सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, एडेड स्कूल के शिक्षकों को सरकारी टीचर्स के समान…

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सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, एडेड स्कूल के शिक्षकों को सरकारी टीचर्स के समान…
सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, एडेड स्कूल के शिक्षकों को सरकारी टीचर्स के समान मिलेगी ग्रेच्युटी

सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में एडेड स्कूल के शिक्षकों को बड़ी राहत दी है

सरकार से सहायता प्राप्त (Aided) स्कूलों के शिक्षकों के हित में सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है. सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में स्पष्ट किया है कि एडेड स्कूल के शिक्षकों को भी राज्य सरकार के शिक्षकों के समान ही ग्रेच्युटी का लाभ मिलेगा. सुप्रीम कोर्ट में न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया और न्यायमूर्ति के विनोद चंद्रन की पीठ ने ये फैसला एक याचिका की सुनवाई के दौरान दिया है, जिसमें अपीलकर्ता ने अपनी दिवंगत मां की ग्रेच्युटी के लिए अपील दायर की थी. अपीलकर्ता की मां महाराष्ट्र के एक एडेड स्कूल में शिक्षिका थीं.

हाईकोर्ट ने खारिज कर दी थी याचिका

असल में अपीलकर्ता ने अपनी मां की ग्रेच्युटी के लिए उनकी मृत्यू के बाद उनके नामांकित व्यक्ति होने के नाते पहले बंबई हाईकोर्ट में अपील दायर की थी, जिसे हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया था. इस पर अपीलकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की. इस मामले में सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि एडेड स्कूल के शिक्षकों की ग्रेच्युटी का लाभ ग्रेज्युटी भुगतान अधिनियम, 1972 द्वारा शासित नहीं होगा, बल्कि वेतन और भत्तों से संबंधित राज्य सेवा नियमों के तरह शासित होगा.

सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा

सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति चंद्रन ने अपने लिखित फैसले में मृतक शिक्षिका के बेटे को ग्रेच्युटी भुगतान अधिनियम, 1972 के तहत लाभ देने से इनकार कर दिया. इसके बजाय उन्होंने मृतक शिक्षिका के बेटे को 1982 के नियमों के तहत ग्रेच्युटी का लाभ देने का आदेश दिया.

शीर्ष कोर्ट ने अपने फैसले में कहा, यह देखा जाना चाहिए कि सभी व्यावहारिक उद्देश्यों के लिए एडेड स्कूल में एक शिक्षक राज्य सरकार के अधीन एक पद के समान है. प्रासंगिक तथ्य यह है कि एडेड स्कूलों में पद या तो सरकार द्वारा स्वीकृत होते हैं या नियमों के अनुसार अनुमोदित होते हैं और वेतन और भत्ते भी सरकार द्वारा दिए जाते हैं. एडेड स्कूल के शिक्षक भी सेवा की कुछ शर्तों के हकदार हैं, जैसा कि सरकारी शिक्षकों पर लागू होता है. कोर्ट ने आगे कहा कि भारत के संविधान के अनुच्छेद 309 के तहत लाए गए नियमों के अनुसार वे पेंशन, भविष्य निधि और ग्रेच्युटी के हकदार हैं. कोर्ट ने अपीलकर्ता को 1982 के नियमों के अनुसार ग्रेच्युटी के भुगतान के लिए आवेदन के साथ प्रथम प्रतिवादी से संपर्क करने की अनुमति दी.

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