बहुला चतुर्थी पर बन रहा सुकर्मा और सर्वार्थसिद्धि योग- भारत संपर्क
बहुला चतुर्थी पर बन रहा सुकर्मा और सर्वार्थसिद्धि योग
कोरबा। हिंदू पंचांग के अनुसार भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को हर साल बहुला चतुर्थी का व्रत किया जाता है। इसे संकष्टी चतुर्थी भी कहा जाता है और यह वर्ष की चार प्रमुख चतुर्थी तिथियों में शामिल है।ज्योतिषाचार्य के अनुसार इस दिन श्रद्धा और विधि-विधान से व्रत-पूजा करने से घर में सुख-शांति बनी रहती है और हर मनोकामना पूर्ण होती है।इस वर्ष बहुला चतुर्थी का पर्व 12 अगस्त मंगलवार को मनाया जाएगा।पंचांग के अनुसार, चतुर्थी तिथि 12 अगस्त की सुबह 8 बजकर 41 मिनट से प्रारंभ होकर 13 अगस्त बुधवार की सुबह 06 बजकर 36 मिनट तक रहेगी। चूंकि चतुर्थी तिथि का चंद्रोदय 12 अगस्त को हो रहा है, इसलिए इसी दिन व्रत रखा जाएगा। इस दिन सुकर्मा और सर्वार्थसिद्धि नाम के दो शुभ योग दिनभर विद्यमान रहेंगे, जिससे इस चतुर्थी का महत्व और बढ़ जाता है। ज्योतिषाचार्य बताते हैं कि व्रत रखने वाली महिलाएं 12 अगस्त की सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि कर व्रत का संकल्प लें और दिनभर व्रत के नियमों का पालन करें। मन ही मन भगवान श्रीगणेश के मंत्रों का विशेषकर ऊं गं गणपतये नम: मंत्र का जाप करें। शाम को चंद्रोदय से पहले, साफ स्थान पर भगवान श्रीगणेश की प्रतिमा स्थापित करें। कुमकुम से तिलक करें, फूलों की माला पहनाएं और शुद्ध घी का दीपक जलाएं। पूजा में अबीर, गुलाल, रोली, हल्दी, फूल, दूर्वा, नारियल आदि अर्पित करें। अपनी श्रद्धा अनुसार भोग लगाएं। चंद्रोदय के समय चंद्रमा को जल से अर्घ्य दें और कुमकुम, फूल, चावल अर्पित करें। पूजा पूर्ण होने पर प्रसाद ग्रहण कर व्रत खोलें और फिर भोजन करें। बहुला चतुर्थी पर भगवान श्रीगणेश की पूजा चंद्रोदय से पहले की जाती है, जबकि चंद्रमा की पूजा उसके उदय होने के बाद होती है। इस बार श्रीगणेश पूजन का शुभ मुहूर्त रात 08 बजे से 08:45 बजे तक रहेगा। चंद्रमा का उदय रात 08:59 बजे होगा, जिसके बाद जल अर्घ्य और पूजा-अर्चना की जाएगी।