Success Story: झारखंड के शिवम ने IITs में नहीं लिया दाखिला, अब गूगल देगा 2 करोड़…


शिवम को गूगल ने 2 करोड़ रुपये का ऑफर किया है.Image Credit source: pexels
Success Story: झारखंड के गुमला जिले के छोटे से गांव से निकले शिवम राज ने दिखा दिया है कि जिंदगी का सफर सिर्फ एक रिजल्ट से तय नहीं होता है. 12वीं में 74% अंक आने के बाद उन्हें जेईई एडवांस्ड में बैठने का मौका नहीं मिला. हालांकि उन्होंने दोबारा 12वीं की परीक्षा दी और 86% नंबर प्राप्त किए. इसके बाद उन्होंने IITs में दाखिला के लिए आयोजित होने वाली जेईई मेन्स और एडवांस्ड को भी पास किया, लेकिन इसके बाद भी उन्होंने IITs में दाखिला नहीं लिया. संभवत: उस वक्त उनके फैसले पर कई लोगों ने सवाल खड़े किए हों, लेकिन अब उन्हें गूगल से 2 करोड़ रुपये पैकेज वाली जॉब ऑफर हुई है.
आइए जानते हैं कि झारखंड के गुमला जिला निवासी शिवम राज की इस सफलता की कहानी. जानते हैं कि उन्होंने कहां से पढ़ाई की है. अब उन्हें गूगल ने किस वजह से हायर किया है.
बीआईटी मेसरा से की इंजीनियरिंग
शिवम ने अपनी स्कूली पढ़ाई रांची के जेवीएम श्यामली से की. इसके बाद बीआईटी मेसरा से कंप्यूटर साइंस में बीटेक किया. साल 2021 में ग्रेजुएशन के दौरान ही कैंपस प्लेसमेंट में उन्हें 52 लाख रुपये का पैकेज मिला, जो किसी भी स्टूडेंट के लिए बड़ी उपलब्धि है. दो साल तक उन्होंने फ्रंट-एंड डेवलपर के तौर पर काम किया और अपने स्किल्स को और निखारा.
अमेरिका में मास्टर्स और गूगल का ऑफर
नए-नए चैलेंज लेने की चाह ने शिवम को अमेरिका पहुंचा दिया. उन्होंने यूनिवर्सिटी ऑफ मैसाचुसेट्स, एमहर्स्ट से कंप्यूटर साइंस में मास्टर्स किया. पढ़ाई के दौरान ही उन्होंने गूगल के करियर पोर्टल के जरिए अप्लाई किया. चार राउंड के इंटरव्यू पास करने के बाद उन्हें करीब 2 करोड़ रुपये सालाना का ऑफर मिला.
परिवार का मजबूत सहारा
शिवम के माता-पिता राजकुमार ओहदार और डॉ. अर्चना कुमारी दोनों ही प्रोफेसर हैं और फिलहाल रांची के अरगोड़ा इलाके में रहते हैं. माता-पिता का साथ और पढ़ाई का माहौल ही शिवम की सबसे बड़ी ताकत रहा. 12वीं की पहली कोशिश में जब रिजल्ट उम्मीद के मुताबिक नहीं आया, तब परिवार ने उन्हें टूटने नहीं दिया और बेहतर तैयारी के लिए प्रेरित किया.
असफलता को अवसर मानने का नजरिया
शिवम के मुताबिक, असफलता अंत नहीं, बल्कि सुधार करने का मौका होती है. उनका कहना है कि 74% किसी भी स्टूडेंट के लिए फेल होने का पैमाना नहीं, बल्कि आगे बढ़ने की शुरुआत है. निरंतर सीखने और जिज्ञासा रखने से ही असली सफलता मिलती है.
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