अमीर हो रहा और अमीर, गरीब के पास रोटी भी नहीं…देश में ऐसे…- भारत संपर्क

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अमीर हो रहा और अमीर, गरीब के पास रोटी भी नहीं…देश में ऐसे…- भारत संपर्क
अमीर हो रहा और अमीर, गरीब के पास रोटी भी नहीं...देश में ऐसे बढ़ी असमानता की खाई

देश में बढ़ रही अमीर-गरीब की खाईImage Credit source: Unsplash

अगर आपने ‘सुदामा-कृष्ण’ की दोस्ती की कहानी सुनी होगी, तो आपको ये पता होगा कि सुदामा कितने गरीब थे? उनकी स्थिति दो वक्त का खाना जुटाने तक की नहीं थी. इसलिए वह अपने अमीर (द्वारकापुरी के राजा) मित्र कृष्ण से मदद मांगने जाते हैं और भेंट के लिए साथ में एक चावल की पोटली ले जाते हैं. शायद यही वजह है कि बेट द्वारका के ‘द्वारकाधीश मंदिर’ में आम आदमी अआज भी अपनी गरीबी या दुखों को दूर करने के लिए ‘चावल’ की भेंट चढ़ाता है. लेकिन देश ‘सुदामा’ क्या वाकई में सही से देश की संपत्ति के हकदार बन पा रहे हैं. क्या अब कोई ‘कृष्ण’ बनेगा, जो उनकी दरिद्रता को दूर करेगा?

अगर आप देश अमीरी-गरीबी की खाई के आंकड़े देखेंगे, तो पाएंगे कि दौलतमंद और अमीर हो रहा है, जबकि गरीब के पास खाने के लिए रोटी तक नहीं है. इसे लेकर हाल में एक रिपोर्ट भी आई है जो दिखाती है कि देश के सिर्फ एक प्रतिशत अमीर लोग देश की 40 प्रतिशत संपत्ति के मालिक हैं.

सन् 2000 से ही ‘सुदामा’ के हाल-बेहाल

आर्थिक असमानता को लेकर थॉमस पिकेटी (पेरिस स्कूल ऑफ इकनॉमिक्स एंड वर्ल्ड इनइक्वलिटी लैब), लुकास चांसल (हार्वर्ड कैनेडी स्कूल एंड वर्ल्ड इनइक्वलिटी लैब) और नितिन कुमार भारती (न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी और वर्ल्ड इनइक्वलिटी लैब) ने एक रिपोर्ट ‘भारत की इनकम और वेल्थ में असमानता, 1922-2023: अरबपति राज का उदय’ पब्लिश की है. इस रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत के अंदर साल 2000 के बाद से ही आर्थिक असमानता बढ़ रही है.

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रिपोर्ट के हिसाब से 2022-23 में देश की सबसे अमीर एक प्रतिशत आबादी की देश की टोटल इनकम में हिस्सेदारी बढ़कर 22.6 प्रतिशत हो गई है. जबकि देश की संपत्ति में उनकी हिस्सेदारी बढ़कर 40.1 प्रतिशत हो गई है. भारत के टॉप एक प्रतिशत लोगों की देश की आमदनी ये हिस्सेदारी दुनिया में सबसे अधिक है. ये दक्षिण अफ्रीका, ब्राजील और अमेरिका जैसे देशों से भी ज्यादा है. यह बस पेरू, यमन और कुछ अन्य देशों से ही कम है.

रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि साल 2014-15 और 2022-23 के बीच आर्थिक असमानता टॉप लेवल पर पहुंची है. इसकी वजह धन के केंद्रित होने में वृद्धि होना है. अगर देश की नेट वेल्थ के नजरिए से देखा जाए, तो देश का इनकम टैक्स सिस्टम काफी रिग्रेसिव है.

रिपोर्ट में एक और बात कही गई है कि देश के अंदर इकोनॉमिक डेटा की क्वालिटी काफी खराब है. हाल ही में इसमें और गिरावट देखी गई है.

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