महापर्व छठ को लेकर टोकरी व सूप डाला बनने का काम तेज,5 नवंबर…- भारत संपर्क

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महापर्व छठ को लेकर टोकरी व सूप डाला बनने का काम तेज,5 नवंबर को नहाय खाय के साथ पर्व होगा शुरू

कोरबा। हर वर्ष कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि से लेकर सप्तमी तिथि तक लोक आस्था का महापर्व छठ मनाया जाता है। छठ के दौरान सूर्य देव की पूजा-उपासना की जाती है। इस पर्व की शुरुआत नहाय खाय से होती है। नहाय खाय कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है। इसके अगले दिन खरना मनाया जाता है। वहीं, कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को डूबते सूर्य देव को अर्घ्य दिया जाता है। जबकि, कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को उगते सूर्य देव को अर्घ्य दिया जाता है। उगते सूर्य देव को अर्घ्य देने के साथ ही छठ पूजा का समापन होता है। व्रती खरना पूजा के बाद लगातर 36 घंटे तक निर्जला उपवास करती हैं। वैदिक पंचांग के अनुसार, कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि 7 नवंबर को देर रात 12 बजकर 41 मिनट पर शुरू होगी और 8 नवंबर को देर रात 12 बजकर 34 मिनट पर समाप्त होगी। अत: 07 नवंबर को संध्याकाल का अर्ध्य दिया जाएगा। इसके अगले दिन यानी 08 नवंबर को सुबह का अर्घ्य दिया जाएगा।कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को नहाय खाय होता है। इस दिन व्रती घाटों में स्नान-ध्यान के बाद सूर्य देव की पूजा करते हैं। इसके बाद सात्विक भोजन ग्रहण करती हैं। भोजन में चावल-दाल और लौकी की सब्जी ग्रहण करती हैं। पंचांग गणना के अनुसार 5 नवंबर को नहाय खाय है।लोक आस्था का महापर्व छठ पूजा के मद्देनजर टोकरी व सूप डाला के निर्माण कार्य में तेजी आ गयी है। बस्तियों में टोकरी व सूप बनाने वाले कारीगर निर्माण कार्य में युद्ध स्तर पर जुटे हुए हैं। निर्माण कार्य से जुड़े कारीगरों का कहना है कि छठ पर्व के मौके पर बांस से बने सामग्रियों की मांग काफी बढ़ जाती है। जिस कारण अभी से ही सूप, डाला टोकरी, दउरा आदि बनाकर जमा कर रहे हैं। ताकि ऐन मौके पर छठ व्रतियों के मांग को पूरा किया जा सके। जबकि सूप डाला से जुड़े व्यवसाई भी अभी से ही निर्माणकर्ता से खरीद कर स्टॉक करने लगे हैं। इस व्यवसाय से जुड़े व्यापारियों का मानना है कि छठ पर्व में बांस से बने सामग्रियों की मांग बहुत ज्यादा होती है। विभिन्न स्थानों पर एक खास समुदाय के लोग बांस कृषकों से बांस खरीद कर सूप, डाला, टोकरी का निर्माण कर रहे हैं। हालांकि इस वर्ष बांस के कीमतों में भी इजाफा हो गया है। बावजूद इसके खास समुदाय के लोग सूप, डाला निर्माण का कार्य तीव्र गति से कर रहे हैं। सूप, टोकरी के निर्माण कर रहे समुदाय के लोगों ने बताया कि छठ के मौके पर अच्छी खासी बिक्री हो जाने के कारण दो पैसा कमा लेते हैं। वरना आजकल तो आमदिनों के उपयोग के लिए प्लास्टिक से बने सूप और टोकरी का प्रचलन बढ़ जाने के कारण उनका पुश्तेनी धंधा मंदा हो गया है। हालांकि जब लग्न शुरू होता है तो शादी विवाह के मौके पर डाला आदि का मांग बढ़ जाती है क्योंकि कुछ खास अवसर पर बांस से निर्मित सामग्रियों का महत्व आज भी बरकरार है। निर्माण से जुड़े लोगों ने बताया कि अभी वर्तमान में अच्छे बांस की कीमत 120 रुपये से लेकर 150 रुपया तक हो जाने के कारण टोकरी सूप डाला की कीमतों में भी बढ़ोतरी होगी। तभी उन्हें कुछ लाभ हो सकता है। वैसे आम दिनों में वे गांव मोहल्ले में जाकर हस्तकला निर्मित सामान बेचकर अपना रोजी-रोटी कमाते हैं। कुछ छठ व्रती अभी से ही सूप डाला व टोकरी खरीद कर अपने घरों में सुरक्षित रख रहे हैं। छठ पर्व के नजदीक आते ही कीमतों में उछाल आ जाता है।

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