढ़ी कमाई का पैसा शेयर बाजार मे निवेश नहीं की जाए। क्योंकि शेयर बाजार में पैसा लगाना एक जोखिम का काम है, परंतु उस समय सीएमपीएफ बोर्ड ऑफ ट्रस्टी ने श्रम संगठनों के सलाह को दरकिनार करते हुए डीएचएलएफ के शेयर मे इन्वेस्ट कर दिया। कुछ ही दिनों के बाद केंद्रीय जांच ब्यूरो द्वारा डीएलएचएफ कंपनी पर धोखाधड़ी का आरोप लगाकर प्राथमिकी दर्ज कर बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज व नेशनल स्टॉक एक्सचेंज के सूचीबद्ध कंपनी लिस्ट से इस कंपनी को हटा दिया है। इसका सीधा असर कोयला खान भविष्य निधि फंड पर पड़ा है। इस संबंध मे दीपेश मिश्रा ने आगे कहा कि इसका मतबल यह है कि सीएमपीएफ बोर्ड आफ ट्रस्टी ने अपने फायदे के लिए 726.67 करोड़ रकम जो इनवेस्टमेंट किया था वो पैसा लगभग डूब गया है। यानी कोयला कामगारों को भारी नुकसान हुआ है। इसमें सबसे गंभीर बात यह है कि सीएमपीएफओ ने 727.67 करोड़ रुपये को राइ ऑफ( बट्टे खाते मे डालने) करने की बात कह रही है, जोकि एक गंभीर बात है। कुलमिलाकर कोयला खान भविष्य निधि फंड लगातार कमजोर होता जा रहा है। यह बहुत ही चिंता की बात है। इस पर कोयला प्रबंधन और सरकार को ध्यान देना चाहिए।