Success Story IFS Shreyak Garg: एमबीबीएस किया, 35वीं रैंक से क्रैक किया UPSC,…

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Success Story IFS Shreyak Garg: एमबीबीएस किया, 35वीं रैंक से क्रैक किया UPSC,…
Success Story IFS Shreyak Garg: एमबीबीएस किया, 35वीं रैंक से क्रैक किया UPSC, लेकिन नहीं बनें IAS, जानें कौन हैं श्रेयक गर्ग

आईएफएस श्रेयक गर्ग.Image Credit source: वीडियो ग्रैब

केंद्रीय कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग ने यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा 2024 में सफल अभ्यर्थियों को सर्विस का आवंटन कर दिया है. जारी लिस्ट में कई ऐसे अभ्यर्थी ने जिन्होंने अपनी वरीयता में आईएएस को पहली पसंद के तौर पर नहीं भरा था. उन्हीं में से एक हैं श्रेयक गर्ग, जिन्होंने UPSC CSE 2024 में देख भर में 35वीं रैंक हासिल की थी. उन्हें आसानी से आईएएस पोस्ट मिल जाती, लेकिन उन्होंने विदेश सेवा को चुना और उन्हें IFS पद दिया गया. आइए जानते हैं उनके बारे में.

श्रेयक ने अपने तीसरे प्रयास में संघ लोक सेवा आयोग की सिविल सेवा परीक्षा पास की. वह हरियाणा से सोनीपत जिले के रहने वाले हैं. उनके पिता आरके गर्ग दीनबंधु छोटू राम विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, मुरथल में प्रोफेसर हैं. उनकी मां का नाम डॉ. संध्या गर्ग है. श्रेयक ने महात्मा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान, महाराष्ट्र से एमबीबीएस किया है.

IFS Shreyak Garg Profile: डाॅक्टर से क्यों बनें IAS?

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार एमबीबीएस की पढ़ाई के दौरान जब वह ग्रामीण क्षेत्र में इंटर्नशिप कर रहे थे, तो उन्होंने लोगों की समस्याओं को बहुत नजदीक से अनुभव किया. इसलिए MBBS की पढ़ाई पूरी करते ही उन्होंने यूपीएससी की तैयारी शुरू की है. मेहनत कर उन्होंने तैयारी की और तीसरे प्रयास में सफलता प्राप्त की.

IFS Shreyak Garg Success Story: दोस्तों से दूरी, 9 घंटे की पढ़ाई ने दिलाई सफलता

एक इंटरव्यू में उन्होंने बताया कि यूपीएससी की तैयारी के दौरान दोस्तों से दूरी बना ली थी और करीब 6 से 9 घंटे की पढ़ाई करता था. पढ़ाई के दौरान फोन और सोशल मीडिया से भी उन्होंने दूरी बना ली थी. पहली बार उन्होंने 2022 में यूपीएससी सिविल सेवा की परीक्षा दी थी. दो बार असफल होने के बाद भी उन्होंने हार नहीं मानी. अपनी प्लानिंग बदली और मेहनत कर सफलता प्राप्त की.

IFS Shreyak Garg Story: कितने महीनों की होती है ट्रेनिंग?

जिन कैंडिडेट्स का चयन IFS के लिए किया जाता है. उनकी ट्रेनिंग करीब 3 साल की होता है. प्रशिक्षण मसूरी स्थित लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी में होता है. जिसके करीब 4 महीने का फाउंडेशन कोर्स, विदेश मंत्रालय में 6 महीने का कार्यस्थल प्रशिक्षण शामिल होता है. इसके बाद एक विदेशी भाषा भी सीखनी होती है.

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