light exposure se badhta hai diabetes ka khatra,- लाइट एक्पोज़र से बढ़ता है…
रात के वक्त स्मार्टफोन की चमक सर्कैडियन लय को असंतुलित करने का कारण साबित होती है। इससे नींद की समस्या का सामना करना पड़ता है। जानते हैं कैसे 6 घंटे से कम नींद लेने वाले लोगों में टाइप 2 डायबिटीज का खतरा बढ़ने लगता है
दिनों दिन मोबाइल का इस्तेमाल बढ़ रहा है। हर उम्र के लोग अपने हर कार्य के लिए किसी न किसी प्रकार से मोबाइल पर निर्भर करते हैं। मगर साथ ही वे इस बात से अंजान हैं, कि यही गैजेट उनके शरीर में डायबिटीज़ के जोखिम को बढ़ा सकता है। हाल ही में आई एक रिसर्च में इस बात का खुलासा किया गया है कि जो लोग 6 घंटे से कम नींद लेते हैं, उनमें 7 से 8 घंटे नींद लेने वाले लोगों के मुकाबले टाइप 2 डायबिटीज का खतरा बढ़ने लगता है।
किस तरह लाइट एक्पोज़र से बढ़ता है डायबिटीज़ का खतरा
इस बारे में सीनियर फिजीशियन एंव क्रीटिकल केयर स्पेशलिस्ट रूही पीरज़ादा बताती हैं कि
रात के वक्त स्मार्टफोन की चमक सर्कैडियन लय को असंतुलित करने का कारण साबित होती है। सर्कैडियन लय उस शारीरिक, मानसिक और व्यवहारिक परिवर्तन को कहा जाता है, जिसे मानव दिनभर में महसूस करता है।
यदि आपको पर्याप्त नींद नहीं मिलती है, तो ग्लूकोज चयापचय और भूख हार्मोन को रेगुलेट करने की शारीरिक क्षमता में बाधा उत्पन्न होने लगती है। ऐसे में देर रात कृत्रिम रोशनी के संपर्क में आने से टाइप 2 मधुमेह विकसित होने का खतरा बढ़ सकता है।
क्या कहती है रिसर्च
मोनाश युनिवर्सिटी ऑफ ऑस्ट्रेलिया के अनुसार रात के समय ज्यादा आर्टिफिशल लाइट के एक्सपोज़र से नींद न आने की समसया बढ़ जाती है। रिसर्च में पाया गया कि कलाई पर पहने जाने वाले गैजेटस के माध्यम से प्रतिभागियों के लाइट एक्सपोज़र को ट्रैक किया जिसमें 67 फीसदी लोगों में लाइट एक्सपोज़र से डायबिटीज़ का जोखिम पाया गया।
एक अन्य रिसर्च के अनुसार 40 से 69 वर्ष की आयु के लगभग 85,000 लोगों पर एक रिसर्च हुआ। इसमें लाइट एक्सपोज़र के खतरे को ट्रैक करने के लिए एक सप्ताह के लिए दिन और रात कलाई पर उपकरण पहने थे। इनमें से ऐसे लोग जो 12:30 बजे से 6:00 बजे के बीच प्रकाश के संपर्क में आए, उनमें डायबिटीज़ का खतरा बढ़ गया।
लाइट एक्सपोज़र से कम हो रह हैं नींद के घंटे, जानें उसका प्रभाव
1. डायबिटीज़ का खतरा
नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन के मुताबिक रात में पूरी नींद न लेने से मेटाबॉलिज्म प्रभावित होने लगता है, जिससे इंसुलिन की मात्रा कम होने लगती है। इससे शरीर में डायबिटीज़ का खतरा बढ़ जाता है। ब्लड शुगर लेवल के खतरे को कम करने के लिए नींद के अलावा ब्लड शुगर लेवल की नियमित जांच भी आवश्यक है।
2. तनाव का बढ़ना
नींद पूरी न होने से शरीर में कॉर्टिसोल स्ट्रैस हार्मोन रिलीज़ होने लगते हैं और तनाव का स्तर बढ़ने लगता है। इसके चलते हाई ब्लड प्रेशर की समस्या का जोखिम भी बढ़ जाता है। नींद की कमी का असर कार्यक्षमता पर भी दिखने लगता है और व्यक्ति एंग्ज़ाइटी का शिकार हो जाता है।
3. वेटगेन की समस्या
लाइट एक्सपोज़र नींद की कमी का मुख्य कारण साबित होती है। वे लोग जो देर रात तक मोबाईल देखते हैं, उनके शरीर में घ्रेलिन हार्मोन रिलीज़ होता है, जिससे ओवरइटिंग का सामना करना पड़ता है। साथ ही आलस्य और दिनभर थकान का सामना करना पड़ता है।
4. एजिंग का प्रभाव
अमेरिकन अकेडमी ऑफ स्लीप मेडिसिन के अनुसार 7 घंटे से कम नींद लेने से स्किन सेल्स में एजिंग प्रोसेस तेज़ी से बढ़ने लगता है। आंखों के नीचे कालापन बढ़ने लगता है और चेहरे पर एजिंग साइन नज़र आने लगते हैं। त्वचा को भरपूर मात्रा में ऑक्सीजन न मिलने से कोलेजन की कमी का सामना करना पड़ता है।
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