US से लेकर यूरोप तक सुस्ती छाई, भारत की रफ्तार पर क्या कह…- भारत संपर्क

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US से लेकर यूरोप तक सुस्ती छाई, भारत की रफ्तार पर क्या कह…- भारत संपर्क
US से लेकर यूरोप तक सुस्ती छाई, भारत की रफ्तार पर क्या कह गया RBI?

आरबीआई की रिपोर्ट के अनुसार भारत की इकोनॉमिक ग्रोथ 8 फीसदी से ज्यादा रह सकती है.

चीन से लेकर अमेरिका और यूरोप, अफ्रीका और बाकी देशों में मंदी के संकेत साफ देखे जा सकते हैं. ग्लोबल इकोनॉमी में तेजी के लिए चीन, अमेरिका और यूरोप के बड़े देशों की ग्रोथ में इजाफा होना काफी जरूरी है. जापान तक ने अपनी ग्रोथ को बढ़ाने के प्रयास कर दिए हैं. यही कारण है कि जापान जैसे देश को 17 साल के बाद ब्याज दरों में इजाफा करना पड़ा. वहीं दूसरी ओर भारत की इकोनॉमी की रफ्तार से पूरी दुनिया चकित है.

देश के सेंट्रल बैंक रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की ओर से जो इस बार अनुमान लगाया गया है वो वाकई हैरान करने वाला है. आरबीआई ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि आने वाले दिनों में देश की इकोनॉमी 8 फीसदी से ज्यादा रह सकती है. ये आंकड़ां मौजूदा समय में इसलिए बड़ा दिखाई दे रहा है क्योंकि दुनिया के बाकी बड़े देशों की ग्रोथ 4 और मैक्सिमम 5 फीसदी से ज्यादा नहीं बढ़ पा रही है. आदए आपको भी बताते हैं कि आखिर आरबीआई ने अपनी रिपोर्ट में क्या कहा है?

आरबीआई ने रखी रिपोर्ट

भारत जीडीपी की 8 फीसदी की रफ्तार कायम रख सकता है या इससे भी आगे निकल सकता है. भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के मंगलवार को जारी अर्थव्यवस्था की स्थिति पर मार्च के बुलेटिन में कहा गया है कि देश का अनुकूल वृद्धि आर्थिक माहौल वृद्धि दर को आगे बढ़ाने का आधार बन सकता है. देश की आर्थिक वृद्धि दर 2021-24 की अवधि में औसतन आठ प्रतिशत से अधिक रही है. आरबीआई के डिप्टी गवर्नर माइकल देबब्रत पात्रा की अगुवाई वाली एक टीम द्वारा लिखे गए लेख में कहा गया कि ग्लोबल इकोनॉमी गति खो रही है, कुछ सबसे मजूबत अर्थव्यवस्थाओं और उच्च आवृत्ति संकेतकों में वृद्धि धीमी हो रही है. यह आने वाले समय में चीजों के और सुस्त पड़ने का इशारा कर रहे हैं.

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इस वजह से रह सकती है तेजी

भारत की 2023-24 की अक्टूबर-दिसंबर तिमाही में वास्तविक जीडीपी वृद्धि छह तिमाहियों के उच्चतम स्तर पर थी. मजबूत रफ्तार, बेहतर इनडायरेक्ट टैक्स कलेक्शन और सब्सिडी में कमी की वजह से यह वृद्धि हासिल हो सकी है. लेख में कहा गया है कि संरचनात्मक मांग और कंपनियों तथा बैंकों का मजबूत बही-खाता आगे चलकर वृद्धि को और गति देने में भूमिका निभाएंगे. इसमें कहा गया कि दुनिया ढांचे और धारणा में बड़े बदलावों का सामना कर रही है. ये या तो चल रहे हैं या आने वाले हैं. लेख में कहा गया है कि माहौल में अनिश्चितता फैली हुई है, जो जियो पॉलिटिकल और मौसम से संबंधित जोखिमों की वजह से और बढ़ गई है.

भारत कायम रख सकता है तेजी

इसमें कहा गया है कि इसके विपरीत भारतीय अर्थव्यवस्था एक अनुकूल वृहद आर्थिक माहौल का अनुभव कर रही है जो इसके वृद्धि पथ में तेजी लाने के लिए आधार हो सकता है. लेख के लेखकों ने कहा कि द्धि दर 2021-24 की अवधि में औसतन आठ प्रतिशत से ऊपर रही है. …और अंतर्निहित बुनियादी बातों से संकेत मिलता है कि इसे कायम रखा जा सकता है और इसे और ऊपर ले जाया जा सकता है. हाल ही में कई विदेशी फर्मों ने भारत की इकोनॉमी पर काफी आशावादी रहे हैं. कुछ ने तो भारत को ग्लोबल इकोनॉमी का इंजन तक कह डाला है. साथ ही भारत की इकोनॉमी को बेहतर करने के लिए किए गए सुधारों की भी प्रशंसा की है. वहीं दूसरी ओर प्रधानमंत्री ने देश को 1947 तक भारत को विकसित देश बनाने का लक्ष्य रखा है.

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