‘किल’ से तुलना करते हुए अनुराग कश्यप ने ‘महाराजा’ के बारे में ये क्या कह दिया |… – भारत संपर्क


Anurag Kashyap Talks About Maharaja Violent Scenes Says This About Karan Johar KillImage Credit source: सोशल मीडिया
फिल्ममेकर अनुराग कश्यप की ‘महाराजा’ 14 जून को सिनेमाघरों में रिलीज हुई थी. इस पिक्चर में उनके साथ विजय सेतुपति नजर आए थे. ये मूवी कई लोगों को पसंद आई, वहीं कुछ लोगों ने इसकी आलोचना भी की. उनका कहना था कि फिल्म के कुछ हिस्सों ने लोगों को ‘ट्रिगर’ किया. इन बातों पर अब अनुराग कश्यप का रिएक्शन आया है. इसमें निगेटिव रोल निभाने वाले अनुराग कश्यप ने इस फिल्म पर टिप्पणी की है.
‘महाराजा’ को इसके स्क्रीनप्ले के लिए काफी तारीफ मिली थी. इस पिक्चर ने दुनियाभर में 104.84 करोड़ रुपये का कारोबार किया है. इसमें अनुराग कश्यप और विजय सेतुपति की कमाल की एक्टिंग देखने को मिली थी. वहीं, फिल्म में महिलाओं के प्रति दिखाई गई हिंसा की भी काफी आलोचना हुई थी.
अनुराग कश्यप ने क्या कहा?
द हिंदू को दिए इंटरव्यू में कश्यप ने आलोचनाओं का जवाब देते हुए इस फिल्म की तुलना करण जौहर-गुनीत मोंगा की फिल्म किल से की. किल में काफी वायलेंस सीन्स थे. उन्होंने कहा, “किल को भी अपने हिंसक सीन्स के लिए काफी आलोचनाओं का सामना करना पड़ा है, लेकिन ये ठीक है क्योंकि कुछ फिल्में किसी चीज को ट्रिगर कर सकती हैं. मेरा मानना है कि हिंसा रियल और इतनी एक्सट्रीम होना चाहिए कि आप असल में ऐसा करने से बचें.”
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इसके बाद अनुराग कश्यप ने मलयालम सिनेमा की तारीफ की और कहा कि वहां के वो ओरिजिनल कहानियां बताने में इंटरेस्ट रखते हैं. इस साल ही मलयालम फिल्म इंडस्ट्री में ‘मंजुम्मेल बॉयज’, ‘द गोट लाइफ’, ‘आवेशम’, ‘प्रेमलु’ और ‘ब्रह्मयुगम’ जैसी हिट फिल्में देखने को मिली हैं.
अनुराग कश्यप ने मलयालम फिल्मों की तारीफ की
उन्होंने आगे कहा, “इन दिनों मैं हिंदी से ज्यादा मलयालम फिल्में देखता हूं क्योंकि वे मुझे ज्यादा एक्साइट करती हैं. मलयालम फिल्म इंडस्ट्री में लोग ऐसी अनोखी कहानियां बताते हैं जो हर व्यक्ति के लिए स्पेशल होती हैं. फिल्म मेकर्स बाजार के बजाय खुद को बेहतर बनाने की कोशिश कर रहे हैं. इसके अलावा ‘ब्रह्मयुगम’ जैसी फिल्म किसी और इंडस्ट्री में कभी ब्लैक एंड व्हाइट में नहीं बनाई जाती. इससे पता चलता है कि वो वही फिल्में बना रहे हैं जो वो वाकई बनाना चाहते हैं.
उन्होंने कहा, “यहां तक कि कमर्शियल फिल्में भी वाकई मनोरंजक होती हैं. आवेशम जैसी फिल्म में उन्होंने तीन इन्फ्लुएंस करने वाले लोगों को लीड रोल में लेने में संकोच नहीं किया.” उन्होंने कहा, बॉलीवुड में वो इन रोल्स को बड़े सितारों से भर देते हैं, इसलिए वो असली कहानी पर ध्यान देने के बजाय स्टार पावर पर ध्यान फोकस करते हैं.”
बॉलीवुड फिल्मों के बारे में उन्होंने क्या कहा?
फिल्म मेकर ने कहा कि हिंदी फिल्म इंडस्ट्री के साथ दिक्कत ये है कि ये अक्सर फॉर्मूले पर बेस्ड रहता है और जब कोई ऑरिजनल काम सामने आता है, तो वो इस पैटर्न से हट जाते हैं. मौलिक काम का उदाहरण देते हुए उन्होंने ‘लापता लेडीज’, ’12th फेल’ और ‘किल’ जैसी फिल्मों का जिक्र किया.