हर साल बढ़ रही टीबी मरीजों की संख्या ,क्षय रोग पर नियंत्रण…- भारत संपर्क
हर साल बढ़ रही टीबी मरीजों की संख्या ,क्षय रोग पर नियंत्रण पाने में विफल
कोरबा। जिले को टीबी मुक्त करने का लक्ष्य रखा गया है, लेकिन टीबी जिस तेजी से फैल रहा है यह स्वास्थ्य विभाग के लिए चुनौती बनी हुई है। हर साल 18 सौ से अधिक नए मरीज सामने आ रहे हैं। इसमें सबसे अधिक मरीज अधिक खदान प्रभावित क्षेत्र के बताए जा रहे हैं।
केंद्र सरकार ने क्षय रोग पर नियंत्रण पाने के लिए 2025 तक लक्ष्य रखा है। प्रदेश सरकार का जिले को वर्ष 2023 दिसंबर तक क्षय मुक्त बनाने का लक्ष्य रखा गया था, लेकिन जिले का प्रदूषण से लोगों के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक साबित हो रहा है। कोल डस्ट से प्रभावित होने की वजह से आकड़ा कम नहीं हो रहा है। दरअसल क्षय रोग प्रदूषण, गदंगी और एक व्यक्ति के ग्रसित होने पर दूसरे व्यक्ति के बार-बार संपर्क में आने से होता है। क्षय रोग होने का खतरा प्रतिरोधात्मक क्षमता कम होने वाले व्यक्ति के ग्रसित होने की संभावना अधिक होती है। इसलिए इसे हवा में फैलने वाली बीमारी भी कहा जाता है। स्वास्थ्य विभाग के कुछ वर्षो का आंकड़े देखें तो हर साल औसतन 12 फीसदी के करीब क्षय रोग से ग्रसित मरीज सामने आ रहे हैं। जबकि हर साल 15 से 19 हजार के करीब मरीजों की जांच हो रही है। इसमें से सबसे अधिक मरीज गेवरा, कुसमुंडा सहित अन्य कोल डस्ट प्रभावित क्षेत्र के हैं। स्वास्थ्य विभाग के सामने प्रदूषण के बीच जिले को क्षय मुक्त करने को लेकर चुनौती बनी हुई है। इससे नियंत्रण पाने को लेकर दबाव है। ऐसे में विभाग अब धीरे-धीरे अभियान को विस्तार करते हुए टीबी से ग्रसित मरीज के साथ रहने वाले परिवार के सदस्यों को भी दवाई देने की शुरूआत की गई है। इससे संक्रमण के फैलने में कमी आएगी।चिकित्सकों की मानें तो टीबी के शुरूआती लक्षण से एहतियात बरतनी चाहिए। इलाज के दौरान पौष्टिक आहार, योगा के साथ सामान्य जीवन व्यतीत करें। साथ ही समय-समय पर चिकित्सकीय सलाह लेने की जरूरत है। छह से नौ माह तक डॉक्टरी सलाह के अनुसार नियमित दवाईयां लेने से मरीज स्वस्थ हो सकते हैं।बीमारी की जानकारी होने पर घबराने की जरूरत नहीं है। टीबी का इलाज संभव है। इसके लिए सरकारी अस्पताल में नि:शुल्क जांच के साथ ही जिला अस्पताल, प्राथमिक व सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में नि:शुल्क दवाईयां उपलब्ध कराई जा रही है।
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ये है लक्षण
0 भूख नहीं लगना।
0 रात में पसीना आना।
0 वजन कम होना।
0 दो सप्ताह से खासी बुखार आना।
0 तीन सप्ताह से ज्यादा कफ।
0 छाती में दर्द।
0 खांसी में खून आना।
0 बुखार आना।