मकान बेचने पर भी देना होता है टैक्स, जान लीजिए कितनी और कैसे…- भारत संपर्क
मकान बेचने पर भी देना होता है टैक्स, जान लीजिए कितनी और कैसे मिल सकती है छूट
अगर आपने हाल फ़िलहाल में घर खरीदा या बेचा है तो ये खबर आपके काम की साबित ही सकती है. दरअसल, घर खरीदने या बेचने से पहले हर इंसान हजार तरह के सवालों से गुजरता है. इसमें घर बेचने पर आने वाले पैसों से लेकर टैक्स तक शामिल होता है. कई बार लोगों के मन में ये भी सवाल होता है कि अगर पुराना घर बेचने से मिले पैसों से नया घर खरीद लिया जाए, तो क्या टैक्स में कोई छूट मिलेगी? या बेचने पर कितना टैक्स लगेगा? अगर आपके मन में भी यही सब सवाल है तो आइए आपको बताते हैं कि प्रॉपर्टी बेचने पर कितना टैक्स लगता है और आप इसे कैसे बचा सकते हैं.
कब लगेगा कैपिटल गेन टैक्स
अगर आप किसी रिहायशी प्रॉपर्टी को बेचकर मुनाफा कमा रहे हैं तो आपको टैक्स देना होगा. इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 48 के अनुसार, अगर किसी घर को खरीदने के बाद 2 साल में बेच दिया जाए तो उस पर हुए मुनाफे पर इनकम टैक्स भरना होगा. यदि यही घर आपने 2 साल से ज्यादा अपने पास रखकर बेचा तो होने वाले लाभ को लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन (LTCG) मान लिया जाता है. इस पर आपको 20 फीसदी के हिसाब से कैपिटल गेन टैक्स देना पड़ेगा
ऐसे मिलेगी टैक्स छूट
इनकम टैक्स एक्ट की धारा 54 के मुताबिक, अगर आपने घर बेचकर नई रिहायशी प्रॉपर्टी खरीदी है तो आपको लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स में छूट मिल सकती है. यह छूट सिर्फ इंडीविजुअल इनकम टैक्स पेयर्स या हिंदू अनडिवाइडेड फैमिली (HUF) को ही मिलेगी. हालांकि, बेची और खरीदी गई प्रॉपर्टी में से कोई भी कॉमर्शियल नहीं होनी चाहिए. पुराना घर बेचने के बाद 2 साल में नया घर आपको खरीदना होगा. अगर आप घर बनवा रहे हैं तो 3 साल तक छूट मिल जाती है. लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स की यह छूट 10 करोड़ रुपये तक की प्रॉपर्टी पर ही ली जा सकती है. अगर आपने 2 साल के भीतर दो घर खरीदे तो भी छूट ले सकते हैं. हालांकि, आपका कुल लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन 2 करोड़ रुपये से अधिक नहीं होना चाहिए.
यहां भी बचा सकते हैं पैसा
घर बेचने से हुए मुनाफे को जोड़ते समय आप उस प्रॉपर्टी के खरीद मूल्य को बिक्री मूल्य और रजिस्ट्रेशन चार्ज को घटाएंगे. अगर आपने प्रॉपर्टी के विकास पर पैसे खर्च किए हैं तो उसे भी मुनाफे में से कम कर सकते हैं. साथ ही घर को बेचने पर हुए खर्च जैसे कि ब्रोकरेज और लीगल फीस आदि को भी मुनाफे में से घटाया जाता है.