ये अमेरिकन एजेंसी हुई भारतीय इकोनॉमी की कायल, चीन को ऐसे…- भारत संपर्क
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एसएंडपी ग्लोबल रेटिंग्स ने अगले वित्त वर्ष 2024-25 के लिए भारत की ग्रोथ रेट के अनुमान को बढ़ाकर मंगलवार को 6.8 फीसदी कर दिया.
भारत की बढ़ती ग्रोथ को देखकर दुनिया भर की इकोनॉमिक एजेंसिया गदगद है. हर कोई भारतीय अर्थव्यवस्था को ग्लोबल इकोनॉमी का इंजन कहने से चूक नहीं रहा है. यही वजह है कि चीन सांसें ऊपर-नीचे हो रही है. इसी कारण से अपने मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर को दोबारा से उठाने के लिए दुनियाभर की बड़ी कंपनियों के साथ बातें शुरू कर दी है. कुछ दिन पहले चीन के नेताओं की एपल प्रमुख टिम कुक से मुलाकात हुई थी. टेस्ला प्रमुख मस्क के साथ चीन लगातार संपर्क में है. वहीं दूसरी ओर भारत की इकोनॉमी में लगातार पंख लगे हुए हैं. एपल अब भारत में अपने प्रोडक्शन को लगातार बढ़ा रहा है. एलन मस्क कई हजार करोड़ रुपए का इंवेस्टमेंट करने को तैयार है. जिसके लिए भारत ने अपनी ईवी पॉलिसी में भी बदलाव किए हैं.
एसएंडपी ने किया बदलाव
यही कारण है कि दुनिया की बड़ी रेटिंग एजेंसी में से एक एसएंडपी ग्लोबल रेटिंग्स ने भारत के इकोनॉमिक आउटलुक में फिर से बदलाव करते हुए और ज्यादा बेहतर कर दिया है. एसएंडपी ग्लोबल रेटिंग्स ने अगले वित्त वर्ष 2024-25 के लिए भारत की ग्रोथ रेट के अनुमान को बढ़ाकर मंगलवार को 6.8 फीसदी कर दिया. अमेरिका स्थित एजेंसी ने पिछले साल नवंबर में मजबूत घरेलू गति के बीच वित्त वर्ष 2024-25 में भारत की वृद्धि 6.4 फीसदी होने का अनुमान लगाया था. चालू वित्त वर्ष 2023-24 में भारतीय अर्थव्यवस्था में 7.6 प्रतिशत की वृद्धि होने का अनुमान है.
इन चार इकोनॉमी पर जताया भरोसा
एसएंडपी ने एशिया प्रशांत के लिए अपने इकोनॉमिक आउटलुक में कहा कि एशियाई उभरती बाजार (ईएम) अर्थव्यवस्थाओं के लिए हम आम तौर पर मजबूत वृद्धि का अनुमान लगाते हैं, जिसमें भारत, इंडोनेशिया, फिलीपींस और वियतनाम अग्रणी हैं. एजेंसी के अनुसार, भारत, जापान और ऑस्ट्रेलिया जैसी बड़े पैमाने पर घरेलू मांग-आधारित अर्थव्यवस्थाओं में घरेलू खर्च करने की क्षमता पर उच्च ब्याज दरों और मुद्रास्फीति के प्रभाव ने दूसरी छमाही में क्रमिक सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि को कम किया है. एसएंडपी ने कहा कि हमे उम्मीद है कि वित्त वर्ष 2024-25 (मार्च 2025 को समाप्त) में भारत की वास्तविक जीडीपी वृद्धि दर 6.8 फीसदी हो जाएगी.
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आईएमएफ का अनुमान
इससे पहले जनवरी के आखिरी दिनों में आईएमएफ ने भी अपने आउटलुक में बदलाव करते हुए भारत की इकोनॉमी के अनुमान को बेहतर किया था. आईएमएफ ने अनुमान लगाया था कि वित्त वर्ष 2025 में भारत की इकोनॉमी 6.5 फीसदी रह सकती है. दूसरी ओर फिच ने कहा था कि भारत की इकोनॉमिक ग्रोथ मौजूदा वित्त वर्ष 7.8 फीसदी रह सकती है. जबकि अगले वित्त वर्ष में 7 फीसदी रहने का अनुमान लगाया था. इसका मतलब है कि दुनिया की कोई इकोनॉमिक एजेंसी नहीं कि जोकि इंडियन इकोनॉमी की कायल ना हो.
8 फीसदी से ज्यादा था ग्रोथ रेट
तीसरी तिमाही में भारत की ग्रोथ रेट 8.4 फीसदी देखने को मिली थी. इस आंकड़ें ने सभी अनुमानों को धराशायी कर दिया था. वहीं दूसरी ओर मौजूदा वित्त वर्ष के सरकार ने अपने अनुमान को 7.3 फीसदी से बढ़ाकर 7.6 फीसदी कर दिया था. इन्हीं आंकड़ों के बाद दुनियाभर की एजेंसिया भारत की इकोनॉमिक ग्रोथ के अनुमान को बढ़ाने में जुट गई है. साथ ही भरोसा जता रही है कि आने वाले साल में भारत की स्थिति कहीं बेहतर रह सकती है. वो भी ऐसे समय में जब यूरोप और मिडिल ईस्ट के जियो पॉलिटिकल हालात ठीक नहीं है. लाल सागर पर हूती विद्रोहियों के हमले से सामान का आवागमन मुश्किल हो गया है. ओपेक प्लस के प्रोडक्शन कट की वजह से कच्चे तेल की कीमतों में इजाफा देखने को मिल रहा है.
चीन की हालत खराब क्यों?
वहीं दूसरी ओर चीन की इकोनॉमिक ग्रोथ को लेकर कोई भी संतुष्ट नहीं है. कुछ हफ्तों पहले चीन के सरकारी आंकड़ें सामने आए थे. जिसमें मैन्युफैक्चरिंग को लेकर स्थिति थोड़ी बेहतर देखने को मिली थी. लेकिन रियल एस्टेट सेक्टर अभी काफी खराब स्थिति में जिसकी वजह से चीन की ग्रोथ को तेजी नहीं मिल पा रही है. इस बात को कई रेटिंग एजेंसियां कह चुकी है. मौजूदा समय में चीन की ग्रोथ रेट का औसत अनुमान 5 फीसदी से नीचे ही बताया गया है. ऐसे में अनुमान लगाया जा सकता है कि भारत की ग्रोथ को लेकर दुनिया पॉजिटिव दिखाई दे रही है. जबकि चीन की ग्रोथ में निराशा देखने को मिल रही है.