भाई को अंगदान कर सकेगा ये शख्स, कोर्ट बोला इसके लिए पत्नी की इच्छा जरूरी नह… – भारत संपर्क

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भाई को अंगदान कर सकेगा ये शख्स, कोर्ट बोला इसके लिए पत्नी की इच्छा जरूरी नह… – भारत संपर्क

पति के ऑर्गन ट्रांसप्लांट पर पत्नी की आपत्ति
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने अपने भाई को अंगदान देने के मामले में एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है. जस्टिस राजमोहन की एकल पीठ ने कहा कि यदि कोई भाई अपने किसी अन्य भाई के जीवन को बचाने के लिए अपना अंगदान करता है तो यह सामाजिक तौर पर एक अच्छे संदेश को लोगों तक ले जाएगा. दरअसल, भोपाल में एक पति का उसके भाई को लिवर टिश्यू देना उस व्यक्ति की पत्नी को पसंद नहीं आया. पति के स्वास्थ्य को लेकर पत्नी ने कोर्ट में याचिका दायर की. इस याचिका को कोर्ट ने खारिज कर दिया है. जस्टिस राजमोहन सिंह ने कहा कि कोई भी व्यक्ति अपनी इच्छा से अंगदान कर सकता है. उसके इस फैसले में परिवार का कोई भी व्यक्ति उसे रोक नहीं सकता है.
मध्य प्रदेश हाई कोर्ट में भोपाल के रहने वाले विकास अग्रवाल तथा उनकी पत्नी आभा अग्रवाल की ओर से कोर्ट में एक याचिका दाखिल की गई थी. याचिका में बताया गया था कि आभा अग्रवाल के पति विकास अग्रवाल के भाई का मुंबई स्थित कोकिला बेन अस्पताल में लीवर का ट्रांसप्लांट होना है, क्योंकि गंभीर बीमारी के चलते विकास के भाई का लीवर टिश्यू खराब हो गया है और मेडिकल जांच में विकास अग्रवाल के लिवर टिश्यू ऑर्गन ट्रांसप्लांट के लिए सही पाए गए हैं. इसके लिए वह अपने भाई को अपनी स्वेक्षा से अंगदान करना चाहता है.
लेकिन, विकास की पत्नी आभा अग्रवाल ने विकास के भाई को अंगदान करने के लिए सहमति देने से इनकार कर दिया. इसी कारण अस्पताल प्रबंधन ने विकास के ऑर्गन ट्रांसप्लांट करने से साफ इनकार कर दिया. अस्पताल प्रबंधन ने अपनी दलील देते हुए कहा कि ट्रांसप्लांट करने की परिवार के द्वारा अनुमति नहीं दी गई है इस कारण से हम ट्रांसप्लांट नहीं कर सकते. जब परिवार में सहमति नहीं बनी तो इसी पूरे मामले को लेकर विकास अग्रवाल और उनकी पत्नी आभा अग्रवाल सहित दोनों ने मध्य प्रदेश हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया और अपनी याचिका दायर की.
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पूरे मामले में मध्यप्रदेश हाई कोर्ट की एकलपीठ ने सुनवाई करते हुए अपने अहम फैसले में कहा कि अगर किसी अपने सगे की परिवार के सदस्य को व्यक्ति अपनी इच्छा से लिवर टिश्यू देता है तो इसके लिए उसे अपनी पत्नी से पूछने की आवश्यकता नहीं है. क्योंकि भाई अपनी स्वेच्छा से लीवर का टिश्यू देना चाहता है. और ऐसा बिल्कुल भी नहीं किया जा सकता कि कोई अपनी इच्छा से अपना अंगदान न कर पाए. उसका अपने शरीर पर पूरा अधिकार है. इसलिए कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा कि परिवार का कोई भी सदस्य इसमें दखलंदाजी नहीं कर सकता क्योंकि यह उनका निजी फैसला है.कोर्ट के इस फैसले का सभी ने स्वागत करते हुए इस आदेश को समाज के लिए अच्छा बताया है.

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