फिल्म “महावतार नरसिंह” का सम्मोहनथियेटर बने मंदिर — भारत संपर्क

समीक्षा: डॉ. संजय अनंत

ये फिल्म नहीं है, एक स्वस्फूर्त मौन आंदोलन है , जहां भी ये फिल्म दिखाई जा रही है , लोग हाथ जोड़ कर ,चप्पल-जूते उतार कर फिल्म देख रहे है ,अपने बच्चों को, वृद्ध-जन
नाती -पोतों के साथ और अच्छी बात बहुत सारे युवा अपनी गर्ल फ्रेंड के साथ थियेटर पहुंच रहे है I
इतनी सुंदर , इन्हीं कोलम, कल्पना से परे किसी मनभावन पेंटिंग की तरह , बचपन में पढ़ी अमर चित्रकथा जैसा अनुभव ….
ये समय कब बीत जाता है, दर्शकों को पता ही नहीं चलता।
और इस्कॉन वाले , उनके लिए तो मानो कृष्ण जन्माष्टमी पहले ही आ गई , थियेटर का माहौल , इस्कॉन टेंपल जैसा , वैष्णव तिलक धारण किए , मृदंग की थाप पर नृत्य करते वे पहुंच रहे है ।
थियेटर के अंदर , कृष्ण नाम संकीर्तन हो रहा है,

तो प्रभु जी ! आप किस प्रतीक्षा में है ??
भक्त प्रल्हाद की अद्भुत भक्ति के किस्से अवश्य सुने होंगे , अब समय आ गया उसे साक्षात् देखने का , तो सपरिवार पहुंचिए ,अपने नन्हे-मुन्नों को भी अवश्य साथ लाए
मै तो फिल्म देखते-देखते कई बार भावुक हो गया , नेत्र सजल हो गए ।
ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः
ये पूरी फिल्म में गूंजता है
और इंटरवल कर बाद
स्क्रीन पर फिल्म का क्लाइमेक्स
भगवान नरसिम्हा प्रगट होते है , वो सारी ऊर्जा, समस्त नक्षत्र का तेज मानो उन में समाहित हो …
आप इतने रोमांचित होंगे की आप भूल जाएंगे की ये एक एमिनेशन फिल्म है ।
महात्मा प्रल्हाद इतने सुंदर है की आप उनको देख कर मंत्रमुग्ध हो जाते है, इस चरित्र के लिए जिस ने आवाज़ दी है वो सम्मोहन से भरी है।
फिल्म के निर्माता , निर्देशक को प्रणाम करता हु, अश्विन कुमार निर्देशित “महावतार नरसिंह” अद्भुत है।
अरे ऐसे ही भारत बचेगा , न्यू जेनरेशन तक हमारे संस्कार पहुंचेंगे।
इस तरह की और भी अद्भुत कथाएं है ,उन पर भी वे फिल्म अवश्य बनाए
और अंत में
रेटिंग तो भाई , आंख मूंद कर ,
भगवान नरसिम्हा को प्रणाम करते हुए
दस में दस
सभी जाए और सपरिवार जाए
और देखे ये अद्भुत अकल्पनीय अति सुंदर मन भावन फिल्म।
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