माननीव गरिमा से जीवन जीने का अधिकार ही मानव अधिकार: प्रधान…- भारत संपर्क

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माननीव गरिमा से जीवन जीने का अधिकार ही मानव अधिकार: प्रधान जिला न्यायाधीश

कोरबा। जिला विधिक सेवा प्राधिकरण कोरबा के द्वारा कोरबा कम्प्यूटर कॉलेज में अंतर्राष्ट्रीय मानव अधिकार दिवस के अवसर पर विधिक जागरूकता शिविर का आयोजन किया गया। वही उक्त अवसर पर सत्येन्द्र कुमार साहू, प्रधान जिला न्यायाधीश एवं अध्यक्ष महोदय, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण कोरबा द्वारा बताया गया कि एक परिवार में बच्चा जब नया मेहमान के रूप में आता है। तो उसकी मॉ उसे अच्छे से नहलाना, धुलाना करती है, ठण्डी, गर्मी के अनुसार उसे कपड़े पहनाती है, उसकी अच्छे से परवरिश करती है एक तरह से बच्चे की सुरक्षा करती है। जब बच्चा बड़ा होता है तो उन्हें अच्छे कपड़ा, अच्छा शिक्षा, भोजन एवं अन्य सुविधाएं प्राप्त होती है, यह सब तभी संभव होता है जब उसके पिता आर्थिक रूप से सक्षम हो, शराब का सेवन न करता हो, उसकी माता उसका अच्छे से ख्याल रखती हो तभी बच्चा स्वस्थ रहेगा, अच्छा शिक्षा अध्ययन करेगा। जब मॉ-बाप अच्छे होते है तो बच्चों को सभी अधिकार प्राप्त होते है, इसके विपरीत कोई बच्चे के मॉ-बाप किसी कारण से नहीं है तो बच्चे के आवश्यकता की पूर्ति नहीं हो पाती है। बच्चे को माता का प्यार नहीं मिल पाता है। यही से मानव अधिकार चालू होता है, इसे हम परिवार के दृष्टिकोण से देखे है। हमारे देश में शांति व्यवस्था बनी हुई है तो आज आप यहॉं पढ़ने के लिये आये है, क्योंकि यह एक अच्छी व्यवस्था है। पाषाणयुग में जिसके पास अधिक शक्ति रहती थी वह ही राज करता था।कमजोर व्यक्ति हमेशा दबा रहता था। इससे उसके अधिकार का अतिक्रमण होता था। हमारे सभ्य समाज में हमारा यह दायित्व है कि जो हमें अधिकार मिला है उसे संरक्षित रखें। मानव अधिकार आपको दूसरे के अधिकारों का अतिक्रमण करने नहीं देता है। हम कानून से नहीं चलेगंे तो अव्यवस्था फैल जायेगी। दुनिया में ऐसा कोई खेल नियम है जो नियम से न खेला जाए, नियम कानून इतनी जरूरी होता है कि आप बिना नियम के खेल ही नहीं सकते है। नियम हमारे शरीर से चालू हो जाता है, हमारे शरीर से, हमारे मन से, हमारे पढ़ाई से, हमारे गतिविधियों से एक अनुशासन एवं नियम की मांग होती है, उसे हमकों करना चाहिये। समाज के कमजोर वर्ग के व्यक्ति मजदूर, आदिम जनजाति, महिलाएं के अधिकार के अधिकारो के संरक्षण के लिये उन्हें जो अधिकार प्राप्त है वे सब मानव अधिकार के श्रेणी में आते है। अर्थात् माननीव गरिमा से जीवन जीने का अधिकार ही मानव अधिकार है। जो हमें अधिकार मिला है इसका सद्पयोग करें। हमें अपने परिवार, समाज, देश एवं पूरे विश्व के लिये एक उपयोगी मानव बनें। वही इस अवसर पर जयदीप गर्ग, विशेष न्यायाधीश, एस्ट्रोसिटीज एक्ट कोरबा के द्वारा अपने उद्बोधन में कहा गया कि आज से लगभग 100 वर्ष पूर्व माननीय लोक मान्य बाल गंगाधर तिलक जी ने कहा था कि स्वतंत्रता हमारा जन्म सिद्ध अधिकार है। स्वतंत्रता का मतलब सभी तरह की स्वतंत्रता है, स्वतंत्रता उठने-बैठने, धामिक स्थान में जाने की, समानता की, अपने विचार व्यक्त करने की, वित्तीय स्वतंत्रता एक महत्वपूर्ण स्वतंत्रता है। हमारे देश में महिलाओं की स्थिति बहुत ही अच्छी नहीं है, क्योकि उन्हें वित्तीय स्वतंत्रता नहीं मिल पाती है आज भी भारत के अधिकतर महिलाएं वित्तीय संसाधनों के लिये पुरूष पर निर्भर रहती है। आज हम अंतर्राष्ट्रीय मानव अधिकार दिवस मना रहे है। सरल भाषा में कहे तो वे अधिकार जो मनुष्य को एक मानव जीवन के लिये जरूरी है। मानव के लिये शुद्ध हवा, शुद्ध पानी, जीवन के लिये केवल खाना-पीना नहीं है, हमे आत्म सम्मान से जीने का अधिकार है। केवल खाना, पीना, सोना केवल मनुष्य के लिये नहीं है। भारत का संविधान बना तो हमकों मूलभूत अधिकार लिखित में दिया गया। अधिकार जब तक अधिकार नहीं है जब तक उसका पालन न कराया जा सकें। स्वतंत्रता आजादी के उपर कुछ न कुछ प्रतिबंध है, आपको बोलने की स्वतंत्रता है किन्तु दूसरे को गाली नहीं दे सकते, देश विरोधी कार्य नहीं कर सकते, आपको जो भी अधिकार दिये गये है, वे विधि के सम्मत है। जो कार्य गैर कानूनी है उसको आप नहीं कर सकते है। अपने अधिकारों को समझे,अधिकारों के प्रति जागरूक बने और ये भी समझे कि कौन सा अधिकार विधि सम्मत है। वही कु0 डिम्पल, सचिव, के द्वारा अपने उद्बोधन में कहा गया कि मानव अधिकार से आप क्या समझे है सरल शब्दांें में कहे तो जो अधिकार हमें जन्म से मिला है। आपके अधिकार का उल्लंघन होगा तो आप पुलिस के पास जायेगे। पुलिस के द्वारा विवेचना करने के बाद वह न्यायालय जायेगा। यह एक प्रक्रिया है। मानव अधिकार जीवन जीने का अधिकार, बोलने का अधिकार, शिक्षा का अधिकार मानव अधिकार एक दस्तावेजी है, इसमें मानव के क्या-क्या अधिकार है सब शामिल किया गया है। रोटी, कपड़ा और मकान ये सभी आपके मानव अधिकार है। जिला विधिक सेवा प्राधिकरण का गठन राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण एक्ट के तहत हुआ है। विधिक सेवा प्राधिकरण समाज के जरूरतमंद व्यक्तियों को निःशुल्क विधिक सहायता उपलबध कराता है। विधिक सेवा योजना के तहत पैरालीगल वॉलीण्टियर्स भी शामिल है जो दूरस्थ ग्रामीण क्षेत्रों में जाकर विधिक सेवा प्राधिकरण के योजनाओं का प्रचार-प्रसार करते है। निःशुल्क विधिक सेवा प्राप्त करने का अधिकार, महिला, बच्चो, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, आपदा पीड़ित, विकलांग, वरिष्ठ नागरिक, एैसे व्यक्ति जिनका वार्षिक आय डेढ़ लाख रूपये से कम है उनको उपलब्ध कराया जाता है। समाज के सभी वर्ग के व्यक्तियों को विधिक जागरूकता श्ाििवर के माध्यम से सरल शब्दों में कानूनी जानकारी उपलबध कराता है। वही राजेश अग्रवाल, के.सी.सी. के संचालक के द्वारा विधिक जागरूकता शिविर में आये मुख्य अतिथि, विशिष्ट अतिथि का आभार प्रदर्शन किया गया। जिला विधिक सेवा प्राधिकरण कोरबा के द्वारा सरल कानून पुस्तक प्रदाय किया गया।

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