आरोग्य मंदिरों में प्रसव और ब्लड जांच की भी नहीं है सुविधा- भारत संपर्क

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आरोग्य मंदिरों में प्रसव और ब्लड जांच की भी नहीं है सुविधा

कोरबा। जिले में स्वास्थ्य सुविधाएं बेहतर करने के नाम पर स्वास्थ्य विभाग की ओर से करोड़ो रुपए खर्च किए जा रहे हैं। लेकिन इलाज नहीं मिल रही है। आठ शहरी हेल्थ वेलनेस सेंटर (आयुष्मान आरोग्य मंदिर) ऐसे हैं, जहां गर्भवती महिलाओं को समय-समय पर बेहतर चिकित्सा व परामर्श, टीका, सेशन की सुविधा तो दी गई है, लेकिन प्रसव की सुविधा नहीं है। इस कारण महिलाओं को काफी परेशानी उठानी पड़ रही है। जबकि नजदीक में स्थित आरोग्य मंदिर में प्रसव सुविधा की मांग कर रहे हैं। इन अस्पतालों में ब्लड जांच की भी सुविधा नहीं है। केंद्रों में मलेरिया, हिमोग्लोबिन, सिकलिंग, ब्लडप्रेशन एवं शुगर जांच तक ही सीमित है। जबकि वर्तमान में कई तरह की बीमारियां लोगों को परेशान कर रही है। विभिन्न प्रकार बीमारियों के लक्षण की जानकारी के लिए चिकित्सकों की सलाह पर ब्लड व यूरीन जांच की जरूरत होती है। इसके लिए मरीजों को परेशान होना पड़ रहा है। इन केन्द्रों में पर्याप्त डॉक्टर ही नहीं है। मर्ज का इलाज स्टॉफ नर्स के भरोसे चल रहा है। स्वास्थ्य विभाग ने शहरी क्षेत्र में मरीजों को घर के निकट बेहतर इलाज मुहैया कराने के नाम पर 34 शहरी हेल्ट एवं वेलनेस (आयुष्मान आरोग्य मंदिर) संचालित किया गया है। इसके लिए एक-एक भवन के लिए लाखों रुपए खर्च किए गए हैं। इलाज के नाम पर कुछ भी नहीं है। स्वास्थ्य सुविधा का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि आठ ऐसे में आयुष्मान आरोग्य मंदिर हैं, जहां चिकित्सक ही नहीं है। यह केंद्र चार स्वास्थ्य कर्मचारियों के भरोसे ही संचालित हो रहा है। ऐसे में मरीजों को इलाज के लिए मायूस होना पड़ रहा है। मजबूरी में उन्हें रानी धनराज कुंवर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र या फिर मेडिकल कॉलेज अस्पताल का चक्कर काटना पड़ रहा है। बताया जा रहा है कि इन आरोग्य मंदिर में गर्भवती महिलाओं के लिए भी पर्याप्त इलाज व परामर्श सुविधाएं भी नहीं है। जबकि सुविधा के नाम पर लाखों रुपए खर्च किए जा रहे हैं।
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15 आरोग्य मंदिर भवन का हैंडओवर ही नहीं
शहरी क्षेत्र में दो चरण में कुल 34 शहरी हेल्थ वेलनेस सेंटर को स्वीकृति मिली है। इसमें पहले चरण में 19 और दूसरे चरण में 15 भवन निर्माण का कार्य शुरू किया गया। 19 भवनों में अस्पताल संचालित हैं। लेकिन 15 नए भवन में से अधिकांश भवनों का निर्माण का कार्य पूरा हो गया है। लेकिन स्वास्थ्य विभाग को अभी तक इसका हैंडओवर नहीं मिला है।

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