एक विधवा की कहानी, हेल्थ इंश्योरेंस कंपनी से लड़कर पति को…- भारत संपर्क
हेल्थ इंश्योरेंस क्लेम नहीं देना पड़ा भारी
हेल्थ इंश्योरेंस लेना हम सबके लिए जरूरी है, लेकिन क्या जरूरत के वक्त ये वाकई काम आता है? आए दिन हम ऐसे मामलों के बारे में पढ़ते-सुनते रहते हैं कि किसी ना किसी वजह से हेल्थ इंश्योरेंस कंपनियां लोगों के क्लेम रिजेक्ट कर देती हैं. हालांकि ये कहानी एक ऐसी विधवा महिला की है जिसने अपनी पति की मौत के बाद हेल्थ इंश्योरेंस कंपनी से कानूनी लड़ाई लड़ी और आखिर में 28 लाख रुपए का क्लेम हासिल करने में सफल रही.
ये कहानी दिल्ली की है…अनीता गुप्ता के पति ने एचडीएफसी लाइफ से एक हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी ली हुई थी. तब इस कंपनी का नाम एचडीएफसी स्टैंडर्ड लाइफ इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड था. कंपनी ने अनीता गुप्ता के पति की मौत के बाद हेल्थ इंश्योरेंस क्लेम ये कहकर रिजेक्ट कर दिया कि उन्हें पहले से एक बीमारी थी, जिसका जिक्र उन्होंने पॉलिसी लेते वक्त नहीं किया था. अनीता गुप्ता ने 19.42 लाख रुपए का क्लेम रिजेक्ट होने के खिलाफ दिल्ली राज्य उपभोक्ता विवाद निपटान आयोग में शिकायत की और यहां से उन्हें न्याय मिला.
उपभोक्ता आयोग ने नहीं मानी कंपनी की ये दलील
जस्टिस संगीता ढींगरा सहगल की अध्यक्षता वाले दिल्ली उपभोक्ता आयोग ने कंपनी की पुरानी बीमारी से होने वाली मौत के कारण को तवज्जो नहीं दी. आयोग ने कहा कि एचडीएफसी पहले तो ये साबित करने में विफल रही है कि बीमा रखने वाली व्यक्ति की इलाज के दौरान मौत का सीधा कारण उसे पहले से डायबिटीज होना है.
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दूसरा वह ऐसा कोई सबूत पेश नहीं कर सकी जो ये साबित करे कि पॉलिसी लेते वक्त बीमित व्यक्ति को डायबिटीज थी. वहीं आयोग ने ये भी कहा कि पुरानी बीमारी को छुपाना क्लेम रिजेक्ट करने का आधार नहीं हो सकता, खासकर के डायबिटीज के मामले में जो कि एक लाइफस्टाइल डिसीज है. आयोग ने इस मामले में राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निपटान आयोग और सुप्रीम कोर्ट के कई पुराने फैसलों का हवाला भी दिया.
19.42 लाख के क्लेम के बदले मिलेंगे 28 लाख
दिल्ली उपभोक्ता आयोग ने अपने अंतिम फैसले में निर्णय अनीता के पक्ष में दिया. अदालत ने कहा कि एचडीएफसी लाइफ मृतक की पत्नी यानी अनीता सिंह को 19,42,179 रुपए का पूरा क्लेम दे. इस रकम पर उसे 6 प्रतिशत का ब्याज देना होगा, जो उस दिन से काउंट होगा जिस दिन पार्टी ने क्लेम जमा कराया था.
इतना ही नहीं अगर कंपनी ने 12 मार्च तक ये क्लेम नहीं दिया होगा तो ब्याज की दर 9 प्रतिशत हो जाएगी. साथ ही अनीता को पहुंची मानसिक पीड़ा के लिए 1 लाख रुपए अलग से और कानूनी वाद के खर्चे के तौर पर 50,000 रुपए और दे. 6 प्रतिशत के ब्याज के हिसाब से ही अनीता को मिलने वाली क्लेम की रकम 28.1 लाख रुपए होती है.