GST के इस नियम से कारोबारियों की बल्ले-बल्ले, ऐसे मिलेगा…- भारत संपर्क

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GST के इस नियम से कारोबारियों की बल्ले-बल्ले, ऐसे मिलेगा…- भारत संपर्क

डीलरों को दिए जाने वाले डिस्काउंट को लेकर कारोबारियों के मन में लंबे समय से एक सवाल बना हुआ था. क्या GST पूरी कीमत पर लगेगा या डिस्काउंट के बाद की दर पर? अब सरकार ने साफ कर दिया है कि अगर कोई कंपनी अपने डीलर को किसी सामान पर सीधी छूट देती है, तो GST अब उसी कम हुई कीमत पर लगेगा. पहले अफसर कहते थे कि टैक्स पुरानी यानी पूरी कीमत पर लगना चाहिए, लेकिन अब इसको लेकर कोई कन्फ्यूजन नहीं रहेगा. मान लीजिए, कोई कार कंपनी पुराने मॉडल पर ₹20,0000 की जगह ₹18,0000 में डीलर को बेचने की छूट देती है, तो अब GST ₹18,0000 पर ही लगेगा.

कब लागू होगा नया नियम?

ये नियम भी नए GST के साथ ही 22 सितंबर से लागू हो जाएगा. सरकार ने हाल ही में GST काउंसिल की बैठक में इस पर फैसला लिया था. इसके बाद CBIC यानी केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर विभाग ने इस पर एक सर्कुलर भी जारी कर दिया है. अब कंपनियां और डीलर साफ-साफ समझ पाएंगे कि किस स्थिति में GST कैसे लगेगा.

हर छूट पर नहीं मिलेगा फायदा

ध्यान देने वाली बात ये है कि ये छूट तभी मान्य होगी, जब कंपनी और डीलर के बीच सीधा समझौता हो. यानी अगर कंपनी डीलर से साफ कहती है कि उसे कम दाम में सामान बेचना है और ये बात लिखित या तय रूप में है, तभी GST कम कीमत पर लगेगा. अगर छूट किसी तीसरे के जरिए दी गई है, जैसे कि कोई डिस्ट्रीब्यूटर बीच में है और वही डिस्काउंट दे रहा है, तो फिर टैक्स पुरानी यानी पूरी कीमत पर ही लगेगा. यानी जब तक कंपनी और डीलर के बीच सीधा लेन-देन नहीं है, तब तक फायदा नहीं मिलेगा.

पुराना झगड़ा अब होगा खत्म

कई बार GST को लेकर कंपनियों और टैक्स अधिकारियों के बीच बहस हो जाती थी. अफसर कहते थे कि छूट चाहे जितनी हो, टैक्स पूरी कीमत पर लगेगा. लेकिन कंपनियों का कहना था कि जब उन्होंने सस्ता बेचा है, तो टैक्स भी कम कीमत पर ही लगना चाहिए. अब सरकार ने ये मुद्दा सुलझा दिया है. इससे न सिर्फ व्यापारियों को राहत मिलेगी, बल्कि टैक्स भरने में भी पारदर्शिता आएगी. यानी कोई उलझन या झगड़ा नहीं रहेगा.

कारोबारियों को क्या करना चाहिए?

अगर कंपनियां चाहती हैं कि GST कम कीमत पर लगे, तो उन्हें अपने डीलरों के साथ छूट देने का सीधा और लिखित समझौता करना होगा. ताकि बाद में कोई विवाद न हो और टैक्स की गणना आसानी से हो सके. KPMG इंडिया के टैक्स विशेषज्ञ अभिषेक जैन ने कहा कि ये फैसला स्वागत योग्य है. इससे कंपनियां, डिस्ट्रीब्यूटर और डीलर अब ज्यादा स्पष्टता के साथ लेन-देन कर सकेंगे. साथ ही, जो पुराने विवाद सालों से चल रहे थे, वो भी अब धीरे-धीरे खत्म होंगे.

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