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जिले की एंबुलेंस सेवा का बुरा हाल, पुरानी व्यवस्था के तहत चल रही खटारा गाडिय़ां

कोरबा। नेशनल हेल्थ मिशन अंतर्गत जिले में गर्भवती महिलाओं और एक साल तक के बीमार शिशुओं को समय पर बेहतर इलाज के लिए 102 महतारी एक्सप्रेस एंबुलेंस और संजीवनी एक्सप्रेस की क्रमश: 14-11 गाडिय़ां मिली थी। इसके लिए एक निजी एजेंसी को जिम्मेदारी सौंपी गई है। संचालक एजेंसी की ओर से एंबुलेंस की न तो समय पर सर्विंस कराया जा रहा है, न ही खराब सामानों की बदली कराई जा रही है। कई बार दुर्घटना होने के बाद गाडिय़ों को ठीक भी नहीं कराया जा रहा है। इस कारण धीरे-धीरे अब कई एंबुलेंस की गाडिय़ां खटारा हो चुकी हैं। जिले में स्वास्थ्य सुविधा का बुरा हाल है। आबादी बढऩे के बाद भी एंबुलेंस की सुविधा पुरानी व्यवस्था के तहत चल रही है। इसमें भी महतारी एक्सप्रेस की चार गाडिय़ां सडक़ से बाहर हो गई है। ज्यादातर गाडिय़ां खटारा हो चुकी हैं। 108 संजीवनी एक्सप्रेस गाडिय़ों की समय पर मेंटेनेंस नहीं होने से कई बार बीच सडक़ पर खराब हो रही है।
जिले की आबादी लगभग 12 लाख से अधिक हो गई है। इसमें से ज्यादातर आबादी ग्रामीण और सुदूर वनांचल क्षेत्र में है। लेकिन स्वास्थ्य सुविधा के तहत महतारी एक्सप्रेस और संजीवनी एक्सप्रेस की गाडिय़ां मरीज व गर्भवती महिलाओं को समय पर नहीं मिल रही है। सबसे अधिक दुर्घटना सहित अन्य आपातकालीन स्थिति में जिला अस्पताल या फिर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों से हायर सेंटर बिलासपुर और रायपुर जाने के लिए समय पर गाडिय़ां नहीं मिल पाती है। महतारी एक्सप्रेस की ही चार गाडिय़ां दुर्घटना में क्षतिग्रस्त हो गई है, जो सडक़ से बाहर हो चुकी है। इस कारण गर्भवती महिलाओं व एक साल तक के शिशुओं को समय पर बेहतर इलाज नहीं मिल रहा है। इसके अलावा संजीवनी एक्सप्रेस भी दुर्घटना स्थल पर समय पर नहीं पहुंचती है। इस तरह के पहले भी कई मामले सामने आ चुके हैं। कई बार एंबुलेंस देरी से पहुंच रही है, तो कई बार मरीजों को कॉल का रिस्पांस भी नहीं मिल रहा है। इसके बाद भी स्वास्थ्य विभाग गंभीरता नहीं दिखा रही है। इधर बिलासपुर, रायपुर हायर सेंटर जाने पर एंबुलेंस लगभग 12 से 18 घंटे के लिए व्यस्त हो जाती है। इस दौरान अन्य मरीजों को एंबुलेंस की जरूरत पडऩे पर समस्या बढ़ जाती है।
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एंबुलेंस में हो रहा प्रसव
विकासखंडों में महतारी एक्सप्रेस की कमी है। गर्भवती महिलाओं के परिजनों के फोन करने पर भी गाड़ी समय पर नहीं पहुंच पाती है। इस कारण गर्भवती महिलाओं को प्रसव संबंधी सहायता, प्रसव पूर्व जांच नहीं मिल पाती है। प्रसव संबंधी जानकारी देरी से मिलने पर महिलाओं का प्रसव एंबुलेंस और डायल 112 वहां में ही हो जाती है। इस तरह के मामले में सबसे अधिक पोड़ी उपरोड़ा विकासखंड के क्षेत्रों से सामने आते हैं। बारिश के मौसम में परेशानी और बढ़ सकती है।

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