धोनी के संन्यास से भी बड़ा हो गया है ये सवाल वो बैटिंग ऑर्डर में इतने नीचे … – भारत संपर्क

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धोनी के संन्यास से भी बड़ा हो गया है ये सवाल वो बैटिंग ऑर्डर में इतने नीचे … – भारत संपर्क

धोनी इतनी नीचे बैटिंग करने क्यों आते हैं? (PC-AFP)
दिल्ली कैपिटल्स के खिलाफ चेन्नई का छठा विकेट 120 रन पर गिरा. चेन्नई के सामने 192 रन का लक्ष्य था. छठे विकेट के तौर पर जब शिवम दुबे आउट हुए तो 16.1 ओवर का खेल हुआ था. यानी 23 गेंद का खेल बाकि था. चेन्नई को जीत के लिए 23 गेंद पर 72 रन चाहिए थे. अब धोनी क्रीज पर थे. उन्होंने पहली ही गेंद पर चौका जड़ा. अगली गेंद पर उनका कैच छूट गया. इसके बाद इसी ओवर की आखिरी गेंद पर धोनी वापस क्रीज पर आए. उन्होंने फिर चौका जड़ा. अगले ओवर की पांचवी गेंद पर उन्होंने खलील अहमद को छक्का लगाया. अब चेन्नई को आखिरी 12 गेंद पर 46 रन चाहिए थे. 19वें ओवर में मुकेश कुमार ने सिर्फ 5 रन दिए. यानी अब समीकरण सीधा था आखिरी ओवर में जीत के लिए 41 रन चाहिए थे. अगर गेंदबाज नो बॉल नहीं फेंकेगा तो मैच चेन्नई की टीम यहीं हार चुकी थी. लेकिन आखिरी ओवर में मैच का ‘क्लाइमैक्स’ बाकी था.
धोनी ने 20वें ओवर की पहली गेंद पर चौका जड़कर शुरूआत की. अगली गेंद पर छक्का, तीसरी गेंद पर कोई रन नहीं. चौथी गेंद पर फिर चौका, पांचवी गेंद पर कोई रन नहीं लेकिन छठी गेंद पर फिर छक्का. इस तरह धोनी ने फैंस को खूब ‘इंटरटेन’ किया. उन्होंने 231.25 की स्ट्राइक रेट से रन बनाए. इसमें 4 चौके और 3 छक्के शामिल थे. इसी के बाद से क्रिकेट फैंस के बीच चेन्नई की हार या दिल्ली की जीत से ज्यादा चर्चा इस मुद्दे पर होने लगी कि धोनी बैटिंग क्रम में ऊपर क्यों नहीं आते?
इस रहस्य से सिर्फ धोनी पर्दा उठा सकते हैं
धोनी का पूरे करियर में यही अंदाज रहा है. उनके ‘मूव्स’ को समझना लगभग नामुमकिन ही रहा है. पिछले कई साल से लगातार ये कयास लगते हैं कि फलां सीजन धोनी का आखिरी आईपीएल सीजन होगा. लेकिन धोनी हर बार पहले से ज्यादा जोश के साथ मैदान में दिखाई देते हैं. आपको याद दिला दें कि टेस्ट क्रिकेट को अलविदा कहे 10 साल और लिमिटेड ओवर से संन्यास लिए धोनी को करीब पांच साल का वक्त बीत चुका है. संन्यास के सवाल की तरह ही धोनी बैटिंग ऑर्डर में इतने नीचे क्यों आ रहे हैं इसका स्पष्ट जवाब भी शायद ही मिल पाए. किसी प्रेस कॉन्फ्रेंस में अगर उनसे ये पूछ भी लिया गया तो वो कुछ ‘थ्योरी’ समझा देंगे लेकिन सवाल तब भी कायम रहेगा. ऐसा भी नहीं है कि धोनी की फिटनेस को लेकर कोई ‘इश्यू’ हो, वो शानदार कीपिंग कर रहे हैं. कुछ संभावनाएं ही हैं, जिनके इर्द-गिर्द उनका ये फैसला हो सकता है. पहली संभावना तो यही है कि वो टीम के यंगस्टर्स को ‘प्रमोट’ कर रहे हैं.
दूसरी बड़ी संभावना ये है कि शायद नई बॉल पर उन्हें अपने ‘रिफ्लेकसेस’ पर पहले जैसा भरोसा नहीं रहा. इसीलिए वो नंबर चार या नंबर पांच पर बल्लेबाजी करने नहीं आ रहे हैं, लेकिन कीपिंग में ‘रिफ्लेक्सेस’ की ऐसी कोई दिक्कत दिखी नहीं है. फिर भी धोनी का नंबर सात या आठ पर बल्लेबाजी करना कहीं से तर्कसंगत नहीं है. ये सवाल पूछा जा सकता है कि ये किसका फैसला है? कोच का या टीम मैनेजमेंट का, लेकिन धोनी को जानने वाले कह सकते हैं कि ये किसी और का नहीं बल्कि उनका खुद का ही फैसला है. धोनी कुछ-कुछ इम्पैक्ट प्लेयर जैसे हो गए हैं. बस ये है कि उनके लिए इम्पैक्ट प्लेयर का रोल भी थोड़ा अलग है.
कई दिग्गजों ने भी यही सवाल पूछा
ये सवाल बेवजह नहीं पूछा जा रहा है. ये इस देश के करोड़ों क्रिकेट फैंस का मासूम सवाल भी नहीं. ये सवाल तार्किक है. अगर धोनी 231.25 की स्ट्राइक रेट से रन बनाने की काबिलियत रखते हैं तो उन्हें टीम हित में ऊपर बल्लेबाजी करने आना चाहिए. दिल्ली के खिलाफ मैच में दिल्ली के ही कप्तान ऋषभ पंत ने ऐसा ही किया. पंत ने 32 गेंद पर 51 रन की पारी खेली. जो उनकी टीम की जीत के काम आई. धोनी को लेकर पूछे जा रहे सवाल की प्रासंगिकता इस बात से भी समझी जा सकती है कि रविवार को उनकी पारी को देखने के बाद इस खेल से जुड़ी कुछ बड़ी हस्तियों ने भी ये सवाल पूछा. ऑस्ट्रेलिया के दिग्गज गेंदबाज रहे ब्रेट ली को भी धोनी का ये फैसला समझ नहीं आया. उन्होंने भी पूछा इतनी शानदार बल्लेबाजी करने वाले खिलाड़ी का बैटिंग ऑर्डर इतने नीचे क्यों? पूर्व क्रिकेटर और कोच टॉम मूडी ने भी सोशल मीडिया में लिखा कि धोनी के बल्ले का जादू अभी कायम है. इस मैच का नतीजा शायद कुछ और होता अगर वो समीर रिजवी या रवींद्र जडेजा से पहले बल्लेबाजी करने आते.
आपको बता दें कि समीर रिजवी दिल्ली के खिलाफ मैच में खाता तक नहीं खोल पाए थे. जबकि रवींद्र जडेजा ने 17 गेंद पर 21 रन बनाए थे. जाने माने कॉमेनटेटर हर्षा भोगले ने भी सोशल मीडिया में कुछ ऐसी ही बात लिखी. पहले उन्होंने धोनी के क्रीज पर आने पर लिखा कि मैच का ये ‘अनस्क्रिप्टेड ड्रामा’ है. फैंस का जोश अभी देखना बाकी है. इसके बाद उन्होंने ये भी लिखा कि धोनी में अभी वो दमखम बाकी है. वो इतने नीचे क्यों बल्लेबाजी कर रहे हैं? धोनी के हार्डकोर फैंस कह रहे हैं मैच भले ही दिल्ली ने जीता लेकिन धोनी ने दिल जीत लिया, अब सवाल यही है कि चेन्नई सुपरकिंग्स के फैंस को ही तय करना होगा कि उन्हें जीता हुआ दिल चाहिए या एक और ट्रॉफी?

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