कहानी उस मशहूर डॉक्टर की जिसे हो गया था कैंसर, हुआ ऐसा इलाज कि पूरी दुनिया में चर्चा… – भारत संपर्क


रिचर्ड स्कोलियर ने ब्रेन कैंसर को दी मातImage Credit source: Alex Ellinghausen / Sydney Morning Herald via Getty Images
कैंसर से जंग किसी भी शख्स के लिए जीवन का सबसे बड़ा चैलेंज होता है. कोई इस बीमारी को मात दे तो ये किसी चमत्कार से कम नहीं माना जाता. वो भी सबसे घातक कैंसर में से एक ब्रेन कैंसर को, जो न सिर्फ दिमाग को बल्कि पूरे शरीर को प्रभावित करता है. ऐसा कर दिखाया दुनिया के जाने माने ऑस्ट्रेलियाई डॉक्टर रिचर्ड स्कोलियर ने. उनकी कहानी को जानना इसलिए भी दिलचस्प है क्योंकि उन्होंने ग्लियोब्लास्टोमा के विश्व-प्रथम इलाज से गुजरने के एक साल बाद इस बीमारी को मात दी है.
डॉक्टर रिचर्ड स्कोलियर की थेरेपी मेलेनोमा पर उनके अपने शोध पर आधारित है. प्रोफेसर स्कोलियर का ग्लियोब्लास्टोमा की प्रतिक्रिया इतना आक्रामक है कि ज़्यादातर मरीज एक साल से कम ही जी पाते हैं. हालांकि 57 साल के डॉक्टर ने घोषणा की कि उनके लेटेस्ट MRI स्कैन में फिर से ट्यूमर नहीं पाया गया है. स्कोलियर को पिछले साल जून में सबसे बदतर प्रकार के मस्तिष्क कैंसर का पता चला था और उन्होंने इम्यूनोथेरेपी उपचार के लिए “गिनी पिग” यानी एक्सपेरिमेंट में भाग लेने का फैसला किया था.
कौन हैं डॉक्टर रिचर्ड स्कोलियर
प्रोफेसर स्कोलियर एक अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रसिद्ध डॉक्टर है. उन्होंने मेलानोमा पर रिसर्च किया. मेलानोमा पर उनकी रिसर्च की वजह से 2024 में उन्हें और उनकी सहयोगी और दोस्त जॉर्जीना लॉन्ग के साथ ऑस्ट्रेलियन ऑफ द ईयर से नवाजा गया था. डॉक्टर रिचर्ड स्कोलियर ने सोशल मीडिया पर अपनी बीमारी के बारे में अपडेट देते हुए सोशल मीडिया पर पोस्ट किया. उन्होंने अपने पोस्ट में लिखा मैं इससे अधिक खुश नहीं हो सकता!!!!! उम्मीद है, यह न केवल डॉक्टर स्कोलियर के लिए बल्कि सभी ब्रेन कैंसर मरीजों के लिए बेहतर परिणामों में बदल जाएगा.
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इम्यूनोथेरेपी क्या होती है?
मेलानोमा इंस्टीट्यूट ऑस्ट्रेलिया के सह-निदेशकों ने पिछले एक दशक में इम्यूनोथेरेपी पर शोध किया है. इम्यूनोथेरेपी शब्द से ही साफ होता है कि यह मानव शरीर में इम्यूनिटी बढ़ाने वाली थेरेपी है. इसमें आपके शारीर में टी सेल्स यानी जो रोग से लड़ने में मदद करती है उसे कैंसर सेल्स से लड़ने के लिए तैयार किया जाता है. इस थेरेपी से वैश्विक स्तर पर मेलेनोमा रोगियों के परिणामों में बेहतर से सुधार हुआ है. आधे अब अनिवार्य रूप से ठीक हो गए हैं. पहले ये 10% से भी कम था. प्रोफेसर स्कोलियर प्री-सर्जरी इम्यूनोथेरेपी लेने वाले पहले ब्रेन कैंसर मरीज बन गए. वह अपने ट्यूमर के हिसाब से वैक्सीन लेने वाले पहले व्यक्ति भी हैं.