तलाक के बाद पति पत्नी में ऐसे होता है संपत्ति का बंटवारा,…- भारत संपर्क
तलाक से जुड़े पुरुषों के ये अधिकार
तलाक एक ऐसा शब्द है जो सिर्फ पति-पत्नी के रिश्ते को ही नहीं बल्कि दो परिवारों को भी तोड़ देता है. तलाक का असर उन मासूम बच्चों पर भी पड़ता है, जो मां-बाप के अलग होने का शिकार बनते हैं. लेकिन तलाक का मामला सिर्फ कानूनी या पारिवारिक ही नहीं होता, बल्कि इससे पति और पत्नी के कई वित्तीय अधिकार भी जुड़े हैं, तो इसका असर लोगों की कमाई और जेब पर भी होता है. ऐसे में तलाक के बाद पति-पत्नी के बीच संपत्ति का बंटवारा एक अहम मुद्दा है.
जब भी तलाक की बात होती है, तब महिला के सामाजिक और वित्तीय अधिकारों की चर्चा अक्सर होती है. लेकिन बहुत कम लोगों को तलाक के मामलों में पुरुषों से जुड़े अधिकारों के बारे में पता है. तलाक के मामले में क्या पति के पास अपनी और पुरखों की संपत्ति सुरक्षित रखने के अधिकार होते हैं? चलिए समझते हैं…
जानें क्या-क्या हैं आपके अधिकार
आपके मन में भी तलाक को लेकर कई सवाल आते होंगे. तलाक के बाद पत्नी के साथ-साथ पति के भी कुछ वित्तीय अधिकार होते हैं…
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- उपहार पर पति का अधिकार– शादी से पहले, बाद या शादी के दौरान पत्नी के माता-पिता द्वारा दिए गए उपहार पर पति का अधिकार होता है.
- पत्नी के नाम पर उपहार– कोई भी संपत्ति जो पति द्वारा पत्नी के नाम पर खरीदी गई, लेकिन उपहार के रूप में उसे नहीं दी गई, तो उस पर पत्नी का अधिकार नहीं होता है.
- पूर्ण दावा नहीं कर सकती पत्नी– पत्नी किसी भी संपत्ति पर तभी दावा कर सकती है, जब वह उसने खुद खरीदी हो. अगर उस संपत्ति को खरीदने में पति का योगदान है तब उस संपत्ति पर पत्नी पूर्ण रूप से दावा नहीं कर सकती है.
- महत्वपूर्ण हिस्से पर पति का मजबूत दावा– पति-पत्नी अगर साथ में कोई संपत्ति खरीदते हैं, लेकिन इसके लिए फाइनेंस अगर पति करता है, तब तलाक की स्थिति में इसकी कुल वैल्यू के एक महत्वपूर्ण हिस्से पर पति का दावा मजबूत हो सकता है.
- संपत्ति को विभाजित किया जाता है– अगर साथ में ली गई संपत्ति पर पति-पत्नी दोनों ने लोन लिया हो, तब तलाक के केस में संपत्ति को विभाजित किया जाता है. ये विभाजन उस अनुपात को ध्यान में रखकर होता है जिसमें पति-पत्नी ने आर्थिक रूप से योगदान दिया हो.
पति-पत्नी में संपत्ति का बंटवारा
तलाक के मामले में अगर पति ने किसी संपत्ति को खरीदा है और उसके पैसे खुद चुकाए हैं, तब वह प्रॉपर्टी पति की ही मानी जाएगी. वहीं अगर किसी संपत्ति को पति द्वारा खरीदा गया हो और वह संपत्ति पत्नी के नाम की गई हो, तब उस संपत्ति की कानूनी मालकिन पत्नी ही होगी. ये तब तक मान्य है जब तक पति यह साबित ना कर दें कि उसने उस संपत्ति का कर्ज चुकाया है, तब वह उस पर दावा कर सकता है. अगर पति को अपने पिता या अन्य किसी पैतृक संपत्ति में अधिकार मिला है, तब उस पर पत्नी कोई दावा नहीं कर सकती है.