Sweden Joins NATO: यूरोपीय देशों में क्यों लगी NATO में शामिल होने की होड़? | Sweden… – भारत संपर्क

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Sweden Joins NATO: यूरोपीय देशों में क्यों लगी NATO में शामिल होने की होड़? | Sweden… – भारत संपर्क

दो साल की जद्दोजहद के बाद 7 मार्च 2024 को यूरोपीय देश स्वीडन NATO में शामिल हो गया. 2022 में यूक्रेन पर सैन्य कार्रवाई किए जाने के बाद स्वीडन ने NATO में शामिल होने के लिए आवेदन किया था. लेकिन तुर्की का विरोध स्वीडन की राह में रोड़ा बना हुआ था. बहरहाल, तुर्की के मानने के बाद अब स्वीडन इस संगठन का 32वां सदस्य बन चुका है. अमेरिका के वाॅशिंगटन डीसी में अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन की मौजूदगी में आधिकारिक प्रक्रिया पूरी हुई.

8 मई 2022 को फिनलैंड के साथ-साथ स्वीडन ने भी NATO की सदस्यता के लिए आवेदन किया था. 29 जून 2022 को मैड्रिड शिखर सम्मेलन में दोनों देशों को संगठन का हिस्सा बनने के लिए आमंत्रित किया गया था. 4 जुलाई को 2022 को कागजी कार्रवाही पूरी हुई, जबकि 5 जुलाई 2022 को सभी सदस्यों ने सहमति दे दी. 4 अप्रैल 2023 को फिनलैंड NATO का हिस्सा बन गया. लेकिन स्वीडन को 18 महीने तक इंतजार करना पड़ा. इसके पीछे की वजह जानने से पहले ये जान लीजिए NATO क्या है? द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद इसकी क्यों जरूरत पड़ी? साथ ही यूरोपीय देशों में इस संगठन का हिस्सा बनने के लिए क्यों होड़ लगी है?

कैसे हुआ NATO का गठन?

इतिहास के पन्ने पलटते हैं, और चलते हैं सिंतबर 1945 में. ये वो तारीख है जब द्वितीय विश्व युद्ध खत्म हुआ था. 1948 में सोवियत संघ बर्लिन की नाकेबंदी कर देता है. पश्चिमी यूरोप के पूंजीवादी देशों को लगता है कि साम्यवाद हावी हो जाएगा. ऐसे में इन देशों की सुरक्षा का जिम्मा उठाता है अमेरिका. 4 अप्रैल 1949 को अमेरिका के वाशिंगटन डीसी में 12 देशों के विदेश मंत्रियों की बैठक होती है. बैठक में एक मसौदे पर सभी विदेश मंत्रियों के हस्ताक्षर होते हैं. इस तरह अमेरिका के नेतृत्व में एक सैन्य सुरक्षा संगठन अस्तित्व में आता है. इसका नाम रखा जाता है NATO.

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‘वाॅशिंगटन ट्रीटी’ क्या है?

चूंकि ये समझौता (संधि) वाॅशिंगटन डीसी में हुई थी इसलिए इसे ‘वाॅशिंगटन ट्रीटी’ भी कहा जाता है. बात करें NATO की तो इसे नॉर्थ अटलांटिक ट्रीटी आर्गेनाइजेशन यानि ‘उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन’ कहा जाता है. यूरोपीय देश बेल्जियम की राजधानी ब्रुसेल्स में इसका मुख्यालय है. वर्तमान में जेन्स स्टोलेनबर्ग इस NATO के सेक्रेटी जनरल हैं. स्टोलनबर्ग नाटो के 13वें महासचिव हैं जो इस पद पर अक्टूबर 2014 से बने हुए हैं. वैसे तो नाटो महासचिव का कार्यकाल 4 साल का होता है लेकिन, जरूरत पड़ने पर इनका कार्यकाल बढ़ाया भी जा सकता है.

कौन से देश NATO में शामिल?

NATO के संस्थापक देशों यानि फाउंडिंग मेंबर्स में अमेरिका, ब्रिटेन, बेल्जियम, कनाडा, डेनमार्क, फ्रांस, आइसलैंड, इटली, लक्ज़मबर्ग, नीदरलैंड, नॉर्वे, और पुर्तगाल शामिल थे. 1952 में ग्रीस और तुर्किये NATO का हिस्सा बनते हैं. तब से लेकर अबतक 9 बार NATO का विस्तार हो चुका है. 20 यूरोपीय देश इसका हिस्सा बने हैं. मार्च 2024 में NATO के सदस्यों देशों की संख्या 32 हो चुकी है. बता दें कि केवल यूरोपीय देश ही NATO का हिस्सा बन सकते हैं. लेकिन इजरायल, साउथ कोरिया और भारत इस संगठन के सहयोगी देश रह चुके हैं.

NATO का मकसद क्या है?

नाटो का उद्देश्य राजनीतिक और सैन्य तरीकों से अपने सदस्य देशों की स्वतंत्रता और सुरक्षा की गारंटी देना है. सदस्य देशों के क्षेत्र की रक्षा करना, संभावित समुद्री खतरों से सुरक्षा में मदद करना और आतंकवाद को किसी भी रूप में स्वीकार ना करना शामिल है. नाटो लोकतांत्रिक मूल्यों को बढ़ावा देने और विवादों के शांतिपूर्ण समाधान पर यकीन रखता है. यदि शांति कायम होने की कोशिश विफल होती है तो NATO सैन्य ताकत का भी इस्तेमाल करता है. हालांकि NATO नि:शस्रीकरण, हथियारों के नियंत्रण और इसके अप्रसार के लिये वचनबद्ध है. इसके बावजूद NATO कई सैन्य अभियानों को अंजाम दे चुका है. इनमें अफगानिस्तान में तालिबान के खिलाफ सैन्य अभियान शामिल है.

NATO में शामिल होने की प्रक्रिया

NATO का आर्टिकल-10 में उल्लेख है कि ‘कोई भी देश इस संगठन में तभी शामिल होगा जब वो आवेदन करे. आवेदन के बाद बाकी के सदस्य देश चर्चा करते हैं और सभी सदस्यों की सर्वसम्मति से ही फैसला लिया जाता है. इस बीच किसी सदस्य ने विरोध जताया तो, नए देश का NATO में शामिल होना संभव नहीं होता. यही वजह थी कि, तुर्की की नाराजगी की वजह से स्वीडन का मामला लटका रहा. उसे NATO में शामिल होने के लिए 18 महीनों तक इंतजार करना पड़ा.

रूस-यूक्रेन जंग की वजह क्या है?

सेकंड वर्ल्ड वॉर के बाद कई दशकों तक नॉर्थ अमेरिका, पश्चिमी यूरोपीय देशों और USSR के बीच कोल्ड वॉर यानि शीतयुद्ध जारी रहा. NATO के जवाब में USSR यानि सोवियत संघ 1955 में. ‘वारसा संधि’ करता है. इसके बाद USA और USSR के बीच हथियारों की होड़ शुरु होती है. जिसके चलते दोनों देशों के संबंध और बिगड़ जाते हैं. साल 1991 में सोवियत संघ का विघटन होता है. रूस इस संघ का सबसे बड़ा देश बनता है. रूस हमेशा से ही NATO को अपनी संप्रभुता के लिए चुनौती मानता आया है. साल 2022 में जब यूक्रेन ने NATO में शामिल होने की मंशा जाहिर करता है तो पुतिन उसके खिलाफ सैन्य कार्रवाई का ऐलान कर देते हैं.

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