तालिबान ने की पिता की हत्या तो देश छोड़कर भागी ये खिलाड़ी, फिर ऐसे रचा इतिह… – भारत संपर्क
नादिया नदीम की गजब कहानी (फोटो-इंस्टाग्राम)
2021 में अफगानिस्तान में जब तालिबान की वापसी हुई तो महिलाओं की जिन्दगी फिर से नर्क बन गई. महिलाओं की शिक्षा से लेकर उनके बाहर निकलने और खेलने आदि पर भी रोक दी लगा दी गई. इस वजह से अफगानिस्तान की महिला क्रिकेट टीम भी भंग हो गई थी. हालांकि इससे पहले भी अफगानिस्तान पर तालिबान ने राज किया था. 2000 के दौरान भी अफगानिस्तान पर तालिबान की हुकूमत थी. उस समय भी महिलाओं की स्थिति बेहद खराब थी. एक लड़की जो आज एक स्टार फुटबॉलर और डॉक्टर हैं उसने सालों पहले डर और मातम के बीच अफगानिस्तान छोड़कर डेनमार्क में शरण ले ली थी. आज हम आपको रूबरू करा रहे हैं नादिया नदीम की संघर्षपूर्ण कहानी से.
पिता को तालिबान ने मारा, देश छोड़कर भागीं
नादिया नदीम का जन्म अफगानिस्तान के हेरात में 2 जनवरी 1988 को हुआ था. नादिया की उम्र 37 साल हैं लेकिन जब वो करीब 11 साल की थी तब उनके पिता को तालिबान ने मौत के घाट उतार दिया था. नादिया के पिता सेना में जनरल थे. पिता की मौत के बाद वो अपनी चार बहनों और मां के साथ भागकर डेनमार्क आ गई थीं.
बनीं डेनमार्क की स्टार फुटबॉलर
अफगानिस्तान में खुद को और अपने परिवार को असुरक्षित समझने के बाद नादिया ने डेनमार्क में पनाह ली. यहां आकर उनका रुझान फुटबॉल की तरफ बढ़ा. उन्होंने फुटबॉल खेलना शुरु किया और आगे जाकर एक प्रोफेशनल फुटबॉलर बन गईं. वो सीरी ए क्लब एसी मिलान के लिए खेलती हैं और स्ट्राइकर की भूमिका में नजर आती हैं. उन्होंने डेनमार्क के लिए भी फुटबॉल खेला है. अपने ओवर ऑल फुटबॉल करियर में नादिया नदीम 200 से ज्यादा गोल कर चुकी हैं.
अब डॉक्टर भी हैं नदीम
नादिया नदीम की पहचान अब सिर्फ स्टार फुटबॉलर ही नहीं बल्कि डॉक्टर के रूप में भी होती हैं. उन्होंने मेडिकल की पढ़ाई पूरी की और अपने नए प्रोफेशन की शुरुआत की. डॉक्टर बनने की गुड न्यूज को नादिया ने खुद अपने फैंस के साथ सोशल मीडिया पर शेयर किया था. नादिया सोशल मीडिया पर भी काफी पॉपुलर हैं. इंस्टाग्राम पर इस फुटबॉलर और डॉक्टर के 5 लाख से ज्यादा फॉलोअर्स हैं. नादिया को 11 भाषाओं का ज्ञान हैं और वो फोर्ब्स की इंटरनेशनल खेलों में सबसे शक्तिशाली महिलाओं की सूची में भी शामिल हैं.