छत्तीसगढ़: मोदी की गारंटी पर कमीशन का खेल, अधिकारी खुलेआम मांग रहे 14 परसेंट…


बालोद जिले में ‘जल जीवन मिशन’ योजना में भ्रष्टाचार.
छत्तीसगढ़ के बालोद जिले में मोदी की गांरटी पर अधिकारियों की मनमानी भारी है. केंद्र की महत्त्वकांक्षी योजनाओं पर जिम्मेदार ग्रहण लगा रहे हैं. पीएचई विभाग में जल जीवन मिशन के काम में साढ़े 14 परसेंट का कमीशन का खेल चल रहा है. हक की तरह अधिकारी इसकी डिमांड भी कर रहे हैं. वहीं आगामी 5 फरवरी से शुरू हो रहे विधानसभा सत्र में कमीशन का मामला जोरों-शोरों से गूंजने वाला है.
दरअसल, जिले का पीएचई विभाग भ्रष्टाचार का गढ़ बन चुका है. केंद्र की मोदी सरकार की सबसे महत्त्वकांक्षी ‘जल जीवन मिशन योजना’ को विभाग के जिम्मेदारों ने अतिरिक्त आय का जरिया बना लिया है. यहां जल जीवन मिशन अंतर्गत जारी कार्य चाहे वह पानी टंकी निर्माण हो या फिर पाइप लाइन विस्तार हो, हर काम के बदले कमीशन के खेल जोरों से चल रहा है. कार्य स्वीकृति से लेकर भुगतान तक कुल साढ़े 14 प्रतिशत कमीशन ईई से लेकर एसडीओ, इंजीनियर एवं डीए का फिक्स है. कमीशन नही देने के एवज में संबंधित ठेकेदार का भुगतान रोक दिया जा जाता है.
किसके-किसके पास जाता है कमीशन?
सूत्रों की मानें तो कुल साढ़े 14 प्रतिशत कमीशन में साढ़े 8 प्रतिशत कमीशन ईई का, 2 प्रतिशत एसडीओ, 2 प्रतिशत डीए और 2 प्रतिशत इंजीनियर का होता है, जिसकी डीलिंग ईई कार्यालय में बैठा एक बाबू करता है. करीबन 5 माह पहले कमीशन के फेर में बिल को रोकने की शिकायत पर ईई को पूर्व मंत्री एवं डौंडीलोहारा विधायक अनिला भेड़ियां ने कड़ी फटकार भी लगाई थी और कमीशन से ध्यान हटा निर्माण कार्यों की गुणवत्ता पर ध्यान देने की बात कही थी, लेकिन जिम्मेदारों ने आज भी वही पुराना ढर्रा कायम रखा है.
14 प्रतिशत कमीशन का खेल
यहां यह कहना गलत नहीं होगा कि जिले में जल जीवन मिशन भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गया है. जल जीवन मिशन के काम में साढ़े 14 प्रतिशत कमीशन के चल रहे खेल को जिम्मेदार अपना हक और डिमांड बता रहे हैं. लोग स्वास्थ्य यांत्रिकी की विभाग के अधिकारी भ्रष्टाचार की पटकथा लिख रहे हैं. वर्तमान में जिले में जल जीवन मिशन अंतर्गत लगभग 760 करोड़ से अधिक की लागत के कार्य 690 गांव में स्वीकृत है.
650 गावों में आज भी कार्य प्रगतिरत
जल जीवन मिशन के तहत चल रहे निर्माण कार्यों में जमकर अनियमितताएं भी हो रही हैं. कहीं बिना जॉइंट के पाइपलाइन बिछाई जा रही है तो कहीं पर पाइप की लंबाई ही कम डाली जा रही है. निर्माण कार्य के बाद मिट्टी व सड़क को ऐसी ही खुर्द बुर्द कर छोड़ा जा रहा है. जिले में काम की रफ्तार कछुए की गति से भी बेहद सुस्त है. तभी आज भी कई पानी टंकी के निर्माण कार्य अधूरे हैं, तो कुछ ने तो आज तक कार्य ही शुरू नहीं किया है.
आपको बता दें कि मार्च 2024 तक जिले के 690 गांव में जारी जल जीवन मिशन के कार्यों को पूर्ण करना है, लेकिन आज तक सिर्फ 40 गांव में ही हर घर जल कनेक्शन का कार्य पूरा हुआ है. 650 गांव में आज भी कार्य प्रगतिरत हैं.
मोदी गारंटी में लगेगी भ्रष्टाचार पर लगाम
प्रदेश में अब मोदी की गारंटी वाली सरकार है. मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने प्रदेश की कमान संभालते ही मोदी की गांरटी पर काम करना शुरू कर दिया है, जिसके चलते भ्रष्ट अधिकारियों में हड़कम्प मचा हुआ है. अभी हाल ही में कुछ दिनों पहले केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने छत्तीसगढ़ दौरे के दौरान जल जीवन मिशन में कांग्रेस सरकार के दौरान हुए भ्रष्टाचार की जांच करने की बात कह चुके हैं. वहीं अब छत्तीसगढ़ के उपमुख्यमंत्री एवं पीएचई मंत्री अरुण साव भी एक्शन मोड़ पर नजर आ रहे हैं. लगातार वे अपने विभागों के अधिकारियों की बैठक लेकर निर्माण कार्यों को गुणवत्ता से करने, अवैध कामों में लगाम और लापरवाह ठेकेदारों पर कार्रवाई करने निर्देशित कर रहे हैं.
अन्य जिलों की तुलना यहां कमीशन ज्यादा
बताया जा रहा है कि कुछ दिनों पहले किसी ठेकेदार ने विभाग में चल रहे इस काले कारनामों की कुंडली शासन स्तर में लिखित शिकायत की थी, लेकिन विभाग के जिम्मेदारों द्वारा कुछ ठेकेदारों को दबाव पूर्वक विभाग के पक्ष में बयान करवा शिकायत के बदले जवाब तलब किया था. वहीं ठेकेदारों की मानें तो पड़ोसी जिलों की तुलना बालोद पीएचई विभाग में साढे 4 प्रतिशत कमीशन ज्यादा लिया जा रहा है. अगर किसी भी प्रकार की शिकायत होती है तो ठेकेदारों को बिल रोकने, भुगतान नहीं करने की बात भी कही जाती है.
अनियमितता नहीं की जाएगी बर्दाश्त
विभाग के एसी राजेश गुप्ता ने मामले को गंभीरता से लेते नए जांच की बात कही है. उन्होंने कहा है कि ऐसा है तो गलत है, मैं मामले को दिखवाता हूं. निर्माण कार्यों में लापरवाही और अनियमितता बर्दाश्त नहीं की जाएगी. ठेकेदार गुणवत्ता को ध्यान में रख कार्य करें.