बैंकिंग सेक्टर की हालत खराब, बकाया होम लोन की संख्या 27 लाख…- भारत संपर्क
भारतीय रुपए (Rupees)Image Credit source: PTI
आवास सेक्टर के लिए बकाया लोन पिछले दो वित्त वर्षों में लगभग 10 लाख करोड़ रुपए बढ़कर इस साल मार्च में रिकॉर्ड 27.23 लाख करोड़ रुपए पर पहुंच गया. आरबीआई के बैंक लोन के सेक्टर वाइज डिटेल पर बेस्ड रिपोर्ट में इसकी जानकारी दी गई है. बैंकिंग और रियल एस्टेट क्षेत्रों के एक्सपर्ट ने बताया कि कोविड महामारी के बाद आवासीय संपत्ति बाजार में दबी मांग सामने आने के चलते आवास लोन बकाया में वृद्धि हुई है.
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के रिपोर्ट के अनुसार, आवास (प्राथमिकता क्षेत्र आवास सहित) के लिए बकाया लोन मार्च 2024 में 27,22,720 करोड़ रुपए था. यह आंकड़ा मार्च, 2023 में 19,88,532 करोड़ रुपए और मार्च, 2022 में 17,26,697 करोड़ रुपए था. आंकड़ों से यह भी पता चला कि कमर्शियल अचल संपत्ति के लिए बकाया लोन मार्च 2024 में 4,48,145 करोड़ रुपए था. यह मार्च, 2022 में 2,97,231 करोड़ रुपए था.
रिपोर्ट में सामने आई ये जानकारी
विभिन्न संपत्ति सलाहकारों की रिपोर्ट के अनुसार, पिछले दो वित्त वर्षों में घरों की बिक्री और कीमतों में शानदार वृद्धि हुई है. बैंक ऑफ बड़ौदा के मुख्य अर्थशास्त्री मदन सबनवीस ने कहा कि आवास लोन में उच्च वृद्धि आवासीय क्षेत्र के सभी खंडों में तेजी के चलते है. उन्होंने कहा कि विशेष रूप से किफायती आवास खंड में सरकार के प्रयासों के कारण तेजी देखी गई है. सबनवीस ने कहा कि आवास लोन की वृद्धि मजबूत बनी रहेगी, लेकिन उच्च आधार के कारण यह घटकर 15-20 प्रतिशत रह सकती है.
ये भी पढ़ें
आरबीआई के आंकड़ों पर टिप्पणी करते हुए रियल एस्टेट विश्लेषण कंपनी प्रॉपइक्विटी के सीईओ और प्रबंध निदेशक समीर जसूजा ने कहा कि बकाया आवास लोन में वृद्धि मुख्य रूप से पिछले दो वित्त वर्षों में पेश की गईं और बेची गई संपत्तियों की मात्रा में वृद्धि का कारण है. उन्होंने बताया कि वित्त वर्ष 2020-21 से पहली श्रेणी के शहरों में 50-100 प्रतिशत के बीच मूल्य वृद्धि देखी गई है. इसके चलते प्रति संपत्ति औसत लोन आकार में वृद्धि हुई है.
तेजी से बिक रहे हैं घर
जसूजा को उम्मीद है कि आवास लोन में आगे भी तेजी बनी रहेगी, क्योंकि आवासीय रियल एस्टेट की मांग मजबूत बनी हुई है. कृसुमी कॉरपोरेशन के प्रबंध निदेशक मोहित जैन ने कहा कि बड़े घरों की मांग वास्तव में आसमान छू रही है. उन्होंने कहा कि जिन घरों को कभी विलासिता का प्रतीक माना जाता था, आज वे जरूरत बन गए हैं.