वोट की ताकत ही नहीं कमाई की भी मशीन है ये कंपनी, पिछले चुनाव…- भारत संपर्क

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वोट की ताकत ही नहीं कमाई की भी मशीन है ये कंपनी, पिछले चुनाव…- भारत संपर्क
वोट की ताकत ही नहीं कमाई की भी मशीन है ये कंपनी, पिछले चुनाव से अब तक कराया 700% का मुनाफा

देश में अब ईवीएम से होते हैं चुनाव

चुनाव का वक्त है, ऐसे में इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) का जिक्र ना हो, तो काफी बेमानी सी बात होगी. भारत में आज लोकतंत्र की असली ताकत यही मशीन है, जो हर नागरिक के वोट को दर्ज करती है. वहीं देशभर की 543 लोकसभा सीटों पर खड़े होने वाले हजारों उम्मीदवारों की किस्मत भी इसी ईवीएम में बंद होती है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि देश में ये मशीन कौन सी कंपनियां तैयार करती हैं? उस कंपनी का रिटर्न कैसा रहा है? इतना ही नहीं देश में ईवीएम का इतिहास क्या रहा है?

अगर हम देश में ईवीएम के इतिहास की बात करें, तो ये कहानी 1982 तक जाती है. चुनावों के दौरान धांधली को रोकने और बूथ कैप्चरिंग जैसी समस्या से निपटने के लिए ईवीएम के कॉन्सेप्ट पर चर्चा तो काफी पहले से थी. फिर 1982 आया, जब केरल में परावुर विधानसभा सीट पर ईवीएम का ट्रायल किया गया.

2001 के विधानसभा चुनावों से बदला इलेक्शन का तरीका

हालांकि इसमें कई परेशानियां आई और ईवीएम को डेवलप होते-होते 2001 का समय आ गया, जब तमिलनाडु, केरल, पुडुचेरी और पश्चिम बंगाल के विधानसभा चुनावों में ईवीएम का इस्तेमाल किया गया. तब इन्हें हर बूथ पर इंस्टाल किया गया. उससे पहले 1998 के लोकसभा चुनावों में कुछ बूथ्स पर इसका ट्रायल किया जा चुका था. साल 2004 में हुआ लोकसभा का चुनाव पहला ऐसा चुनाव था जो पूरी तरह ईवीएम से हुआ.

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हालांकि ईवीएम को लेकर संशय तब भी उठते रहे और साल 2013 में इसके साथ वीवीपैट भी जुड़ गया. 2014 के इलेक्शन में कुछ ईवीएम मशीनों के साथ एक पेपर प्रिंटर (वीवीपैट) को जोड़ा गया, जिसमें डाले गए वोट को पेपर फॉर्म में भी इकट्ठा किया जाता है. 2019 के लोकसभा चुनाव में देश की हर सीट पर ईवीएम के साथ वीवीपैट मशीन लग गई. ये तो हुई ईवीएम की बात, अब इन्हें बनाने वाली कंपनी के बारे में भी जान लेते हैं…

2 सरकारी कंपनी बनाती हैं EVMs

देश में दो सरकारी कंपनी इलेक्ट्रॉनिक्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया और भारत इलेक्ट्रॉनिक्स के पास ही EVMs को बनाने की जिम्मेदारी है. इनमें से भारत इलेक्ट्रॉनिक्स शेयर बाजार में भी सूचीबद्ध है. अभी इसका शेयर 236.50 रुपए के आसपास है, लेकिन अगर आप पिछले चुनाव से अब तक के इसके रिटर्न को देखेंगे तो आपको लगेगा कि इसने क्या बढ़िया रिटर्न दिया है?

पांच साल पहले यानी 2019 में इस कंपनी का शेयर प्राइस महज 29.38 रुपए का था. 2023 की शुरुआतमें इसके शेयर भाव में अचानक से तेजी दिखना शुरू हुई और महज 5 साल में 702 प्रतिशत का रिटर्न दे चुकी है. बीईएल की खास बात ये है कि इसके शेयर प्राइस में एक कॉन्टैंट ग्रोथ देखने को मिलती है.

भारत के अलावा कई अन्य देशों में भी ईवीएम की सप्लाई यही दो कंपनियां करती हैं. हालांकि पश्चिम के अधिकतर देशों में भी वोटिंग प्रोसेस अभी भी बैलेट पेपर से पूरी होती है.

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