आम आदमी के साथ अब और नहीं होगा कोई स्कैम, TRAI ने की ये तैयारी – भारत संपर्क
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Spam पर लगेगी लगाम
आम आदमी के लिए आज सबसे बड़ी टेंशन ऑनलाइन स्कैम या फ्रॉड की हो चुकी है. जैसे-जैसे हमारी सुविधा के लिए पेमेंट से लेकर ट्रेन की टिकट बुकिंग तक ऑनलाइन हुई. वैसे-वैसे फ्रॉड, स्कैम करने के नए-नए डिजिटल तरीके इजाद होते गए. इसमें टेली मार्केटिंग वालों की आड़ में भी बहुत स्कैम हुए और आज भी स्कैमर्स को सबसे ज्यादा यही तरीका पसंद आता है. लेकिन अब स्कैमर्स की खैर नहीं, क्योंकि आम आदमी को बचाने के लिए ट्राई ने स्पैम कॉल एवं मेसेजेस को कंट्रोल करने का एक नया प्लान तैयार किया है.
टेलीकॉम सेक्टर को रेग्युलेट करने वाले TRAI ने स्कैम की घटनाओं पर रोक लगाने के लिए अब स्पैम कॉल और मेसेजेस पर शिकंजा कसने की तैयारी की है. इसके दायरे में टेली मार्केटिंग कंपनियां भी आ सकती हैं.
क्या है TRAI का प्लान?
टेलीकॉम रेग्युलेटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया (TRAI) बहुत जल्द एक कंसल्टेशन पेपर लेकर आने वाला है. ये टेली मार्केटर्स को रेग्युलेट करने वाला फ्रेमवर्क हो सकता है. इसमें टेली मार्केटिंग से जुड़े कॉल और एसएमएस पर नजर बनाए रखने के प्रावधान हो सकते हैं, जो आम तौर पर स्कैमर्स के लिए स्कैम करने का सबसे पॉपुलर तरीका हैं. स्पैम कॉल और मेसेजेस को कंट्रोल करने के मौजूदा नियमों का असर अभी उस तरह नहीं दिख रहा है, जैसा होना चाहिए था.
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टेलीकॉम कंपनियां कर ही विरोध
ट्राई के इस प्लान को लेकर टेलीकॉम कंपनियां काफी आलोचना कर रही हैं. रिलायंस जियो, भारती एयरटेल और वोडाफोन आइडिया जैसी कंपनियों का कहना है कि स्पैम को कंट्रोल करने के लिए अभी जो नियम बनाए गए हैं, उसमें ओटीटी प्लेयर्स और टेली मार्केटर्स जैसे बड़े स्टेक होल्डर्स को बाहर रखा गया है. वहीं ट्राई का कहना है कि जब वह इस पर कंसल्टेशन पेपर लेकर आएगी तो सभी पक्षों की बातों का ध्यान रखकर उनकी चिंताओं को दूर करने का काम करेगी.
टेलीकॉम कंपनियों की सबसे बड़ी चिंता ये है कि वह टेली मार्केटिंग और ओटीटी प्लेटफॉर्म्स के लिए महज एक इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोवाइडर हैं, लेकिन स्पैम को रोकने के लिए उनके ऊपर अतिरिक्ति नियम कानून और उनको संभालने की लागत डाली जा रही है.
हर महीने भेजे जाते हैं 55 अरब एसएमएस
भारत में हर दिन 1.5 से 1.7 अरब कमर्शियल मैसेज भेजे जाते हैं. इस तरह हर महीने देश के सभी टेलीकॉम यूजर्स को टोटल 55 अरब कमर्शियल मैसेज भेजे जाते हैं. ऐसे में इनमें से स्पैम का पता लगाना एक जटिल और खर्चीला काम है.