2014 और 2019 में चुनाव के बीच शेयर बाजार में थी बहार, इस बार…- भारत संपर्क
साल 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव के मुकाबले मतदान के दौरान 2024 में शेयर बाजार में गिरावट देखने को मिल रही है.
लोकसभा चुनाव 2024 का चौथा फेज चल रहा है. जब से इलेक्शन शुरू हुआ है तब से शेयर बाजार में डेढ़ फीसदी से ज्यादा की गिरावट देखने को मिल चुकी है. जबकि बीते दो लोकसभा चुनाव में नजारा पूरा बदला हुआ था. साल 2014 में 9 फेज में चुनाव हुआ था. इस दौरान सेंसेक्स में 1200 से ज्यादा अंकों की तेजी देखने को मिली थी. वहीं साल 2019 का लोकसभा चुनाव 7 फेज में हुआ. सेंसेक्स में इस दौरान करीब 950 अंकों का इजाफा देखने को मिला था. इस बार शेयर बाजार में क्यों गिरावट देखी जा रही है?
जानकारों की मानें तो बीते दो लोकसभा इलेक्शन में चुनाव नतीजों को लेकर किसी भी तरीके की अनिश्चितता का माहौल नहीं था. चुनाव के नतीजे पूरी तरह से स्पष्ट देखने को मिल रहे थे. मतदान प्रतिशत भी काफी अच्छा देखने को मिला था. सबसे अहम बात विदेशी निवेशकों का भरोसा अप्रैल और मई के महीने में काफी अच्छा था.
इस बार ऐसा नहीं है. बीते तीन चरणों में हुए चुनाव के दौरान मतदान प्रतिशत 2014 और 2019 के मुकाबले कम देखने को मिला है. जिसकी वजह से चुनाव के नतीजे थोड़े अनिश्चित देखने को मिल रहे हैं. वहीं दूसरी ओर विदेशी निवेशकों ने अपने शेयर बाजार से अपना पैसा निकालना शुरू कर दिया है. अप्रैल के महीने के बाद मई के महीने में विदेशी निवेशकों ने मोटा पैसा निकाल लिया है. आइए जरा आंकड़ों की भाषा में समझने की कोशिश करते हैं कि आखिर 2014 और 2019 में चुनाव के दौरान शेयर बाजार किस तरह की कहानी बयां कर रहा था.
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2014 दौरान शेयर बाजार का हाल
- 2014 लोकसभा चुनाव का पहला फेज 7 अप्रैल को था और उस दिन सेंसेक्स 22,343.45 अंकों पर था.
- लोकसभा चुनाव का आखिरी फेज 12 मई को खत्म हुआ और सेंसेक्स 23,551 अंकाें पर दिखाई दिया था.
- इसका मतलब है कि लोकसभा चुनाव के मतदान के दौरान सेंसेक्स में 1,207.55 अंकों का इजाफा देखने को मिला था.
- निवेशकों की जुबां में बात करें तो सेंसेक्स ने 2014 के मतदान के दौरान 5.40 फीसदी का रिटर्न दिया था.
- अगर बात निफ्टी की करें तो पहले फेज के दिन निफ्टी 6,695.05 अंकों पर दिखाई दी थी.
- आखिरी फेज के दिन नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का प्रमुख सूचकांक निफ्टी 7,014.25 अंकों पर दिखाई दी.
- इसका मतलब है कि सभी फेज के बीच निफ्टी में 319.2 अंकों का उछाल देखने को मिला था.
- यानी निवेशकों को लोकसभा चुनाव 2014 के मतदान पूरा होने तक निफ्टी ने 4.78 फीसदी का रिटर्न दिया था.
2019 के चुनाव के दौरान तेजी
- साल 2019 के लोकसभा चुनाव का पहला फेज 11 अप्रैल को शुरू हुआ था और सेंसेक्स 38,607.01 अंकों पर था.
- 2019 लोकसभा चुनाव का आखिरी फेज 19 मई को खत्म हुआ था लेकिन उस दिन संडे था. जब बाजार मंडे यानी 20 मई को खुला तो सेंसक्स 39552.67 अंकों पर दिखाई दिया.
- इसका मतलब है कि मतदान के बीच सेंसेक्स में 945.66 अंकों का उछाल देखने को मिला था.
- अगर इसे फीसदी में देखें तो निवेशकों को सेंसेक्स ने इस बीच 2.44 फीसदी का रिटर्न दिया था.
- वहीं दूसरी ओर निफ्टी लोकसभा चुनाव 2019 के पहले फेज के मतदान के दिन 11,596.70 अंकों बंद हुआ था.
- आखिरी फेज तक आते-आते नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का प्रमुख सूचकांक निफ्टी 11,828.25 अंकों पर आ गया.
- लोकसभा चुनाव 2019 का मतदान 7 फेज हुआ था और निफ्टी में 231.55 उछाल देखने को मिला था.
- इसका मतलब है कि निवेशकों को इस दौरान निफ्टी ने 2 फीसदी का रिटर्न दिया है.
2024 के चुनाव के बीच गिरा बाजार
अगर बात लोकसभा चुनाव 2024 की करें तो अभी चौथा चरण भी खत्म नहीं हुआ है. सेंसेक्स में 1200 अंकों से ज्यादा की गिरावट देखने को मिल चुकी है. 19 अप्रैल को पहला चरण था और सेंसेक्स 73088.33 अंकों पर बंद हुआ था. 13 मई यानी आज शेयर बाजार में सुबह बड़ी गिरावट देखने को मिली और सेंसेक्स 71866.01 अंकों के लोअर लेवल पर पहुंच गया. इस दौरान सेंसेक्स में 1,222.32 अंकों की गिरावट देखने को मिल चुकी है. इसका मतलब है कि सेंसेक्स निवेशकों को 1.67 फीसदी का नुकसान करा चुका है.
वहीं बात निफ्टी की करें तो समान अवधि में सवा 300 अंकों से ज्यादा की गिरावट देखने को मिल चुकी है. आंकड़ों पर बात करें तो 19 अप्रैल को निफ्टी 22,147 अंकों पर था. जबकि 13 मई को कारोबारी सत्र के दौरान निफ्टी 21,821.05 अंकों पर आ चुका है. इसका मतलब है कि निफ्टी में 325.95 अंकों की गिरावट देखने को मिल चुकी है. इस दौरान निफ्टी ने निवेशकों को 1.47 फीसदी का नुकसान करा दिया है.
बाजार से पैसा निकाल रहे हैं विदेशी निवेशक
अगर बात विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों की करें तो अप्रैल और मई के महीने में अब तक निवेशक 25 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा बाजार से निकाल चुके हैं. एनएसडीएल के आंकड़ों के अनुसार अप्रैल के महीने में एफपीआई ने 8,671 करोड़ रुपए शेयर बाजार से निकाल लिए थे. वहीं मई के महीने में अब तक 17,083 करोड़ रुपए बाजार से निकाल चुके हैं. अगर बात साल 2014 की करें तो अप्रैल के महीने में विदेशी निवेशकों ने 9,600 करोड़ रुपए का निवेश किया था. मई के महीने में यहां आंकड़ा 14,007 करोड़ रुपए पर पहुंच गया था. साल 2019 में अप्रैल के महीने में एपीआई ने शेयर बाजार में 21,193 करोड़ रुपए का निवेश किया था. मई के महीने में 7,920 करोड़ रुपए का निवेश किया.
क्या कहते हैं एक्सपर्ट
शेयर मार्केट एक्सपर्ट पुनीत किनरा ने कहा कि शेयर बाजार में जरूर अनिश्चितता का माहौल बना हुआ है. 20 साल के डाटा को खंगालकर देखेगें तो चुनाव के दौरान ऐसा ही देखने को मिलेगा. उन्होंने कहा कि अगर अगर निफ्टी 22300 के लेवल पहुंचता है तो शेयर बाजार में निवेश करने का बेहतरीन मौका है. इस लेवल को निफ्टी ब्रेक करता है तो निवेशकों को काफी फायदा हो सकता है. वहीं दूसरी ओर 21,700 का रेंज भी काफी अहम है. यहां भी निवेशक दांव खेल सकता है. इन दोनों लेवल के बीच निवेशकों को बाजार से दूर ही रहना चाहिए.