इस मंदिर में नहीं है कोई मूर्ति, दीवाली और धनतेरस पर यहां किसकी पूजा करते ह… – भारत संपर्क

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इस मंदिर में नहीं है कोई मूर्ति, दीवाली और धनतेरस पर यहां किसकी पूजा करते ह… – भारत संपर्क

ओरछा में लक्ष्मीनारायण मंदिर
मध्य प्रदेश के निवाड़ी जिले के ओरछा में देश का अनोखा मंदिर बना हुआ है. उल्लू की चोंच और श्री यंत्र के आकार में इसे तांत्रिक विधि से बनाया गया था. यहां भगवान राम की राजा के रूप में पूजा की जाती है. जामुनी और बेतवा नदी के किनारे बसा ये ऐतिहासिक नगर अपने अंदर कई सांस्कृतिक धरोहरों को सहेजे हुए है. इसे देखने के लिए देश के ही नहीं बल्की विदेशों से भी लोग आते हैं. ओरछा में स्थित रामराजा मंदिर, जहांगीर महल, राजा महल, राय परवीन महल, चतुर्भुज मंदिर, लक्ष्मीनारायण मंदिर खास हैं.
यहां पर 17वीं सदी की शुरुआत में बना लक्ष्मीनारायण मंदिर अपने आप में खास है. यह मंदिर 1622ईस्वी में वीरसिंह देव ने बनवाया था. यह मंदिर ओरछा के पश्चिम में एक पहाड़ी पर बना हुआ है. यह मंदिर पिछले 40 सालों से मूर्ति विहीन है. इस मंदिर में 17वीं और 19वीं शताब्दी के चित्र बने हुए हैं. यहां चित्रों के चटकीले रंग इतने जीवंत लगते हैं, जैसे वह हाल ही में बनाए गए हों.
गर्भगृह पड़ा है सूना
मंदिर में रामायण, महाभारत, झांसी की लड़ाई के दृश्य और भगवान कृष्ण की आकृतियां बनी हैं. यह इकलौता मंदिर है, जिसका निर्माण तत्कालीन विद्वानों द्वारा श्रीयंत्र के आकार में उल्लू की चोंच को दर्शाते हुए किया गया है. इसके अलावा 17वीं सदी में बने इस मंदिर की मान्यता है कि दीपावली के दिन इस सिद्ध मंदिर में दीपक जलाकर मां लक्ष्मी की पूजा करने से वो प्रसन्न होती हैं. 1983 में मंदिर में स्थापित मूर्तियों को चोरों ने चुरा लिया था. तब से आज तक मंदिर के गर्भगृह का सिंहासन सूना पड़ा हुआ है.
बिना मूर्ति के होती मां लक्ष्मी की पूजा
1622 में राजा वीर सिंह देव ने ओरछा में कई ऐतिहासिक इमारतों के साथ इस मंदिर का निर्माण तत्कालीन विद्वानों के द्वारा श्री यंत्र के आकार में उल्लू की चोंच को दर्शाते हुए तांत्रिक विधि से बनाया गया था. यह मंदिर देश-दुनिया का इकलौता धन की देवी माता लक्ष्मी को समर्पित हैं.
मंदिर में माता की प्रतिमा ना होने के बावजूद भी यहां पूजा पाठ की जाती है. यहां श्रद्धालु मंदिर की चौखट पर माथा टेककर बिना मां लक्ष्मी के दर्शन किए वापस लौट जाते हैं. वहीं धनतेरस से दीपावली तक हजारों की संख्या में देश-विदेश से लोग यहां पहुंचते हैं. ऐसी मान्यता है कि दीपावली की रात मंदिर व परिसर में दीपक जलाने से माता लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं.

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